Games, sports and some physical activities that we do in day to day life promote emotional health and well-being. Examples of some activities are Indoor activities: Crawl under tables, Use an object to practice balance, Jumping jacks, Dancing, Yogic activities …. Outdoor activities: Climbing a ladder, Jumping, crawling, and walking from one area to another, Zig-zag running between obstacles, Jump over various objects, Walking, ...Share some games, sports and activities, which help in fitness under each column. Take a moment to Reflect and post your comment in the comment box.
अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे।
ReplyDeleteLockdown के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद ऑनलाईन से फ़िर loudspeaker से बच्चों को पढ़ा रहे हैं
Deleteलॉकडाउन के कारण मेरे बगल के कबाड़े वाले बेरोजगार हो गए तो मैंने उन्हें राशन दिया तथा उनके बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया भी
Deleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
DeleteLockdown के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद ऑनलाईन से फ़िर loudspeaker से बच्चों को पढ़ा रहे हैं
DeleteWe have to be strong & follow govt rules & keep ourself & others safe
Deleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
Deleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से प्रबंधन को घोर अभाव था। मोबाईल ऐप आरोग्य सेतु से प्राप्त दिशा निर्देशों का पालन कर रहा था।
Deleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
Deleteमहामारी की जानकारी होने के बाद सरकार ने लोकडाउन किया है और महामारी को बहुत कुछ रोक दिया। वह समय बच्चों के लिए बहुत ही मुश्किल और कष्ट भरा हुआ था
DeleteAchanak lockdown ke Karan bahut paresani ka samana Karana pada lekin prasthiti ke anusar apane ap ko anukulit Kar Lena hi samajhdari hoti hai
Deleteअचानक लौक डाउन की घोषणा सुनकर कष्टदायक अनुभव तो था परन्तु महामारी के रोकथाम के लिए यह एक जरूरी कदम था।
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
चितन के द्वारा परिस्थिति को समझकर इसे आसानी से अपनी भावना को काबू किया जा सका।
ReplyDeleteBimari se bachne ke liye a to jaruri tha
ReplyDeleteFirst emotion was how to take library class during lockdown but thanks to the ongoining live classes and webinar that helped learning online tools and techniques .
ReplyDeleteबहुत धेर्य के साथ
ReplyDeletePahle aatankit hue. Kuchh naye term se parichit hue jaise social distancing, Look down, sanitizer etc. Ab lagta hai eye hamare jindgi ka hissa ban gaya.
ReplyDeleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
DeleteUnknown
अचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
Haan lockdown ke doran aur abhi bhi bahut dikkat ho rahe hai. Ve schools jo jangaloan se ghirein hein bahan taak pahuchna lockdown khulne ke baad aur bhe challenging hogaya hai. Par haan es doran jo bachoan ko call karke samjhana aur batana ek sunhara mauka aur learning experience hai.
ReplyDeleteLockdown is a kind of natural punishment.but we always careful.
ReplyDeleteराजेश कुमार kv nhpc सिंगताम
ReplyDeleteमुझे सबसे अधिक अकेलापन अनुभव हुआ ।
Covid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा सुनकर कष्टदायक अनुभव तो था परन्तु महामारी के रोकथाम के लिए यह एक जरूरी कदम था।
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
अचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
It is useful for students health.Now we are prepare for teaching in school with care and safety
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा सुनकर कष्टदायक अनुभव तो था परन्तु महामारी के रोकथाम के लिए यह एक जरूरी कदम था
ReplyDeleteलाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDelete
ReplyDeleteलौक डाऊन बहुत ही कष्टकारी था । लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता तो बहुत लोगों की जान चली जाती।
अचानक लोकडाउन के कारण कष्ट दायक अनुभव तो हुआ क्योंकि ऐसा न होता तो भारत में भी अमेरिका की तरह इस भयानक महामारी पर काबू पाना बडा कठिन हो जाता।सरकार का यह सराहनीय प्रयास था । लोकडाउन के दौरान मैंने घर पर रहकर समय का सदुपयोग किया और बच्चों के लिए कई प्रकार TLM तैयार किया ताकि स्कूल खुलने पर इस शिक्षण सामग्री की सहायता से बच्चों को सक्षम करने में मदद कर सकूं
ReplyDeleteLockdown had its own positive and negative points. The world was suffering due to crises but while staying at home people learned new skills. It highlighted the importance of online education and children continued their study despite being at home.
ReplyDeleteकुरौना जब शुरू शुरू हुआ तब डर बहुत ज्यादा था कभी लगता था कि हमें उठकर लोगों का साथ देना चाहिए सामूहिक तौर पर कुछ प्रयास करके इस को हराना चाहिए हमने तय किया था कि कुछ भी हो जाए हम सब अपने परिवार के साथ ही रहेंगे और भरपूर साथ देंगे चाहे वह परिवार हो चाहे समाज
ReplyDeleteLockdown is a natural punishment but we always careful in this situation
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया
ReplyDeleteCOVID 19 का जब नाम सुना तो लोग इतना घबरा गए उन्होंने घर से बाहर निकलना बिल्कुल बंद कर दिया सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसी ऐसी भयानक पिक्चर और वीडियो पोस्ट की जाने लगी जिन्हें देखकर यह लगने लगा कि अगर घर में रहेंगे तो ही जिंदा रह सकते हैं बाहर निकलते ही मौत।
ReplyDeleteफिर सरकार के आदेश अनुसार बच्चों को घर घर मिड डे मील के तहत सुखा राशन बांटने की जिम्मेदारी दी गई। जिसे अध्यापकों ने बखूबी निभाया और इस दौरान हमारे कुछ साथी इस भयावह बीमारी का शिकार भी हुए।
लोक डाउन से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा . बच्चों की पढ़ाई अस्त - व्यस्त हो गई मैंने बड़ी मुश्किल से बच्चों की पढ़ाई जारी रखवाई बच्चों को फोन पर पढाई जारी रखने के लिए मोटिवेट किया बच्चों को व्टस्अप और SMS के द्वारा पढाई करवाई
ReplyDeleteलोक डाउन अचानक होने से एकबारगी तो मुझे डर के मारे बुखार आ गया। कुछ घंटों के बाद मैंने अपने आपको संभाला और लोगों को इस बीमारी के संक्रमण से बचाव की जानकारी देने हेतु सुबह शाम गलियों, मोहल्लों में BLO का दायित्व निभाया।
ReplyDeleteLockdown had both pros and cons.
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान मुझे विद्यालय के बच्चों के व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने का मौका मिला। ग्रुप में रहते हुए मैंने साथ ही शिक्षकों और माता-पिता तथा बच्चों की व्यवहारिक समस्याओं को समझा और अपने स्तर पर दूर करने का प्रयास किया। इन कार्यों में मैं बहुत अधिक सफल तो नहीं हुआ लेकिन मेरे प्रयासों से कुछ बच्चे और साथ ही शिक्षक अवश्य लाभान्वित हो सके।
ReplyDeleteWe had to make lot of efforts to assure the people this disease is Very fatal. and took all the responsibility of the house.and remain personal touch with parents and and students
ReplyDeleteचितन के द्वारा परिस्थिति को समझकर इसे आसानी से अपनी भावना को काबू किया जा सका।
ReplyDeleteलोक डाउन से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा . बच्चों की पढ़ाई अस्त - व्यस्त हो गई मैंने बड़ी मुश्किल से बच्चों की पढ़ाई जारी रखवाई बच्चों को फोन पर पढाई जारी रखने के लिए मोटिवेट किया बच्चों को व्टस्अप और SMS के द्वारा पढाई करवाई
ReplyDeleteRight
DeleteVery imotional and learnt to stay strong and healthy
ReplyDeleteलाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDelete
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ । जितना हम से हो सकता था , वो किया। कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया। कुछ लोगों की आर्थिक रूप से सहायता की।अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके।समाजिक दूरी बनाए रखी व कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा।अपनो के सुख-दुख में शामिल नहीं सकते थे। जैसे तैसे करके media के माध्यम बेहतर शिक्षा देने के प्रयास किए
लाकडाउन से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होने के कारण करोड़ों लोगों की जान जा सकती थी।
कोविड 19 जैसी बिमारी को सुनकर घबराहट स्वभाविक थी, ऐसे में कितनों के रोजगार छिन गये,ऐसे समय में यथा संभव मदद की कोशिश की, बच्चों को व्हाट्सएप, एवं फोन के माध्यम से संपर्क किया।
ReplyDeleteलौक डाउन के दौरान जिन लोगों, परिवारों को छोटे छोटे घरों में रहना था और घरों से बाहर भी नहीं निकलना था उनके बारे में सोचकर बड़ा कष्ट हुआ था । चितन के द्वारा परिस्थिति को समझकर अपनी भावना को काबू किया और ऑनलाइन शिक्षण कार्य में लगा रहा।
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
लॉक डाउन की घोषणा काफी कष्टदायक थी ,एक डर भी था, पर महामारी पर रोक लगाने के लिए बहुत जरुरी कदम था।
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeletesukh dukh brabar chlten hain.esliye hme gharana nhi chahiye.kast jarur hota lekin dhriya rakhna chahiye.hmne corona par vijay pa lee hai.logo ne ek dusre ke sath khoob coprate kiya.hm ne sarkar dawara nirdesho ka palan kiya,nibhaya,corona door kiya,or sankat par kar liya.aarthik hani to hue lekin jan hai to jhan hai.
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeleteलॉकडाउन के कारण मेरे बगल के कबाड़े वाले बेरोजगार हो गए तो मैंने उन्हें राशन दिया तथा उनके बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया भी
ReplyDeleteलोकडाउन के समय परेशानी का सामना करना पड़ा, परंतु पर्यावरण में अधिक से अधिक सुधार हुआ ।
ReplyDeleteLockdown help to control corona 19 spred
ReplyDeleteMaie Lock down ke Karan ghar pr rhe bachcho ko unke interest ke according work karne ke liye encourage Kiya.
ReplyDeleteAnil Kumar Verma
ReplyDeleteUMS HUDMUD Simaria Chatra
Covid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ । जितना हम से हो सकता था , वो किया। कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया। कुछ लोगों की आर्थिक रूप से सहायता की।अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके।समाजिक दूरी बनाए रखी व कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा।अपनो के सुख-दुख में शामिल नहीं सकते थे। जैसे तैसे करके media के माध्यम बेहतर शिक्षा देने के प्रयास किए
कोविड-19 महामारी के प्रारंभिक काल से ही हमारा विद्यालय प्रशासन सजग हो गया था । इसका परिणाम है कि सभी छात्र एवं कर्मचारी सुरक्षित हैं। हम सभी अध्यापकों ने लॉक डाउन समय के निर्देशित समयानुसार व्हाट्सएप गूगल मीट आदि माध्यमों से अपना अध्यापन कार्य प्रारंभ रखा । जिससे अध्ययन- अध्यापन कार्य के साथ मनोवैज्ञानिक सम्बल संबंध बना रहा। अनभ्यास की स्थिति भी उपस्थित नहीं हुई।
ReplyDeleteहर परिस्थितियों का सामना करना हर व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होना चाहिए। संयम के साथ आवश्यकतानुरूप मार्गों का चयन कर आगे बढ़ना हमारा कर्तव्य है। जिसमें हम सभी ने सफलता प्राप्त की।
डॉ ० बी पी मिश्र
डीपीएस विंध्यनगर सिंगरौली मध्य प्रदेश
फरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteलाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDeleteक्षितिज नीलिमा
ReplyDeleteकोविड़-19 का समय सभी के लिए बहुत ही कष्टकारक था |हर तरफ लोगो का व्यवसाय जाना, कोविड़ की बीमारी से संक्रमित होते हुए लोग , भूख से बेचैन होते हुए लोग, छात्रों की शिक्षकों के साथ बढ़ती हुई दूरी को देखकर मन विदीर्ण हो रहा था| लेकिन हर परिस्थितियों का सामना करना हर व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होना चाहिए। अत: ऑनलाइन कक्षा के माध्यम से छात्रों की समयाओं का समाधान हुआ | संयम के साथ आवश्यकतानुरूप मार्गों का चयन कर आगे बढ़ना हमारा कर्तव्य है। जिसमें हम सभी ने सफलता प्राप्त की।
Lockdown के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद ऑनलाईन ,avsar app से पढ़ाई करवायी।
ReplyDeleteCorona me lockdown lagana el sarahniy kadam tha jiska skaratmak Adar hua.
ReplyDeleteअकल्पनीय व असमंजस की स्थिति में स्वयं को सुरक्षित रखने के साथ साथ आस पास भी सावधानी बरतनी तथा ऐसे माहौल में अभिभावकों को भी अपने बच्चों के लिए सहयोग बनाये रखने की कोशिश करना एक अलग चुनौती थी। पर सरकार के निर्देशन में सभी ने इस स्थिति से निपटने के लिए सहयोग बनाये रखा। अब धीरे-धीरे इस स्थिति से बाहर आते जा रहे हैं।
ReplyDeleteशुरुआत में लॉकडाउन की अवधि वास्तव में बहुत चुनौतीपूर्ण और तनावपूर्ण थी। मैं भावनात्मक रूप से बहुत परेशान था, यह वास्तव में मेरे स्वास्थ्य पर भारी पड़ा। लेकिन बाद में ध्यान के साथ योग करने लगा और जल्दी ही इसकी आदत हो गई। शुरुआत में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करना भी एक चुनौती थी, इस तरह मैं नई तकनीक सीखने और छात्रों के लिए बहुत सारी ई-सामग्री तैयार करने के अभ्यास से लॉकडाउन के समय को आसानी से पार कर लिया।
ReplyDelete
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
अनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती l
Covid-19 के कारण बहुत लोग बेरोजगार हो गए मेरे पड़ोस में किराये पर रहने वाली एक फैमिली की पैसे व पुराने कपड़े उनके बच्चों को दिए ,व सूखा राशन भी देकर उनकी मदद की।
ReplyDeleteDuring lockdown period we face lots of emotional changes tried to help board Students online ,and make them comfortable to be during lockdown so that they can face situation of confusion related to exams and be hopeful for future process
ReplyDeleteIt was a new and unexpected experience for all to remain in houses. Especially for teachers it was very difficult as schools were closed. But we taught students through online study. Now hope that soon this difficult time will come to an end.
ReplyDeleteलोक डाउन से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा . बच्चों की पढ़ाई अस्त - व्यस्त हो गई मैंने बड़ी मुश्किल से बच्चों की पढ़ाई जारी रखवाई बच्चों को फोन पर पढाई जारी रखने के लिए मोटिवेट किया बच्चों को व्टस्अप और SMS के द्वारा पढाई करवाई
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
Very good
ReplyDeleteलोकडाउन के समय मुझे covid19 सर्वे में लगा दिया जहाँ मेने सर्वे के दौरान लोगो मे एक दूसरे से दूरिया बनाते व अपनो को अपनो से दूर रहते देखा, लोगो की जीवनशैली ही बदल गई, अगर कोई इस वायरस की चपेट में आया है तो उसके घर वाले भी उससे दूरिया बनाने लग गए , तब लगा जीवन में सदैव अच्छे कर्म करते रहो विपत्ति में सगे भी कम ही साथ देते है, और कर्म ही हमारे भविष्य निर्माता हैं
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeleteCovid सर्वे में भरपूर सहयोग कर सूचना ए संग्रहित कर सरकारी योजनाओं को सफल बनाने का प्रयास किया
भागती-दौड़ती ज़िंदगी में अचानक लगे इस ब्रेक और कोरोना वायरस के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है.
ReplyDeleteइस बीच चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं.
Lockdown k Duran mn m ak dr baith gya tha ki covid s bchna bhut mushkil h.dil m ye baat ghr kr gyi thi ki kisi ko touch krne s bhi hm corona positive ho jyege lakin baad m dhire dhire sb norml ho gya or hmare ander positive energy aa gyi jis m govt k dwara chalaye gye abhiyan ka vishesh yogdaan rha h.
ReplyDeleteSuddenly hearing the announcement of lockdown was a painful experience but it was a important step to prevent the epidemic.
ReplyDeleteसमय और परिस्थितियों को देखते हुए lockdown आवश्यक था खासकर शिक्षा और रोजगार के लिए कष्ट दायक रहा
ReplyDeleteDuring lockdown many of our student's parents moved from here to their native place due to loss of their job.It was very painful moment for everyone
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeleteलोकडाउन के दौरान मैंने घर पर रहकर समय का सदुपयोग किया और बच्चों के लिए कई प्रकार TLM तैयार किया ताकि स्कूल खुलने पर इस शिक्षण सामग्री की सहायता से बच्चों को सक्षम करने में मदद कर सकूं
समय और परिस्थितियों को देखते हुए lockdown आवश्यक था खासकर शिक्षा और रोजगार के लिए कष्ट दायक रहा
ReplyDeleteLockdown के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद ऑनलाईन से फ़िर से बच्चों को पढ़ा रहे हैं
ReplyDeleteलॉकडाउन का समय काफी तकलीफों से भरा था लेकिन बहुत कुछ नया सीखने को मिला | धैर्य के साथ ये भी समय निकल गया| एक बात जरुर समझ में आ गयी हर समस्या अपना समाधान ले कर आती है हमने सोचा बच्चों की पढाई को विराम लग जायेगा लेकिन इतना फर्क नही पड़ा जितना सोचा था |
ReplyDeletehelpfull
ReplyDeleteलोक डाउन के समय काफी परेशानियां उठानी पड़ी लेकिन इसके बावजूद हमने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देना प्रारंभ किया वह एक एक बच्चे से जाकर मिलना वह उसको गृह कार्य देना जिससे बच्चों की पढ़ाई ज्यादा बाधित नहीं हो पाई।
ReplyDeleteDuring lockdown experienced many emotional situations such as labourers' pitiful state which occurred in lockdown.The children who couldn't get phones etc .
ReplyDeleteBut the most experience of life i felt is that - patience to see things in various situations.
कोविड़-19 का समय सभी के लिए बहुत ही भयानक रहा | तालाबंदी (लोक डाउन) के समय काफी परेशानियां उठानी पड़ी | इसके बावजूद हमारे संस्था के अध्यक्ष एवं प्रधानाचार्यों के सहयोग से सभी अध्यापक / अध्यापिकाओं ने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए प्रारंभ किया गया जिससे बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा बाधित नहीं हो पाई।
ReplyDeleteहर तरफ लोगो का व्यवसाय, कोविड़ की बीमारी से संक्रमित होते हुए लोग , भूख से बेचैन होते हुए लोग यह सब देखकर मन दुखी होता था | | लेकिन हर परिस्थितियों का सामना करना हर व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होना चाहिए। अत: ऑनलाइन कक्षा के माध्यम से छात्रों की समयाओं का समाधान हुआ | संयम के साथ आवश्यकतानुरूप मार्गों का चयन कर आगे बढ़ना हमारा कर्तव्य है। जिसमें हम सभी ने सफलता प्राप्त की।
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ReplyDeleteलॉकडाउन में उसकी नौकरी छोड़ने के बाद मेरी एक सहेली की मैंने बहुत मदद करी
ReplyDeleteलॉकडाउन में मेरी दोस्त की नौकरी चली गई थी इसलिए मैंने उसकी आर्थिक सहायता की
ReplyDeleteLockdown ke Duran bahut pareshani hui kintu fir bhi hamne bacho ko padane Ka jimma uthaya or online padhai shuru karvayi. During lockdown many emotional situations such as labourer's pitiful state which occurred in lockdown . The children couldn't get phones etc.
ReplyDeleteIt's a complete turmoil and chaos and took some time to understand and comprehend what is happening and being with family members at different places it's also a concern about safety of loved ones ,took sometime and understood whatever it is it needs some time to cope so stood stronger emotionally and bigger challenge is to how teach children with unconventional approach , how to complete syllabus , for a quite sometime whole world is in bubble , the strength and care of loved ones kept mental pyche intact and going
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान बहुत परेशानी होने के बाबजूद भी बच्चों को पढ़ाया।और बच्चों को पढ़ने और सुरक्षित रहने के प्रेरित किया।
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
फरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteLockdown mein meine baccho ko library online class li. Jisse bacho ko motivated, educational, moral etc stories video dikhai. Bache bahut enjoy kartey hai. Bacho ko protection of covid 19 related guideline di
ReplyDeleteदेशबंदी का शुरुआती दौर सबके लिए अत्यधिक पीड़ादायी रहा| बाद में एहतियात बरतते हुए बच्चों से मिलकर तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों की सहायता से शिक्षण सुचारू किया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक साधनों के अभाव के कारण पूर्ण सफलता नहीं मिल रही|
ReplyDeleteDuring lockdown many physical problems arises .I overcome these problems by doing meditation and yoga.
ReplyDeleteApne aas pass ke baccho ko lockdown ka palan or mask senitaijar baar hath dhone aadi sbhi savdhanoiyo ka palan krna sikhaya or in niymo ka palan krte huye baccho ko pdaya bhi
ReplyDeleteLockdown ka samay bahut hi difficult tha.Students ke exams complete nhi hue. Isliye students study ke liye bahut pareshan ho gaye.But education department ki on line study bahut hi safal rahi Benifit bhi hua ki lockdown ki wajah se pollution kam hua , family members ne ek doosre ko help bhi ki or ye mushkil samay bahut hi savdhani se Covid 19 ke rules ko follow karte hue paar kiya.
ReplyDeleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से आदेश आए कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाएगी जिसके बारे में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि गांव में अभिभावकों के पास स्मार्टफोन बहुत कम थे अगर थे भी तो उसमें डाटा बहुत कम होता था बहुत से अभिभावकों के पास छोटे बच्चों वाले फोन थे कुछ तो ऐसे भी थे जिनके पास फोन नहीं थे की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी फर्क पड़ा परंतु सरकार द्वारा कदम उठाए गए जिसमें बच्चों को एजुसेट के माध्यम से पढ़ाई कराई गई
ReplyDeleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से आदेश आए कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाएगी जिसके बारे में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि गांव में अभिभावकों के पास स्मार्टफोन बहुत कम थे अगर थे भी तो उसमें डाटा बहुत कम होता था बहुत से अभिभावकों के पास छोटे बच्चों वाले फोन थे कुछ तो ऐसे भी थे जिनके पास फोन नहीं थे की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी फर्क पड़ा परंतु सरकार द्वारा कदम उठाए गए जिसमें बच्चों को एजुसेट के माध्यम से पढ़ाई कराई गई
ReplyDeleteघर से ब्लैक बोर्ड लगा कर वीडियो बनाकर
ReplyDeleteव्हटस्प के मादियम से पढ़ाया।
Covid-19 ke dauran bahut se bacche jinke pass mobile nahin tha vah log ghar per the unke pass padhne ki koi bhi suvidha nahin thi tu to main unhen Ghar mein Apne se padhna shuru kar diya aur ek alag Anubhav hua aur man bahut prasann hua
ReplyDeleteThe global Covid-19 pandemic unexpectedly entered our lives and put everything to a halt. It affected the lives of people around the world bringing a flood of tension and worries followed by negative thoughts and piles of boredom. But I took it as a challenge to handle this situation with determination and positivity thereby taking advantage of the lockdown.
ReplyDeleteरोज़मर्रा से अलग हटकर दिनचर्या थी । कोरोना काल में कम्प्यूटर तकनीक काफी सहायक रही । वट्सऐप, ज़ूम मीटिंग के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया व स्वयं भी सीखा। हमारी प्राचीन संस्कृति व परम्पराओं के महत्व को जाना व समझा। प्रकृति से जुड़े। कर्मठता व सकारात्मकता के साथ विपरीत परिस्थितियों से लड़ना सीखा । नये साल के साथ covid 19 dryrun की प्रक्रिया का आरंभ होना शुभ संकेत है ।
ReplyDeleteLockdown me b
ReplyDeleteलाकडाउन में डिजिलेप के माध्यम से छात्रों को पढाया गया
ReplyDeleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से आदेश आए कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाएगी जिसके बारे में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि गांव में अभिभावकों के पास स्मार्टफोन बहुत कम थे अगर थे भी तो उसमें डाटा बहुत कम होता था बहुत से अभिभावकों के पास छोटे बच्चों वाले फोन थे कुछ तो ऐसे भी थे जिनके पास फोन नहीं थे की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी फर्क पड़ा परंतु सरकार द्वारा कदम उठाए गए जिसमें बच्चों को एजुसेट के माध्यम से पढ़ाई कराई गई
ReplyDeleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से आदेश आए कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाएगी जिसके बारे में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि गांव में अभिभावकों के पास स्मार्टफोन बहुत कम थे अगर थे भी तो उसमें डाटा बहुत कम होता था बहुत से अभिभावकों के पास छोटे बच्चों वाले फोन थे कुछ तो ऐसे भी थे जिनके पास फोन नहीं थे की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी फर्क पड़ा परंतु सरकार द्वारा कदम उठाए गए जिसमें बच्चों को एजुसेट के माध्यम से पढ़ाई कराई गई
ReplyDeleteIn this epidemic situation we need to maintain a safe distance and keep ourself and others safe.And in schools also we need to take care of all the safety measures so that students should also be safe and they can do well in studies.
ReplyDeleteLockdown के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद ऑनलाईन से फ़िर loudspeaker से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
ReplyDeleteलोक डाउन होने की वजह से हमें भी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा स्कूल कॉलेज ऑफिसर सब बंद हो गए थे जैसे हम घर में बिल्कुल क्या दोगे लेकिन फिर धीरे-धीरे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरू किया और हमारे खुद के बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ने लगे अनुभव रहा हमारा लॉकडाउन में
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा| हम बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं लेकिन बच्चों के पास टच मोबाइल और नेटवर्क जैसी सुविधा नहीं है ऑनलाइन शिक्षा देना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और जब बच्चे मोबाइल संबंधी अपनी कोई भी समस्या शिक्षक को बताते हैं तब शिक्षक भावनात्मक रूप से आहत होता है
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा सुनकर कष्टदायक अनुभव तो था परन्तु महामारी के रोकथाम के लिए यह एक जरूरी कदम था।
ReplyDeleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteलाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDeleteमार्च का महीना शिक्षक व विद्यार्थी वर्ग के लिए विशिष्ट व व्यस्त होता है | लॉकडाउन के कारण हमारा जीवन ठहर-सा गया | बोर्ड परीक्षाओं के साथ-साथ घरेलू परीक्षाएँ भी स्थगित कर दी गईं | कुछ दिनों तक असमंजस की स्थिति रही और अंततः परीक्षाफल घोषित कर दिया गया | ज़िंदगी मानो थम-सी गई थी | संक्रमण से बचने के लिए हम घरों में कैद हो गए, सामाजिक दूरी का पालन दृढ़ता से करने लगे | इस दौर में मोबाइल ने 'लाइफ लाइन' का काम किया | अप्रैल माह में कक्षाओं का संचालन जब शुरू किया गया तो शिक्षण-अधिगम की इस नई प्रक्रिया ने हमारे समक्ष अनेक चुनौतियाँ खड़ी कीं | हम समुद्र में गोते लगाने का प्रयास करते रहे और भिन्न-भिन्न तकनीक अपनाते रहे | एक तरफ कोविड-19 का खौफनाक मंज़र मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था तो दूसरी तरफ आवश्यक वस्तुओं की अनुपलब्धता भी कम परेशान नहीं कर रही थी | अमेरिका की स्थिति हमें डरा रही थी, किन्तु उचित समय पर लिए गए कुछ कठोर निर्णय ने हमारे देश को बधाल होने से बचा लिया | यद्यपि अनेक लोगों ने अपनी जान गँवाई, मजदूरों ने भूखमरी झेली, बहुतों ने नौकरियाँ खोईं, परंतु मानवता ने यहाँ भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी |
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में मेरा यह मानना है कि इस विषम परिस्थिति ने चुनौतियों के साथ-साथ हमें सक्षम भी बनाया | शिक्षण की नई तकनीक व विधियों से अवगत करवाया | मार्ग अभी भी आसान नहीं है, परंतु आशा है कि वैक्सीन के आगमन के साथ परिस्थितियाँ बदलेंगी और 2021 हमारे लिए सुखद भविष्य अवश्य लाएगा |
We have to be strong & follow govt rules & keep ourself & others safe
ReplyDeleteलॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteDeepak Singh
SJCS Kotma
Covid महामारी के दौर में चारों और अनिश्चितता का माहौल लोगो में डर फैला हुआ था ।बहुत से लोग बेरोजगार हो गए ।अपने परिवार के बारे में सभी चिंतित थे ।लेकिन लोगों की लापरवाही देख कर मुझे कष्ट हुआ ।सरकार की और से सब कुछ किया जा रहा है लेकिन लोग खुद अपने जीवन के प्रति सजग नही दिखते ।गरीब लोगों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिये संसाधन नही है और उनकी सहायता नही की जा रही है इसे देखकर अच्छा नही लगा ।
ReplyDeleteलोक डाउन से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा . बच्चों की पढ़ाई अस्त - व्यस्त हो गई मैंने बड़ी मुश्किल से बच्चों की पढ़ाई जारी रखवाई बच्चों को फोन पर पढाई जारी रखने के लिए मोटिवेट किया बच्चों को व्टस्अप और SMS के द्वारा पढाई करवाई और covid control room में duty दी
ReplyDeleteलॅडाउन का होना दुखद तो था,लेकिन जरूरी था।इससे जाने बचाने में मदद मिली ।
ReplyDeleteअपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे
ReplyDeleteपहले मैं बहुत चिंतित हुई कि मैं कैसे ऑनलाइन क्लास शुरू करो सबसे पहले जूम एप डाउनलोड किया और शुरू में मुझे इसे ऑपरेट करना बड़ा मुश्किल हुआ लेकिन एक-दो दिन में ही मैं इस में एक्सपर्ट हो गई और यही चीज बच्चों के सामने थी कि वह कैसे ऑनलाइन क्लास करें। फिर मैंने उन्हें इससे संबंधित कई जानकारियां फोन के द्वारा दी और और इस प्रकार हमारी क्लासेस बड़े अच्छे से सफल रही
ReplyDeleteकोविड-19 महामारी के प्रारंभिक काल से ही हमारा विद्यालय प्रशासन सजग हो गया था । इसका परिणाम है कि सभी छात्र एवं कर्मचारी सुरक्षित हैं। हम सभी अध्यापकों ने लॉक डाउन समय के निर्देशित समयानुसार व्हाट्सएप गूगल मीट आदि माध्यमों से अपना अध्यापन कार्य प्रारंभ रखा । जिससे अध्ययन- अध्यापन कार्य के साथ मनोवैज्ञानिक सम्बल संबंध बना रहा। अनभ्यास की स्थिति भी उपस्थित नहीं हुई।
ReplyDeleteहर परिस्थितियों का सामना करना हर व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होना चाहिए। संयम के साथ आवश्यकतानुरूप मार्गों का चयन कर आगे बढ़ना हमारा कर्तव्य है। जिसमें हम सभी ने सफलता प्राप्त की।
लोक डाउन के दौरान सारे बाजार बंद हो गए सभी दुकानदार बेरोजगार हो गए बेरोजगार हो गए खाने पीने की चीजों का अभाव हो गया था गरीब लोगों के सामने रोजगार की समस्या पैदा हो गई थी फिर मैंने लोगों को खाने पीने की ओर आवश्यक चीजों को दान किया पशु पक्षियों के लिए विशेष ध्यान रखा पास पड़ोस के लोगों की सहायता की यह कार बड़ा ही कष्टदायक था मास्क बांटे गए
ReplyDeleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
Deleteमार्च से नवंबर तक का समय में हम लोगो इस बात का आभास हो गया कि विषम परिस्थितियों में भी हम कैसे एकजुट रहकर काम कर सकते है । माना कि यह समय प्रतिकूल नहीं था पर हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।बच्चो की पढ़ाई में कोई व्यवधान ना हो इसके लिए हमने ऑनलाईन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ना सीखा जो अपने आप में एक अलग ही अनुभव था।माना कि नेंटवर्क कीभी बहुत परेशानी थी पर यह वक़्त हमको बहुत कुछ सीखा गया।
ReplyDeleteकोविड-19 महामारी के प्रारंभिक काल से ही हमारा विद्यालय प्रशासन सजग हो गया था । इसका परिणाम है कि सभी छात्र एवं कर्मचारी सुरक्षित हैं। हम सभी अध्यापकों ने लॉक डाउन समय के निर्देशित समयानुसार व्हाट्सएप गूगल मीट आदि माध्यमों से अपना अध्यापन कार्य प्रारंभ रखा । जिससे अध्ययन- अध्यापन कार्य के साथ मनोवैज्ञानिक सम्बल संबंध बना रहा। अनभ्यास की स्थिति भी उपस्थित नहीं हुई।
ReplyDeleteहर परिस्थितियों का सामना करना हर व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होना चाहिए। संयम के साथ आवश्यकतानुरूप मार्गों का चयन कर आगे बढ़ना हमारा कर्तव्य है। जिसमें हम सभी ने सफलता प्राप्त की।
लॉक डाउन की अवधि के दौरान अनेक भावनात्मक अनुभव हुए जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं कि विद्यार्थियों को इस समय अधिक अध्ययन की आवश्यकता थी तो साक्षात तो अध्ययन नहीं करवाया जा सकता था फिर भी उपलब्ध संचार माध्यमों के द्वारा अधिकाधिक अध्ययन करवाने तथा लोक डाउन के समय सावधानियां अपनाने के लिए बताया गया तथा समय-समय पर घर में ही रहकर योग, व्यायाम ,आसन ,खेल इत्यादि गतिविधियां करने के लिए प्रेरित किए गए तथा मैंने खुद ने भी इनका अनुसरण किया।
ReplyDeleteकोरोना जैसी महा मारी के बाद जीवन बहुत अव्यवस्थित से हो गया था और मैंने कविता और लेखों के द्वारा समाज को जागरूक करने का प्रयास किया । मेरी एक कविता प्रस्तुत है ।
ReplyDeleteकोरोना ,अब तेरी बारी है ।
एक कोरोना अब तेरी बारी है, जन-जन को त्रस्त कर ने भेष बदल कर आई हो
राक्षसी रूप धर ए मूर्ख
हम को डराने आई हो ,
हौसले हैं मेरे बुलंद ,
तू डिगा न पाएगी ,
तुझे परास्त होना ही होगा ,
क्योंकि मेरा प्रयास जारी है ।।
यह कोरोना अब तेरी बारी है।।
अथाह समुद्र का मंथन किया, सूरज को मुट्ठी में भीच लिया फैसला मिटा सीमाओं को लांघ लिया ,
घर में बस कर है तुझको जीत लिया ,
मेरे मजबूत इरादों को तू ही हिला न पाएगी ,
तुझे परास्त होना ही होगा ,
क्योंकि मेरा प्रयास जारी है ।
ए कोरोना अब तेरी बारी है।।
खिलेगी धूप अवसाद का कोहरा छँटेगा ,
खौफ का मंजर अब यूं ही ना रहेगा ,
मन का तम मिटा दीप यूं ही जलेगा,
हमारे आत्मविश्वास को डिगा ना पाएगी ,
काबू पाकर तुझ पर धरा जगमगाएँगी ,
अखंड भारत के विश्वास को तू हरा न पाएंगी,
तुझे परास्त होना ही होगा ,
क्योंकि मेरा प्रयास जारी है ।।
ए कोरोना ,अब तेरी बारी है ।।
पूनम शुक्ला
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षिका
केंद्रीय विद्यालय पूर्वोत्तर रेलवे बरेली
कोविड -19 की महामारी के भयानक परिणामो को हमारे विद्यालय और विभाग ने आरम्भ में ही पहचान लिया था जिसके चलते स्कूल बंद कर दिया और छात्रों को इससे बचाव के तरीके सुझाए l एक अध्यापक के नाते मैंने छात्रों से फोन के माध्यम से सम्पर्क बनाये रखा उनको फोन के माध्यम से whats app द्वारा काम दिया जाता है l ऑनलाइन टेस्ट तैयार करके मैं भेजता हूँ l छात्रों को अच्छे से में समझा सकू उसके लिए विभिन्न एप्लीकेशन के द्वारा वीडिओ भी बनाकर भेजे गए जिससे छात्रों को कंटेंट समझने में सहायता मिलती है l
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित हो जाती ,बच्चो की पढ़ाई में कोई व्यवधान ना हो इसके लिए हमने ऑनलाईन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ना सीखा जो अपने आप में एक अलग ही अनुभव था
लाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई।किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDeletelockdown ke dauran Ek Sabse Badi chunauti thi bacchon ko padhaanaa joki bacchon ke pass smartphone ki bahut Kami thi unke Paas jio ke Chhote phone the Jin par bahut acchi Tarah Se Kam Nahin Kiya Ja sakta tha na hi koi online class Laga Sakte the yadi Ham camere se koi video Banakar bhejte the to bacchon Ko vah download karne mein bahut dikkat hoti hai isliye maine YouTube per Apna channel Banaya aur apni Sabhi videos per download ki Aur bacchon Ko bheji jo bhi jio ke phone per bahut acchi Chalti Hai jisse bacchon Ko samajhne Mein Aasan Nahin Hoti bacchon ko varg Book mein se bhi kam karne ke liye prerit Kiya bacchon ko Diksha App se material Lekar bacchon ki taiyari kare aur quiz ke liye बार-बार बच्चों को उत्साहित किया
ReplyDeletebefore lockdown I was using simple phone then I switched to an android phone.....my experience with android was just like a kid who starts to learn walking or any of the job......but no I am comfortable with it and I learned so many new things which I was not aware about earlier.
ReplyDeleteWe have to be strong & follow govt rules & keep ourself & others safe
ReplyDeleteबीमारी से बचने के लिए लॉकडाउन जरूरी था
ReplyDeleteकोविड -19 की महामारी के भयानक परिणामो को हमारे विद्यालय और विभाग ने आरम्भ में ही पहचान लिया था जिसके चलते स्कूल बंद कर दिया और छात्रों को इससे बचाव के तरीके सुझाए l एक अध्यापक के नाते मैंने छात्रों से फोन के माध्यम से सम्पर्क बनाये रखा उनको फोन के माध्यम से whats app द्वारा काम दिया जाता है l ऑनलाइन टेस्ट तैयार करके मैं भेजता हूँ l छात्रों को अच्छे से में समझा सकू उसके लिए विभिन्न एप्लीकेशन के द्वारा वीडिओ भी बनाकर भेजे गए जिससे छात्रों को कंटेंट समझने में सहायता मिलती है l
ReplyDeleteदेखा जाए तो एकदम से लॉकडाउन करना कहीं न कहीं अदूरदर्शिता का एक उदहारण था फिर भी जहां तक संभव हुआ हमने उन लोगों की मदद की जिन्हें आवश्यकता थी | एक तो घर में एक तरह से कैद रहे ऊपर से न्यूज़ चैनल्स में हर समय कोरोना-कोरोना हो रहा था जिस से सभी का आत्मबल कमजोर हो रहा था | उस समय मैंने न्यूज़ चैनल्स देखने छोड़ दिए और स्कूल के बच्चों का व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाया और पढाई करवानी शुरू की और समय समय पर वीडियो कॉल द्वारा बच्चों की पढाई में भी सहायता की और उनके संबल को बढ़ाने में मदद की जिस से मुझे स्वयं को संतुष्टि भी मिली और आत्मबल भी बढ़ा |
ReplyDeleteकोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा की थी जिसमें दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले मजदूर वर्ग के लोगों को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा रोजगार छिन जाने के कारण उनके पास अपने गृह राज्य में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था जबकि परिवहन के सभी संसाधन रेल बस सिंह बंद की जा चुकी थी जिसके चलते उन गरीब मजदूरों को पैदल ही वह सफर तय करना पड़ा जोकि बहुत ही कठिनाइयों भरा था
ReplyDeleteपरीवार के बुढे
ReplyDeleteमा बाप का ख्याल रखा।
पङौसीयो की मदद की एव उन्हे हमेशा हिदायत दी।
लॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्थिति ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से प्रबंधन को घोर अभाव था। मोबाईल ऐप आरोग्य सेतु से प्राप्त दिशा निर्देशों का पालन कर रही थी
ReplyDeleteWE HELPED THE PEOPLE IN OUR SURROUNDING.
ReplyDeleteWE HELPED THE PEOPLE IN OUR SURROUNDING.
ReplyDeleteमै उमा चौहान सहायक शिक्षिका के पद पर एकीकृत नवीन माध्यमिक शाला मोरघडी कॉलोनी मे पदस्थ हूँ। वैश्विक महामारी के कारण मार्च माह मे जब लॉकडॉउन लगा तो घर से बाहर भी नही निकल सकते थे । इस दौर मे निराशा, अकेलेपन जैसे नकारआत्मक भाव मन मे पैदा हुए परंतु उक्त भावों को पूर्व विधायर्थियो, रिश्तेदारों से बात कर, सामूहिक भलाई घर मे रहने, देशभक्ति जैसे भावों से सामना किया। उक्त समय का प्रयोग सामाजिक दूरी होते हुए भी डिजिटल माध्यम से पुराने मित्रों, रिश्तेदारों, गृह कार्यो, किताबे पड़ने, नवीन पाक कला सीखने व अन्य उत्पादक कार्यो मे प्रयोग किया।
ReplyDeleteStudents se dur rahna, unki activities yad aana, corona se effect huye logo ki condition
ReplyDeleteलॉकडाउन हमारे जीवन का कड़वा सत्य है,इस दौरान अपने घर समाज के साथ सामंजस्य स्थापित करना एक चुनौीपूर्ण कार्य था।घर के और आसपास के बच्चों को गाइड किया,की इस महामारी से कैसे पार पाएं,और अपनी पढ़ाई को कैसे आगे बढ़ाएं,कभी कभी उनकी सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए आपस में संवाद भी कराता ताकि बच्चे डिप्रेशन का शिकार ना हों।मेरे विद्यालय में नवम वर्ग को निर्माण कार्य भी इसी दरमियान पूर्ण कराने की चुनौती थी,बाजार बंद,गाड़ी बंद, मजदूर की समस्या,सभी को पार कर इस काम को भी पूर्ण किया गया। साबिर हुसैन मध्य विद्यालय sarwan अरवल बिहार
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान बच्चों को पढ़ने में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ा lलेकिन शिक्षक होने के नाते मैंने हिम्मत नहीं हारी l महामारी के कठिन दौर में मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रयास करता रहा l आसपास के बच्चों को सहायता की l मेरे विद्यालय के बालकों को भी ऑनलाइन शिक्षा दी l
ReplyDeleteअचानक लोकडाउन के कारण कष्ट दायक अनुभव तो हुआ क्योंकि ऐसा न होता तो भारत में भी अमेरिका की तरह इस भयानक महामारी पर काबू पाना बडा कठिन हो जाता।सरकार का यह सराहनीय प्रयास था । लोकडाउन के दौरान मैंने घर पर रहकर समय का सदुपयोग किया और बच्चों के लिए कई प्रकार TLM तैयार किया ताकि स्कूल खुलने पर इस शिक्षण सामग्री की सहायता से बच्चों को सक्षम करने में मदद कर सकूं!
ReplyDeleteइस बुरे समय में प्रत्येक व्यक्ति ने अपनी सामर्थ्य अनुसार दूसरों की मदद की मैंने भी इसमें अपना पूरा सहयोग दिया
ReplyDeleteबच्चे पढ़ाई के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा की सहायता से आत्मनिर्भर बनेगे। वे अपने रुचि के अनुसार विषय चुनकर उसमे परंपरागत हो जाएंगे और बड़े होकर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहेंगे।और हमारे देश को उन्नति के मार्ग पर ले जाएंगे
ReplyDeleteलोक डॉन की स्थिति निश्चित रूप से बहुत भयानक थी। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया खत्म होने वाली है। थोडी सावधानी व सरकार द्वारा उठाए गए सही कदमो के कारण देश महा आपदा से बाहर निकलने मे कामयाब हुआ है
ReplyDeleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से प्रबंधन को घोर अभाव था। मोबाईल ऐप आरोग्य सेतु से प्राप्त दिशा निर्देशों का पालन कर रहा था।
ReplyDeleteअपने भावानात्मक अनुभवो को प्रर्दीर्शत करे जो कि लाकडाउन के दौरान हुए थे व अचानक लाँकडाउन की घोषणा बहुत कष्टदायक तो था लेकिन यह एक जरुरी कदम था नही तो यह महामारी बहुत ही रोद्र रुप धारण कर लाखो करोड़ो लोगो की जान चली जाती यह जनमानस की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम था ।
ReplyDeleteअचानक लॉकडाउन के कारण कष्टदायक अनुभव तो हुआ क्योंकि ऐसा न होता तो भारत में भी अमेरिका की तरह इस भयानक महामारी पर काबू पाना बड़ा कठिन हो जाता सरकार का यह सराहनीय प्रयास था लोक डाउन के दौरान मैंने घर पर रहकर समय का सदुपयोग किया और बच्चों के लिए कई प्रकार की TLM तैयार की ताकि स्कूल खुलने पर इस शिक्षण सामग्री की सहायता से बच्चों को सक्षम करने में मदद कर सकूं
ReplyDeleteLockdown के आरंभ में बहुत भय का माहौल था एक अजीब सा डर था परंतु बाद में बीमारी की पूर्ण जानकारी व रोकथाम के तरीके पता लगने के बाद डर धीरे धीरे कम हो गया। बच्चों की पढ़ाई तथा अन्य मदद की। अपने कर्तव्य का निर्वहन किया।
ReplyDeleteGPS devkadhura
ReplyDeleteAnil Chandra pandey
Covid 19 महामारी के दौरान काफी भावनात्मक ओर मानसिक तनावों का सामना करना पड़ा है। नकारात्मक विचारो ओर स्वतंत्र जीवन के अभाव में काफी मुश्किल भरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।लंबे समय तक लॉकडॉउन ने जीवन के हर संदर्भ को प्रभावित किया।
स्कूल के बच्चों से दूर होना पड़ा है जिसका प्रभाव शिक्षा पर पड़ा है ।बच्चों के पास संसाधनों के अभाव ने उनको ऑनलाइन शिक्षण से वंचित रखा ।
फिर कुछ समय बाद सामान्य हालातों मे सकारात्मक विचारों के साथ जीवन हालातों में ढाला।ओर बच्चों के लिए वर्कशी ट का निर्माण करना शुरू किया वॉट्सएप ग्रुप के निर्माण कर बच्चों को कार्य देना सुरु किया। कभी कभी विद्यालय जा कर बच्चों से बातचीत का अवसर आनंददाई रहा। उनको सकारत्मक रहने ओर स्वस्थ आचरण के संदर्भ में जानकारी देने के भी प्रयास दूरभाष के माध्यम से किए गए
सुमन पाठक केवी बस्ती प्रथम पाली
ReplyDeleteअचानक लाक डाउन की घोषणा से जीवन ठहर सा गया। उस दिन तो मानसिक अवसाद सा हो गया ।पुनः अपने को संभाला ।।एक अध्यापिका होने के नाते अपनी जिम्मेदारी को समझा बच्चों को फोन करके उन्हें भी इस महामारी के बारे में बताया। कुछ अन्य बातें भी उन्हें भी समझाने की कोशिश की
लॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से प्रबंधन को घोर अभाव था। मोबाईल ऐप आरोग्य सेतु से प्राप्त दिशा निर्देशों का पालन कर रहा था।
ReplyDeleteआज के बदलते परिवेश में सरकारी रोजगार की बहुत कमी है अपना स्वयं का रोजगार होना बहुत जरूरी है इसलिए हमारी सरकार ने सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा पर जोर दिया है ताकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे विद्यार्थी सरकारी नौकरियों पर निर्भर ना हो वे स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें इसलिए व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है जो बहुत जरूरी है विद्यार्थी अपनी रुचि क अनुसार व्यवसायिक विषय चुन सकते हैं और आत्मनिर्भर हो सकते हैं
ReplyDeleteLockdown के दौरान विभिन्न लोगों का व्यवसाय रुक गया था। उनके बच्चों को उस समय बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने उस दौरान बच्चों को ऑनलाइन लर्निंग व व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई कराई और उनसे निरंतर संपर्क में रहे।
ReplyDeleteलाकडाउन में प्रत्येक व्यक्ति और वस्तु से डर की स्थिति उत्पन्न हो गई थी लेकिन धीरे-धीरे अब सामान्य सा लगने लगा है।
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
ReplyDeleteयूं तो नवंबर 2019 मैं ही प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया के माध्यम से कोरोना वायरस के विषय में जानकारी मिलनी शुरू हो गई थी । चाइना के बुहान शहर मैं एक नया वायरस की पहचान की गई है एक महामारी का रूप ले लिया है । भारत में भी जब क्रोना वायरस का प्रकोप की जानकारी प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से मिलना शुरू हुआ कि अमुक प्रदेश में करुणा के कारण शिक्षण संस्थानों को अगले आदेश तक बंद किया जाता है । मेरा प्रदेश में इससे अछूता नहीं रहा और 13 मार्च को विवाह का आदेश प्राप्त हुआ कि अगले 31 मार्च 2020 तक प्रदेश की सभी सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षण संस्थान को कोविड-19 के कारण बंद रहेंगे । मन आशंकाओं से घिर गया हमें भी अपने परिवार एवं विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की चिंता सताने लगी । फिर 22 मार्च को माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा एक दिन का लॉकडाउन का आवाहन किया गया । उस वक्त तक लग रहा था कि चलो कुछ दिन की बात है सब ठीक-ठाक हो जाएगा । परंतु 2 दिन के बाद ही पुनः माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा लंबी अवधि हेतु लॉकडाउन का प्रथम चरण शुरू हुआ जो कमोबेश आज तक जारी है । सभी लोग जहां के तहां फंसे रह गए । सब लोग अपने घर के अंदर रहने को विवश हो गए । कारण था कोविड-19 का भयानक प्रकोप । कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करना और अपने विद्यार्थियों को इसके प्रति संवेदनशील बनाना यही दिनचर्या बन गई थी। रोज नई नई जानकारी मिलना शुरू हुआ आज अमुक मोहल्ले में कोविड-19 के मरीज मिले मोहल्ले को सील कर दिया गया । चारों तरफ शंकाओं का दौर शुरू हुआ । पूरे देश में लॉकडाउन के कारण रोजी रोजगार पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगा । आवागमन हेतु सभी तरह की सेवाए ठप हो गई । दूसरे प्रदेश में रह रहे लोग अपने घरों की ओर पैदल ही चल पड़े । इस दरम्यान बहुत सारे लोग काल कल्पित हो गए । यह बड़ा ही गमगीन माहौल था । कोविड-19 ने यह समझा दिया कि अपना घर अपना ही होता है । फिर विश्व मे कोविड-19 बचाव हेतु वैज्ञानिकों के द्वारा वैक्सीन पर शोध शुरू हुआ । अंततोगत्वा अपना देश भी स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण किया । यह काफी सुकून देने का विषय है । इसके लिए पूरा देश वैज्ञानिकों को कोटि कोटि नमन करता है । लेकिन यह क्या इसी बीच प्रदेश चुनाव को की चपेट में आ गया और कोविड-19 पर भी राजनीति शुरू हो गई। जो एक घटिया परंपरा की शुरुआत है । इससे सभी राजनीतिक दलों एवं समाज को बचना चाहिए । क्योंकि Covid-19 से गरीब हो या अमीर सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । इस अवधि में विद्यार्थी भी विद्यालय से दूर रहे हैं हम शिक्षकों ने अपने विद्यार्थियों को इस संकट की घड़ी में अकेला नहीं छोड़ा । व्हाट्सएप एवं अन्य माध्यमों से विद्यार्थियों की शिक्षा को बरकरार रखा । जो इस संकट की घड़ी में सुखद एहसास दिलाता है । हम लोगों ने भी कोविड-19 के फ्रंट वैरीयस की तरह लोगों की सहायता में कोई कसर नहीं रखा । आज हम लोग इस उम्मीद में है कि कुछ ही समय के बाद पुनः आपस में मिलेंगे । सभी का जीवन सामान्य होगा ईश्वर से यही प्रार्थना है ।
ReplyDeleteकोविड 19 जैसी बिमारी को सुनकर घबराहट स्वभाविक थी, ऐसे में कितनों के रोजगार छिन गये,ऐसे समय में यथा संभव मदद की कोशिश की, बच्चों को व्हाट्सएप, एवं फोन के माध्यम से संपर्क किया।
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख व पीड़ा की अनुभूति हुई | भय और आतंक के साए में जीवन गुजरने लगा कि न जाने इस महामारी से कैसे बचेंगे, समाज की त्रासद स्थिति को देखकर मन घबरा-सा गया था, पर सकारात्मक सोच व विषम परिस्थितियों से जूझने की शक्ति से सबकुछ संभलने लगा | नियमों का पालन कर इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया तथा यथासंभव परिवार व समाज के दायित्वों को निभाया जिससे संतोष व आनंद की अनुभूति हुई |
ReplyDelete(M Yadav)लोकडाउन के कारण कष्ट दायक अनुभव तो हुआ क्योंकि ऐसा न होता तो भारत में भी अमेरिका की तरह इस भयानक महामारी पर काबू पाना बडा कठिन हो जाता।सरकार का यह सराहनीय प्रयास था । लोकडाउन के दौरान मैंने घर पर रहकर समय का सदुपयोग किया और बच्चों के लिए कई प्रकार TLM तैयार किया सकारात्मक सोच व विषम परिस्थितियों से जूझने की शक्ति से सबकुछ संभलने लगा | नियमों का पालन कर इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया तथा यथासंभव परिवार व समाज के दायित्वों को निभाया
ReplyDeleteDuring lockdown period I noticed some positive and some negetive things.for example working people were happy because their weredoing their favorite work like gardening, health activities,etc,because they have a lots of time.Many people were happy to spend time with their family after a long time.But otherhand many people are suffering due to fulfill their basic needs,they were unable to do their work due to lockdown like labours. They have not no other option to earn money.So lockdown period was good for someone and other hand unlucky for others.
ReplyDelete(Anup Singh)अपना स्वयं का रोजगार होना बहुत जरूरी है इसलिए हमारी सरकार ने सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा पर जोर दिया है ताकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे विद्यार्थी सरकारी नौकरियों पर निर्भर ना हो वे स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें इसलिए व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है जो बहुत जरूरी है विद्यार्थी अपनी रुचि क अनुसार व्यवसायिक विषय चुन सकते हैं
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे जिन्दगी थम सी गई हो। समय बिताना काफी मुस्किल हो गया था। गली सडक और मोहल्ला सब वीरन सा लगता था। दूर दूर तक कोई दिखाई नही देता था ऐसा मंजर हमने कभी नही देखा था। वो समय काफी कष्ट दायक था।
ReplyDeleteसरिता, लॉक डाउन के दौरान बच्चों को पढ़ने में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ा lलेकिन शिक्षक होने के नाते मैंने हिम्मत नहीं हारी l महामारी के कठिन दौर में मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रयास करता रहा l आसपास के बच्चों को सहायता की l मेरे विद्यालय के बालकों को भी ऑनलाइन शिक्षा दी l
ReplyDeleteमैं अपने जॉब के कारण अपने परिवार के साथ बाकी सदस्यों से अलग रहती हूं। कोविड-19 के कारण लॉकडाउन में हम अपने माता-पिता से नहीं मिल पा रहे थे। बुजुर्ग माता-पिता के स्वास्थ्य की चिंता होती थी। हमारे पास राशन भी खत्म हो रहा था और स्थानीय दुकानों में स्टॉक आउट था। हमने कुछ दुकानदारों से राशन की पूर्व व्यवस्था की। हर तरफ डर का माहौल था। मैंने कोविड-19 से बचाव व जागरुकता के लिए एक कविता भी लिखी है।
ReplyDeleteमहामारी की जानकारी होने के बाद सरकार ने लोकडाउन किया था और महामारी को बहुत हद
ReplyDeleteतक रोक दिया। वह समय था जब लोगो ने घर में रहकर इस महामारी के बारे में जानकारी प्राप्त की जिससे की इस से बचने के उपायों को जाना । वह समय बच्चों के लिए बहुत ही मुश्किल और कष्ट भरा हुआ था।
Lockdown बहुत बुरा समय था। अनेक कठिनाइयो का सामना करना पड़ा।बच्चो की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है।ऑनलाइन पढ़ाई हो तो रही है लेकिन ऑफलाइन पढ़ाई का स्थान नहीं ले सकती है।
ReplyDeleteलॉक डॉउन में जीवन ठहर सा गया था।तमाम बाज़ार , परिवहन आदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद थे। भय और चिंता का दौर था। आवश्यक वस्तुओं की किल्लत थी। किसी वस्तु को स्पर्श करने में डर लगता था।कुल मिलाकर स्तिथि ठीक नहीं थी।सरकार की तरफ से प्रबंधन को घोर अभाव था। मोबाईल ऐप आरोग्य सेतु से प्राप्त दिशा निर्देशों का पालन कर रहा था।
ReplyDeleteJanuary 2021 at 17:31
ReplyDeleteLockdown बहुत बुरा समय था। अनेक कठिनाइयो का सामना करना पड़ा।बच्चो की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है।ऑनलाइन पढ़ाई हो तो रही है लेकिन ऑफलाइन पढ़ाई का स्थान नहीं ले सकती है।
Lockdown बहुत बुरा समय था। अनेक कठिनाइयो का सामना करना पड़ा।बच्चो की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है।ऑनलाइन पढ़ाई हो तो रही है लेकिन ऑफलाइन पढ़ाई का स्थान नहीं ले सकती है।
ReplyDeleteअचानक लौक डाउन की घोषणा कष्टदायक तो था पर यह एक आवश्यक कदम था अन्यथा महामारी
ReplyDeleteअनियंत्रित होता और करोडो लोगों की जान चली जाती।
Lata Saini
ReplyDeleteCovid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया कुछ लोगों को आर्थिक रूप से एवं सहायता कर सकते थे कि अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा की ताकि वह स्वस्थ रह सके समाजिक दूरी बनाए रखी कार्यक्रमों में आना जाना बंद रखा
Lockdown के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद ऑनलाईन से फ़िर loudspeaker से बच्चों को पढ़ा रहे हैं
ReplyDeleteलाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDeleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान मानसिक पीड़ा से गुजरा हूं खासतौर पर प्रवासी मजदूरों को बदहवा सी की हालत में वापस अपने घरों को लौटते देख कोशिश की जो भी बन पड़ा वो उनके लिए किया
ReplyDeleteलाकडाउन के बाद बहुत परेशानी हुई किंतु हमने बच्चों को सुरक्षित तरीके से पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके बाद से बच्चों को आनलाईन फ़िर से पढ़ा रहे हैं|
ReplyDeleteकोविड-19 ने विश्व भर में कोहराम मचाया इस संक्रमण के आगे शक्तिशाली देश भी घुटने टेक दिए। आज हमारे पास सबकुछ है परन्तु इस महामारी को रोकने में सफल नहीं हो सका ।इस संक्रमण से असमय मरने वाले मानव के मन में एक सबाल जरुर होगा कि अभी भी हम सभी उतने सक्षम नहीं हो पाये हैं जितना होने चाहिए भले ही हम चाँद पर बसने की सोच रहे हैं।
ReplyDeleteमेरे मन में विचार आया कि सुपर पावर देश ने जब इस महामारी को रोकने में सफल नहीं हो सका तो भारत देश इसका मुकाबला करेगा परन्तु यहाँ जो कदम उठाया गया सभी नागरिकों ने भरपूर सहयोग दिया जिसका परिणाम सबके सामने है। भारत में इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। हम सभी भारतवासी ने कोरोना वैक्सीन भी बना लिए है अब जाकर मन को शांति मिली और इरादा भी मजबूत हुआ कि भारत देश भविष्य में किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए सक्षम है। भारत माता की जय हो।
Covid19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखा बहुत दुख हुआ जितना हम से हो सकता था कुछ मजदूरों को खाना खिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया
ReplyDeleteLockdown has helped in controlling the corona virus to a great extent. We should now teach the students with more safety guidelines and attention.
ReplyDeleteकोविड 19 की परिस्थितियों में विद्यार्थियों को दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए प्रोत्साहित किया। आनलाइन कक्षाएं सफलता पूर्वक ली गई।
ReplyDeleteलाॅकडाउन से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। बच्चों की पढ़ाई भी अस्त व्यस्त हो गयी। बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए हमनें मुबाइल द्वारा पढाई जारी रखने का प्रयास करवाया आॅनलाईन, वडसप द्वारा, फोन द्वारा, विडियो बना कर, वर्कशीट बना कर दी विभाग द्वारा भी वर्कशीट दी गयी जिससे कि बच्चों की पढ़ाई ज्यादा बाधित नहीं हो पायी।
ReplyDeleteCOVID 19 के समय मजदूरों को बेघर होते देखकर बहुत दुःख हुआ। परन्तु मैंने उस दुःख पर उनकी सहायता करके काबू किया।कुछ लोगों की आर्थिक सहायता की। सामाजिक दूरी का पालन करके महामारी को न बढने में सहायता की।
ReplyDeleteलॉकडाउन में काम धंधे ठप हो गई घर में कैद रहना पड़ा। बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा लेकिन एक फायदा वह भी रहा सभी को अपने परिवार के साथ समय बिताने का समय मिला
ReplyDeleteTried to boost students and parents to have patience and ready to have a positive aspect in every possible ways and find positive and energetic response also.
ReplyDeleteजब कोविड19 आया तब पूरे देश मे लोक डाउन लगा फिर सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ा फिर शिक्षा विभाग ने आनलाइन क्लास चालू करने का फैसला लिया !
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