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"पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" कोई उदाहरण देते हुए इस कथन का समर्थन करें।

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Comments

  1. "पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" कोई उदाहरण देते हुए इस कथन का समर्थन करें।

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    1. Teacher ko samajhne aur bacchon ko padhaane mein bahut upyogi hai

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    2. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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    3. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं

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    4. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं

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    5. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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    6. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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    7. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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    8. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें.

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    9. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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    10. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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    11. पर्यावरण अध्ययन छात्र को हम उनके परिवेश ही जिनका साबका उन वस्तुओं जगहो रोज पडताहै उसके जरिए से करा सकते है

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    12. पर्यावरण अध्ययन के अनुसार हमे पहले खुद पेड़ पौधे उगाने चाहिए ताकि बच्चे हमे देख कर जागरूक हो सके और प्रकृति के महत्व को समझ सके।

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    13. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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    14. Piryavaran addyan ke anusar hame phle khud paid ugane chahiye taki bachche hame dekhkar jagruk ho sake or pirkarti ke mahatav ko samash sake.

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    15. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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    16. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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    17. पर्यावरण अध्ययन में बच्चों की रुचि बढ़ाने हेतु उन्हें पास पड़ोस में स्थित पेड़ पौधों और जानवरों व वातावरण के विषय में जानकारी देना चाहिए।

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    18. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं

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    19. Paryavaran adhyayan Ke yakin Vishesh Kshetra Kshetra hai iska udaharan yah hai ki Jab Ham brush aur aur kutton ke bare mein padhte hain Ham Apne Aas Paas ki parivesh arthat Ghar Vidyalay aur pados ki vibhinn vastin ped paudhon jantan panchiyon ke murti Saman Roop se Dekhe Ja sakne wale Lakshman Jaise awagaman vah Sthan Jahan Bhi rahti hain ya Paye Jaate Hain bhojan ki Aadat Unki Dhaniya ke Aadhar Aadhar per pehchante Hain

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    20. पर्यावरण अध्ययन किसी एक बिषय से संबंधित नही है अपितु सभी विषयों से संबंधित है अतः हमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाबा देना चाहिए औऱ बच्चों को भी इसके बारे में बताना चाहिए।

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    21. छात्र/छात्राओं को पर्यावरण के बारे में बताएंगे और वृक्षारोपण करने के लिए करेंगे।

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    22. Bacchon ko Apne aas paas ke ped paudhon ke dwara ham ham paudhon se hone wale a upyog ke vishay mein bata sakte hain Jo paryavaran ke dwara vigyan ki samajh ko viksit Karega

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    23. Bacchon ko Apne aas paas ke ped paudhon ke dwara ham ham paudhon se hone wale a upyog ke vishay mein bata sakte hain Jo paryavaran ke dwara vigyan ki samajh ko viksit Karega

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    24. Hum Apne aas paas ke ped paudhon ke dwara bacchon ko uske upyog ke bhashan pata kar paryavaran ko vigyan se Jude sakte hain

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    25. पर्यावरण किसी एक विषय से संबंधित नहीं है बल्कि सभी विषयों से संबंधित है अतः पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चों को आसपास के वातावरण तथा पेड़ पौधों के बारे में जानकारी देना जरूरी है

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    26. 18 November 2020 at 11:02
      पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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  2. पर्यावरण अध्ययन के एकीकृत विषय क्षेत्र है इसका उदाहरण यह है कि जब हम वृक्ष और पत्तों के बारे में पढ़ते हैं

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    1. पर्यावरण अध्ययन के अनुसार हमे पहले खुद पेड़ पौधे उगाने चाहिए ताकि बच्चे हमे देख कर जागरूक हो सके और प्रकृति के महत्व को समझ सके।

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    2. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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    3. Om Prakash Pandey पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर

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    4. Om Prakash Pandey पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर

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    5. Om Prakash Pandey पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर

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    6. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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    7. पर्यावरण अध्ययन के अनुसार हमे पहले खुद पेड़ पौधे उगाने चाहिए ताकि बच्चे हमे देख कर जागरूक हो सके और प्रकृति के महत्व को समझ सके।
      हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी।

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    8. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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    9. बालको को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना तथा अपने आस-पास की वस्तुओं के बारे में जानकारी करना

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    10. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है। SINGH

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  3. CoviD-19 कोरोना वायरस के दौरान

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    1. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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    2. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा

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    3. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा

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    1. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा

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    2. Keksha kaksh main ham baccho ko vibhinn prakar ke Patton ka gayan krakr paryavaran se jod sakte h

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    3. मूलरोम का पर्यावरण अध्ययन में किसी छोटे पौधे को उखाड़ कर बच्चों के सामने रख कर उसके रोएं को दिखा के परिभाषित करेंगे

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    4. S.N.Mishra
      TGT PHE
      KV, ALIGANJ, Lucknow
      Shift-1

      पर्यावरण-अध्ययन कोई एक विषय-क्षेत्र नहीं है, बल्कि विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। यह तो हम जानते हैं कि हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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    5. Bachho ko ped k bhago k liye paudha dikhaya jayega.is prakar se mool rom k bare me bta skte h

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  5. मूलरोम का पर्यावरण अध्ययन में किसी छोटे पौधे को उखाड़ कर बच्चों के सामने रख कर उसके रोएं को दिखा के परिभाषित करेंगे

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  6. मूलरोम का पर्यावरण अध्ययन में किसी छोटे पौधे को उखाड़ कर बच्चों के सामने रख कर उसके रोएं को दिखा के परिभाषित करेंगे

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  7. Overall, environmental science is the field of science that studies the interactions of the physical, chemical at biological components of the environment and also the relationships and effects.

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  8. CoviD-19 कोरोना वायरस के दौरान

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    1. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा

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  9. Environmental studies gives knowledge to the students and teachers both which happened in our surroundings

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    1. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा

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    2. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेंगे

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  10. Environmental studies instill in students to be keen,alert ,observant and very much aware of the surrounding.

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    1. छात्र/छात्राओं को पर्यावरण के बारे में बताएंगे और वृक्षारोपण करने के लिए करेंगे।

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    2. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नहीं है अपितु विभिन्न विषय क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश के मुख्य घटक प्राकृतिक एवं सामाजिक है। हम शिक्षण कार्य में अपने आस पास के वातावरण को शामिल करेंगे और बच्चों को वृक्षों का महत्व ,उपयोगिता व देखरख के संबंध में बतायेंगे और उनके syllabous को बाहरी परिवेश से जोड़ेंगे।

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  11. Pragya Dwivedi पर्यावरण अध्धयन अपने आप मे व्यापक विषय है।इसमे भी हम कला समेकित शिक्षा का अनुप्रयोग कर सकते है

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    1. पर्यावरण अध्ययन विषय नहीं एक पद्धति है। इसमें पर्यावरण के बारे में, पर्यावरण के लिए, और पर्यावरण द्वारा सीखना शामिल है।पेड़ पौधे,जीवजंतु की उपयोगिता और महत्ता इसके उदाहरण हैं।

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  12. हम बच्चों को पर्यावरण से संबंधित पेड़ों का महत्व और हमारे जीवन में उनकी उपयोगिता के बारे में बताएंगे ताकि आगे जाकर वह पर्यावरण को सुरक्षित रख सके।

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    1. हम बच्चों को पर्यावरण से संबंधित पेड़ों का महत्व और हमारे जीवन में उनकी उपयोगिता के बारे में बताएंगे ताकि आगे जाकर वह पर्यावरण को सुरक्षित रख सके।

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  13. पर्यावरण अध्ययन के एकीकृत विषय क्षेत्र है इसका उदाहरण यह है कि जब हम वृक्ष और पत्तों के बारे में पढ़ते हैं

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  14. Pruavrn ke prti bchcho me prem or usko bchane ke upay or usko sambhalne ke prti rujhan bdhayenge or pryavran ka mhatv samjhayenge

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  15. Pryavran ka bchcho ko mhatv samjhayenge or uske prti prem jgayenge uski suraksha ka bhav jgayenge ict ka bhi sgyog lekr

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  16. paryavaran ki importance baccho ko samjhana h

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    1. छात्र/छात्राओं को पर्यावरण के बारे में बताएंगे और वृक्षारोपण करने के लिए करेंगे।

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    2. पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिस में सभी विषयों का समावेश है.मुहम्मद ज़ाकिर

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  17. Environmental science is also referred to as an interdisciplinary field because it incorporates information and ideas from multiple disciplines. Within the natural sciences, such fields as biology, chemistry, and geology are included in environmental science. When most people think of environmental science, they think of these natural science aspects, but what makes environmental science such a complex and broad field is that it also includes fields from the social sciences and the humanities as well.

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  18. paryavaran humare chaaro aur ka vatavaran hota hai. hum paryavaran se se hi apni rozmarah ki zaruraton ko poora karte hai bachoon ko seekhne ke liye environment mein akela chod de

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  19. Environment is the study of combination of living , nonliving, biologocal, physical and chemical components. Environment mean all around of us, which we see and feel.

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  20. Environment education is very important for students to learnt about the nature and help for saving the world.

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  21. Environmental studies gives knowledge to the students and teachers both which happened in our surroundings

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  22. Natural Environment is very important for the people to survive to closeto have a very good nature very good surrounding

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    1. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर

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  23. हम बच्चों को पर्यावरण से संबंधित पेड़ों का महत्व और हमारे जीवन में उनकी उपयोगिता के बारे में बताएंगे ताकि आगे जाकर वह पर्यावरण को सुरक्षित रख सके।

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    1. पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय है जिसमें सामाजिक विज्ञान, गणित व भाषा का समावेश निहित हैं

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  24. Environmental studies is a multidisciplinary academic field which systematically studies human interaction with the environment. Environmental studies connects principles from the physical sciences, commerce/economics, the humanities, and social sciences to address complex contemporary environmental issues.
    मैं बालकों को साफ़ प्रकृति के बारे में बताना चाहुँगी | अगर प्रकृति शुद्ध होगी तो मनुष्य का मन भी शुद्ध होगा |

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  25. Environmental studies gives knowledge to the students and teachers both which happened in our surroundings

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  26. पर्यावरण विषय के अंतर्गत अनेक विषयों का समावेश होता है
    । जैसे जीव विज्ञान, जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, पारिस्थितिकी,भूगोल, सांख्यकी आदि

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  27. पर्यावरण विज्ञान में अनेक विषयों का समागम है। उदाहरण के लिए जीव विज्ञान, जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, अनुवांशिकता, पारिस्थितिकी, सांख्यिकी आदि।

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  28. Paryavaran ke prati bachcho ko anek vishyo ka bodh krayenge or uske mahtav ko batayenge jaise paudhe lgana

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  29. Yes It is true that Environmental Science is a unified area because it covers topics like Plants, Food, Diseases, Air, Water, Housing, Clothing, Pollution, Waste Management, Atmosphere etc. which requires deep understanding of the surrounding around us.

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    1. विज्ञान , सामाजिक विज्ञान , गणित सभी पर्यावरण अध्ययन में ही समाहित हैं अतः हमख सकते हैं कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय है

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  30. Environmental science is important as it give knoweldge to the students about the nature and how to save it.

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  31. पर्यावरण विषय के अंतर्गत अनेक विषयों का समावेश होता है जैसे जीव विज्ञान रसायन विज्ञान भौतिक विज्ञान सामाजिक विज्ञान राजनीति विज्ञान अर्थशास्त्र आदि। पर्यावरण के माध्यम से बालक अपने पूर्व ज्ञान को जोड़ते हुए अपने आसपास के वातावरण समाज में उसकी भूमिका को अच्छी तरह समझ सकता है।

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  32. We will tell the children about the importance of trees related to the environment and their usefulness in our lives so that it can protect the environment going forward.

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    1. पर्यावरण अध्ययन में बच्चों की रुचि बढ़ाने हेतु उन्हें पास पड़ोस में स्थित पेड़ पौधों और जानवरों व वातावरण के विषय में जानकारी देना चाहिए।

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  33. पर्यावरण अध्ययन जल, वृक्ष,पृथ्वी, वायु, के अलावा गणित, विज्ञान,भाषा सभी का मूल है

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  34. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा

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  35. Very useful topic for student

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  36. paryavaran adhyayan ek ekikrit vishay hai paryavaran ke Bina Jeevan ki Kalpana nahin ki ja sakti isliye swachh paryavaran ka hona ati avashyak hai

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  37. पर्यावरण अध्ययन जल, वृक्ष,पृथ्वी, वायु, के अलावा गणित, विज्ञान,भाषा सभी का मूल है ये हमारे चारो ओर घिरा हुआ आवरण है जिसमे सब समाहित है

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  38. सही परिवार
    स्वच्छता तारे
    ये सभी अलग अलग विषय है जो पर्यावरण मे शामिल है

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    1. पर्यावरण अध्ययन विषय नहीं एक पद्धति है। इसमें पर्यावरण के बारे में, पर्यावरण के लिए, और पर्यावरण द्वारा सीखना शामिल है।पेड़ पौधे,जीवजंतु की उपयोगिता और महत्ता इसके उदाहरण हैं।

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  39. पर्यावरण-अध्ययन कोई एक विषय-क्षेत्र नहीं है, बल्कि विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। यह तो हम जानते हैं कि हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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    1. Vijay Laxmi Sharmaपर्यावरणीय अध्यन केवल एक ही विषय से सम्बन्ध नही रखता अपितु यह समस्त विषयों को अपने में समेटे हुए है तथा हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि हमारे आसपास या चारों ओर का परिवेश जहाँ हम २हते हैं तथा . उन सबका अध्यन करना ही पर्यावरणीय अध्यन है. जिससे भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है और साथ ही बच्चे का सर्वागीण विकास भी किया जा सकता है

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  40. पर्यावरण अध्ययन में अनेक विषयों का समावेश है। पर्यावरण अध्ययन के माध्यम से सामाजिक, विज्ञान और भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है

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  41. कार्य योजना बनाकर

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  42. अपने चारोओर को वतावरं कहते hai|

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  43. पर्यावरणीय अध्यन केवल एक ही विषय से सम्बन्ध नही रखता अपितु यह समस्त विषयों को अपने में समेटे हुए है तथा हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि हमारे आसपास या चारों ओर का परिवेश जहाँ हम २हते हैं तथा . उन सबका अध्यन करना ही पर्यावरणीय अध्यन है. जिससे भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है और साथ ही बच्चे का सर्वागीण विकास भी किया जा सकता है

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    1. पर्यावरण अध्ययन विषय नहीं एक पद्धति है। इसमें पर्यावरण के बारे में, पर्यावरण के लिए, और पर्यावरण द्वारा सीखना शामिल है।पेड़ पौधे,जीवजंतु की उपयोगिता और महत्ता इसके उदाहरण हैं।पर्यावरणीय अध्यन केवल एक विषय से सम्बन्ध नही रखता अपितु यह समस्त विषयों को अपने में समेटे हुए है तथा हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि हमारे आसपास या चारों ओर का परिवेश जहाँ हम रहते हैं उनका अध्यन करना ही पर्यावरणीय अध्यन है. जिससे भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है और साथ ही बच्चे का सर्वागीण विकास भी किया जा सकता है

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  44. पर्यावरण अध्ययन विषय नहीं एक पद्धति है। इसमें पर्यावरण के बारे में, पर्यावरण के लिए, और पर्यावरण द्वारा सीखना शामिल है।पेड़ पौधे,जीवजंतु की उपयोगिता और महत्ता इसके उदाहरण हैं।पर्यावरणीय अध्यन केवल एक विषय से सम्बन्ध नही रखता अपितु यह समस्त विषयों को अपने में समेटे हुए है तथा हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि हमारे आसपास या चारों ओर का परिवेश जहाँ हम रहते हैं उनका अध्यन करना ही पर्यावरणीय अध्यन है. जिससे भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है और साथ ही बच्चे का सर्वागीण विकास भी किया जा सकता है

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  45. पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है क्योंकि इसमे विभिन्न विषयों का विषयों का समावेश होता है। इसकी प्रकृति ही अंतर विषयक है ।अतः इसका ज्ञान किसी भी भाषा या विषय के माध्यम से कराया जा सकता है।

    डॉ० बी .पी. मिश्र
    डीपीएस विन्ध्यनगर सिंगरौली म.प्र.

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  46. पर्यावरण अध्ययन बहुत रोचक विषय है यह सभी कक्षा में पढ़ाना चाहिए

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  47. Teaching students about environment well as green house gases also

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  48. पर्यावरण एक ऐसा विषय है जो हमे आसपाक के वातावरण को समझने का मौका ओरदान करता है।

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  49. पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय kshetra है।
    Class 1में हम पर्यावरण विषय को भाषा और गणित के साथ एकीकृत करके पढाते है ।
    उदाहरण के लिए हम बच्चों से परिवेश की कोई भी वस्तु दिखाकर उसका नाम जान सकते हैं तथा उसे गिनवा सकते हैं।

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  50. पर्यावरण के अध्ययन से हम अपने आसपास के पेड़ पौधों और उनकी उपयोगिता के बारे में समझ सकते हैं और किस प्रकार से मानव पेड़ पौधों और अपने आसपास वस्तुओं पर निर्भर है इसकी भी जानकारी प्राप्त होती है।मानव और पेड़-पौधों का एक दूसरे पर निर्भरता भी पता चलता है।

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  51. पर्यावरण अध्यन अपने आप में अनेक विषयों को अपने में समेटे हुए है .पर्यावरण अध्यन से बच्चे आस पड़ोस ,जल,आवास ,भोजन आदि की जानकारी समेटे हुए है .बब्चों को उनके समुदाय ,उनकी रोज मर्रा की जिंदिगी से जोड़ता है .

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    1. पर्यावरण अध्ययन विषय नहीं एक पद्धति है। इसमें पर्यावरण के बारे में, पर्यावरण के लिए, और पर्यावरण द्वारा सीखना शामिल है।पेड़ पौधे,जीवजंतु की उपयोगिता और महत्ता इसके उदाहरण हैं।

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  52. प्रर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय नहीं है अपितु इसमें सभी विषयों का समावेश है। इसलिए हमें इसको बच्चों को अर्थपूर्ण समझाने के लिए अपने आसपास के परिवेश अर्थात घर विद्यालय पास पड़ोस के विभिन्न पेड़ पौधों/जीव जंतुओं, पक्षियों के मूर्त/सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षण जैसे खाना कहां से और कैसे प्राप्त करते हैं आवागमन स्थान जहां ये निवास करते हैं या पाये जाते हैं।उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं।
    गेहूं की फसल की बुवाई से लेकर रोटी तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया आदि के द्वारा समझाया जा सकता है।
    सुभाष बाबू स०अ०

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    1. tracher ko samajhne aur bachchon ko padhane mein bahot useful hai

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  53. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषयों एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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  54. बच्चों को परिवेश से जोड़ते हुए आस-पास की चीजों का परिचय प्राप्त करेंगे।

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  55. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत हमारे चारो तरफ घटने वाली सभी घटनाओं को सामिल करते हैं चाहे वह प्राकृतिक या मानव निर्मित हो । अतः यह एक ब्यापक विषय है । इसको सिखाने के क्रम बच्चों के आसपास होने वाली क्रिया कलापों से स्थूल से शुक्ष्म /ज्ञात से अज्ञात की ओर होना चाहिए ।

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  56. NEERAJ KUMAR SINGH PS MAIDHI SADAR CHANDAULI. UP..
    environment study is a connecting link between mostly subjects with the nature.
    We have to correlate students with the near by natural things.

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  57. पर्यावरणीय अध्यन केवल एक ही विषय से सम्बन्ध नही रखता अपितु यह समस्त विषयों को अपने में समेटे हुए है तथा हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि हमारे आसपास या चारों ओर का परिवेश जहाँ हम रहते हैं तथा उन सबका अध्यन करना ही पर्यावरणीय अध्यन है. जिससे भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है और साथ ही बच्चे का सर्वागीण विकास भी किया जा सकता हैपर्यावरण अध्यन से बच्चे आस पड़ोस ,जल,आवास ,भोजन आदि की जानकारी समेटे हुए है .बब्चों को उनके समुदाय ,उनकी रोज मर्रा की जिंदिगी से जोड़ता है।

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  58. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं।

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  59. पर्यावरण अध्ययन के अनुसार हमे पहले खुद पेड़ पौधे उगाने चाहिए ताकि बच्चे हमे देख कर जागरूक हो सके और प्रकृति के महत्व को समझ सके।

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  60. आज बच्चो में पर्यावरण की सही जानकारी देकर।
    हम लोग बच्चो को प्रकृति के अनुकूल जीवन जीने के प्रति जागरूक कर रहे है ।जिससे बच्चो को प्रकृति में साफ सफाई और शांति और खुशहाल जीवन जीने का एक नया समाज का निर्माण किया जा रहा है।

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  61. पर्यावरण अध्ययन केवल एक एकीकृत विषय ही नहीं अपितु समस्त विषयों का समायोजन है।

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  62. पर्यावरण अध्ययन कोई एक विषय नहीं है बल्कि कई विषयों का यह एक समूह है बच्चों को पढ़ाते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को केवल किताबी ज्ञान न देकर बल्कि उनके परिवेश से जोड़कर विषय को पढ़ाया जाए

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  63. पर्यावरण अध्ययन के अन्तर्गत हम जीवजन्तु ,पेड पौधे ,घर,परिवार,समाज में होने वाले शादी ब्याह,जन्म,मृत्यु,विभिन्न प्रकार की बीमारियों ,मानवीय संवेदनाओ,आनुवांशिकता आदि विषयों के बारे में अध्ययन करते है । अतः पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है ।

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    1. कक्षा कक्ष में हम शिक्षण के दौरान अपने आसपास के वातावरण को शामिल करेगे..पर्यावरण कैसे सुरक्षित रहेगा इसके लिए वृक्षों का महत्व उपयोगिता व देखरख की विधि बताया जायेगा
      हिमेश अग्रवाल (पी एस असदपुर करंजली ,देओबंद )

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  64. बच्चों में पर्यावरण के प्रति रूचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगे।

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  65. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं

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  66. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं

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  67. पर्यावरणीय अध्यन केवल एक ही विषय से सम्बन्ध नही रखता अपितु यह समस्त विषयों को अपने में समेटे हुए है तथा हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि हमारे आसपास या चारों ओर का परिवेश जहाँ हम २हते हैं तथा . उन सबका अध्यन करना ही पर्यावरणीय अध्यन है. जिससे भाषा भी आसानी से सिखाई जा सकती है और साथ ही बच्चे का सर्वागीण विकास भी किया जा सकता है

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  68. पर्यावरण अध्ययन के अन्तर्गत बच्चों को उनके आसपास मौजूद प्राकृतिक वस्तुओ , जीव जन्तुओ तथा अन्य घटकों की जानकारी देगें ।

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  69. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत विषयों का समूह है अतः हमें इसका अध्ययन कराते समय बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ेगा जैसे जल , वायु , पशु पक्षी आदि ।

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  70. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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  71. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें.

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  72. शिक्षार्थियों में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए उन्हें आसपास के बगीचों में ले जाकर के विभिन्न प्रकार के पेड़ -पौधे ,जंतुओं ,पक्षियों के मूर्त /समान रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां पर उपरोक्त सभी जीव रहते हैं तथा उनका भोजन उनके बोलने की धनिया ,उनके घोसले ,उनकी आदतें तथा उनके ध्वनि से उन्हें पहचानना।
    पर्यावरण अध्ययन दरअसल एक एकीकृत विषय ही नहीं बल्कि विभिन्न विषय क्षेत्रों का एक समूह है। पर्यावरण अध्ययन में विज्ञान ,सामाजिक विज्ञान, इतिहास ,भूगोल समाहित है। शिक्षार्थियों के लिए भले ही इन अंतरों को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षकों को तो यह अंतर ध्यान में रखनी होगी।

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  73. बालक में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधे और वनस्पतियों के बारे में जानकारी देंगे ।
    मनसा कुमारी राठौर शिक्षामित्र

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    1. पर्यावरण एक ऐसा विषय है जो हमे आसपाक के वातावरण को समझने का मौका ओरदान करता है।

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  74. यह सभी विषयों का समावेश है

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  75. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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  76. इसमें सभी विषयों का समावेश है जिससे बच्चों
    में पर्यावरण के प्रति रूचि जाग्रत होती है तथा इसके अध्ययन से बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

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  77. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियोंभोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैंबच्चों को परिवेश से जोड़ते हुए आस-पास की चीजों का परिचय प्राप्त करेंगे।अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते

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    1. पर्यावरण अध्ययन का एक उदाहरण जीव जगत है क्योंकि जीव जगत में हवा,पानी,भूमि ,मिट्टी,गैस,भोजन तथा उसमें रहने वाले एक कोशकीय तथा बहु कोशकीय जीव के बारे बात सकते है। मानव श्रृंखला और जीव श्रृंखला भी बता सकते है।

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  78. Teacher ko samajhhane or children ko padhane mai bahut useful hai.

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  79. Environment education is very useful to our students. We should to give environment EDUCATION to our students. Students should learn from aas pas environment. Hamara pativesh text book useful to our children.

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  80. हम बच्चों को पर्यावरण से संबंधित पेड़ों का महत्व और हमारे जीवन में उनकी उपयोगिता के बारे में बताएंगे ताकि आगे जाकर वह पर्यावरण को सुरक्षित रख सके।

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    Unknown

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  81. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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  82. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर

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  83. अपने आसपास केपरिवेश घर विधालप आसपास की विभिन्न कस्तुओं पेड़ पौधो जीव जतुओं पशु पक्षियों के मूत्र/सामान्य रूप से दिखने वाले लक्षण तथा भोजन रहन सहन केआधार पहचान करने में सहायक

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  84. https://youtu.be/h8z5iALJnns

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  85. छात्रों मे पर्यावरण के प्रति रुचि बढानेके लिए आसपास के परिवेश की जानकारी देगें। हमारे
    परिवेश मे मुखयतः दो प्रकार के घटक होते है।
    हम बच्चो को पर्यावरण से संबंधित परिवेश के महत्व और दैनिक जीवन मे उसकी उपयोगिता
    के बारे मे बताकर बच्चो को पर्यावरण के प्रति करेंगे जिससे कि पर्यावरण को सुरक्षित रख सकें।

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    2. पर्यावरण अध्ययन में सभी विषयों का समावेश है। हम बच्चों को विभिन्न विषयों के माध्यम से पर्यावरण के बारे में बता सकते हैं।

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  86. https://youtu.be/h8z5iALJnns

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  87. पर्यावरण अध्ययन के लिए जब हम बच्चों के साथ खासकर क्षेत्र भ्रमण पर होते हैं तो हमलोग सिर्फ पर्यावरण ही नहीं बल्कि तमाम विषयों को समाहित कर लेते हैं जैसे विज्ञान, हिंदी ,गणित आदि।

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  88. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर

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  89. Bachcho ko paryavarn adhdhyan ke ped podho aur jiv jantuo ki jankari dete h

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  90. पर्यावरण अध्ययन निश्चित रूप से एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। इसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। पर्यावरण अध्ययन में जिस क्षेत्र का हम अध्ययन करते हैं उसमें वैज्ञानिक उपलब्धियों, सामाजिक परिवेश, ऐतिहासिक घटनाओं, भौगोलिक परिस्थिति आदि का प्रभाव पड़ता है। निष्कर्षतः पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय है।

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  91. Environment education is very important for students to learnt about the nature and help for saving the world.

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  92. बालकों में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पोधों की जानकरजा देंगे।

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  93. बच्चों को आस पास केे पर्यावरण केे बारे जानकारी देगे और अधिक पेड पोधौ लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा

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  94. जिस प्रकार रात्रि में सोने और प्रातः जागने की क्रियाओं से आरंभ कर पूछा जा सकता है कि रात्रि में सूर्य कहाँ जाता है, दिन में तारे कहाँ जाते हैं आदि। इसके उपरांत आकाशीय पिण्डों, ग्रह, तारो आदि के विषय को भी छात्रों को सम्प्रेषित किया जा सकता है।

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  95. पर्यावरण एक एकीकृत विषय है जो छात्रों और शिक्षकों को चिन्तन करने और नवीन विचारों को जन्म देने का कार्य करता है ।

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  96. बच्चों को अपने आसपास के आवरण के बारे में बताना और पेड़ पौधों में जीव जंतुओं के बारे में जानकारी देना

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  97. बच्चों को अपने आसपास के आवरण के बारे में बताना और पेड़ पौधों में जीव जंतुओं के बारे में जानकारी देना

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  98. In class room it's create real natural filling.

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  99. बच्चों को उनके परिवेशिय पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान को सम्बद्ध करते हुए उनके अधिगम अनुभव को बढ़ाते हुए पर्यावरण का एकीकृत विषय क्षेत्र को प्रभावी बनाया जा सकता है।उदाहरण के तौर पर गतिविधि रुप में बारिश से जुड़े उनके अनुभव के साथ कुछ नये तथ्यों को एकीकृत करना।जैसे= बारिश-पानी- स्रोत-नदी-नदियों के नाम-उदगम -आदि आदि।

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  100. बच्चों को अपने आसपास के आवरण के बारे में बताना और पेड़ पौधों में जीव जंतुओं के बारे में जानकारी देना

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  101. पर्यावरण अध्ययन के अनुसार हमे पहले खुद पेड़ पौधे उगाने चाहिए ताकि बच्चे हमे देख कर जागरूक हो सके और प्रकृति के महत्व को समझ सके।

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  102. पर्यावरण अध्ययन के अन्तर्गत यह विचार किया जाता हैं। बच्चों को उनके आसपास उपलब्ध वनस्पतियों व परिस्थितियों से अवगत करवाना जिससे वे उनसे जुड़े, उनके प्रति जागरूक हो और उनके महत्व को समझें।

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  103. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं.

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  104. Bachchon me paryavaran ke prati ruchi utpann karna jisse bachchein paryavaran ke mahatva ko samajh sake kyoki paryavaran adhdhyan ek visay nahi hai apitu kai vishayoin ka samuh hai .

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  105. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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  106. अपने आस-पास की परिवेश अर्थात घर ,विद्यालय और पड़ोस की विभिन्न वस्तुओं पेड़- पौधों /जंतुओं/ पक्षियों के मूर्त/ सामान्य रूप से देखे जा सकने वाले लक्षणों जैसे -आवागमन वह स्थान जहां भी रहती हैं या पाए जाते हैं भोजन की आदतें उनकी ध्वनियों के आधार पर पहचानते हैं

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  107. बच्चों को उनके परिवेशिय पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान को सम्बद्ध करते हुए उनके अधिगम अनुभव को बढ़ाते हुए पर्यावरण का एकीकृत विषय क्षेत्र को प्रभावी बनाया जा सकता है।उदाहरण के तौर पर गतिविधि रुप में बारिश से जुड़े उनके अनुभव के साथ कुछ नये तथ्यों को एकीकृत करना।जैसे= बारिश-पानी- स्रोत-नदी-नदियों के नाम-उदगम -आदि आदि।
    Ravindra Kumar Yadav U P S Munari Cholapur Varanasi

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  108. पर्यावरण अध्ययन में पेड़-पौधे जीव जंतुओं भोजन आवास का अवलोकन कर आना खोज वर्गीकरण अंतर ढूंढना एवं लिखने का कौशल विकसित करना

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  109. पर्यावरण अध्ययन किसी एक बिषय से संबंधित नही है अपितु सभी विषयों से संबंधित है अतः हमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाबा देना चाहिए औऱ बच्चों को भी इसके बारे में बताना चाहिए।

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  110. Bilkul kyonki jab ham bachhon ko ped paudhon ke bare mein batayeinge tab use anya vishyon ko ko bhi jod sakte hain

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  111. Evs ko shiksha ke sath jodne se bachche evs ke sath aur bhi Jankari prapt krenge aur ruchi bhi lenge.

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  112. बालको में पर्यावरण के प्रति रुचि जागृत करने के लिए आसपास के पेड़ पौधों की जानकारी देंगें

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  113. पर्यावरण अध्ययन विभिन्न विषयों (जैसे- भाषा, गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, सामाजिक अध्ययन आदि) का संयोजन है।

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  114. अपने आस पास के परिवेश की जानकारी रखने में बच्चे ज्यादा उत्साहित रहतेहैं

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  115. पर्यावरण अध्ययन एक विषय न हो कर विषयों का एक समूह है। मैं जिस गांव के बच्चों को पढ़ाती हूं वहां यमुना नदी बहती है। यह बच्चों का स्थानीय परिवेश है मैं पर्यावरण का सहारा लेकर विज्ञान भूगोल कृषि

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  116. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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  117. पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिसमे हम भूगोल समाजशास्त्र आदि के विषय मे भी अध्ययन कर लेते है,अतः पर्यावरण स्वयं मे तो एक एकिकृत विषय है परंतु इसमे हम अन्य विषय का भी अध्ययन करते है |

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  118. प्रर्यावरण के अध्ययन के लिए बच्चों को उनके घर विद्यालय के आस पास के परिवेश की बस्तुयें, जैसे पेड़ पौधे, जीव-जंतुओं,नदी पर्वत झरनों से प्रत्यक्ष अनुभव करायेंगे।

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  119. पर्यावरण अध्ययन वास्तव में एक एकीकृत विषय ही नही हैं अपितु विभिन्न विषय-क्षेत्रों का एक समूह है। हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैं - प्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण-अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम ‘‘पर्यावरण-अध्ययन’’ कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं । बच्चों के लिए चाहे इन भिन्नताओं को रेखांकित न करें लेकिन शिक्षक को तो ये भिन्नताएँ ध्यान में रखनी होंगी। क्योंकि इसका सीधा असर सिखाने के तौर-तरीकों पर पड़ता है।

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  120. पर्यावरण विषय को हम विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बड़े रोचक और सरल तरीके से बच्चों को उनके आसपास के वातावरण से जोड़ कर अच्छे से समझा सकते हैं

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  121. Anything around us constitute our environment, so, to understand any individual and it's surrounding students need knowledge of environmental science

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  122. पर्यावरण अध्ययन को पढ़ाने के लिए बच्चों को आसपास के लोगों के बारे में बताते हैं पेड़ पौधों के बारे में समझाते हैं पेड़ पौधों की उपयोगिता जल का अपव्यय न हो उसके बारे में बताते हैं समुदाय की शिक्षा दी जाती है समस्त आसपास के समस्त चीजों को जोड़कर ही पर्यावरण अध्ययन पढ़ाया जा सकता है

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  123. पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है परंतु इसे अन्य विषयों के साथ जोड़कर अध्ययन किया जा सकता है जैसे विज्ञान में हम जल एवं जीवो के विषय में गहन अध्ययन कर सकते हैं जो वास्तव में पर्यावरण अध्ययन का ही क्षेत्र है

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  124. पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है परंतु इसे अन्य विषयों के साथ जोड़कर अध्ययन किया जा सकता है जैसे विज्ञान में हम जल एवं जीवो के विषय में गहन अध्ययन कर सकते हैं जो वास्तव में पर्यावरण अध्ययन का ही क्षेत्र है।

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  125. पर्यावरण विषय को रोचक तरीका से बच्चों के आस पास वातावरण से जोड़कर उनकी समझ विकसित कर सकते है और जल के महत्व को बता सकते है

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