मॉड्यूल 15 - गतिविधि 1: अपने बचपन की यादों को साझा करें
एक पल रूकें और अपने बचपन के दिनों की यादों के बारे में सोचें।अब एक सुखद और एक दुखद स्मृति की सूची बनाएँ । इसके अलावा, अपने शुरुआती वर्षों में सीखी गई दो कहानियाँ/ कविताएँ साझा करें।
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
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एक पल रूकें और अपने बचपन के दिनों की यादों के बारे में सोचें।अब एक सुखद और एक दुखद स्मृति की सूची बनाएँ
ReplyDeleteजब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
Deleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
Sad childhood memory is discrimination in treating a bright and an average student.
DeleteBeing a not so good learner, I longed for a strong support in making me understand the concepts in my way of learning which never happened. This experience has probably led me to be a child friendly person. Especially when it comes to a cornered child, I become the torch for him or her.
सुखद स्मृति- जब मैं क्लास फोर्थ में पढ़ती थी तो स्कूल की छुट्टी के बाद हम बगल वाले पार्क में खेलने लग जाते थे जब हम देर से घर पहुंचते थे तो पापा की मार से बचने के लिए मेरी बड़ी बहन अपने सिर का और अपनी पलकों का एक बाल तोड़ कर ईद के नीचे दबा देती थी हम लोगों की ऐसी मान्यता थी कि ऐसा करने से सिर्फ डांट पड़ेगी मार नहीं और ऐसा ही होता भी था उस घटना को याद करके आज भी खुशी मिलती है)दुखद स्मृति _ जब मैं क्लास नाइंथ में थी मेरे पैरों के नीचे एक चुहिया आ गयी जब मैंने उसे देखा तो उसके मुंह से खून निकल रहा था हम बहनों ने उसे बचाने का बहुत यत्न किया पर वह न बची मुझे इस घटना से बहुत दुख हुआ और मैंने एक कविता लिख डाली उस पर) मेरे बचपन की दो अच्छी कविताएं1- हवा हूं हवा मैं बसंती हवा हूं2- यह कदंब का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे) यह दोनों कविताएं मुझे आज भी अच्छी लगती हैं
Deleteमेरे बचपन कि कहाणी - ' ससा आणि कासव ' , माकडाचे घर , कविता - केळीच्या बागा मामाच्या ...
Deleteजब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
Deleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
बचपन में सुभद्रा जी की कविता पढ़ी सुन्दर कविता थी 'परन्तु आज की कविता अलग है आज वो बचपन नहीं। सारा काम बच्चों को थोपा जा रहा है।
Deleteसुखद अनुभव वो थे जब विद्यालय के शिक्षकों द्वारा मेरी खूब प्रसंशा की जाती और दुखद अनुभव वो थे जब कक्षा में होम वर्क पूरा नहीं करने पर सजा मिलती।
Deleteमुझे सुभद्रा जी की कविता"खूब लडी मर्दानी...."और प्रेम चंद जी की सारी कहानियां बहुत पसंद थी और है।
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
मेरे बचपन की कविता
Deleteएक गधा था मोटा ताजा बन बैठा जंगल का राजा कहीं सिंह का चमड़ा पाया झट वैसा ही रूप बनाया
My childhood poem
DeleteTwinkle_twinkle little star how a wonder what u are
Up above the verso high
Like a diamond in the sky
एक दिन मैं स्कूल नहीं गया था। जब अगले दिन गया तो शिक्षक ने पिटाई किया। भोजनावकाश के बाद हम खूब खेल खेलते थे।
Deleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
एक पल रूकें और अपने बचपन के दिनों की यादों के बारे में सोचें।अब एक सुखद और एक दुखद स्मृति की सूची बनाएँ
Deleteजब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
Deleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
ज़्मीर उददीन स.अ.
Deleteप्रा.वि. मडुआ,ब्लॉक व जनपद फ़िरोज़ाबाद
सुखद स्मृति- जब मैं क्लास 5 में पढ़ता था तो स्कूल की छुट्टी के बाद हम बगल वाले पार्क में खेलने लग जाते थे जब हम देर से घर पहुंचते थे तो पापा की मार से बचने के लिए मेरी बड़ी बहन अपने ऊपर सारी बात ले लेती थी एक बार तो मेरी वजह से उसको खूब डांट पड़ी उस घटना को याद करके आज भी खुशी मिलती है)दुखद स्मृति _ जब मैं क्लास 9 में था तो मेरी साइकिल आ गयी जब मैंने उसे देखा तो में बहुत खुश हुआ लेकिन कुछ ही दिन बाद मएड़ी साइकिल चोरी हो गयी मुझे इस घटना से बहुत दुख हुआ।
बचपन की यादें बहुत सुखद होती हैं।विद्यालय में नामांकन के बाद जब नयी नयी किताबें और बैग तथा टिफिन बाक्स मिला तो उसे लेकर स्कूल जाना नये नये मित्र बनाना यह सुखद अनुभूति थी।गृहकार्य न करने पर डाँट पड़ना यह दुखद अनुभूति थी। ... प्रारंभिक वर्षों में सीखी गई कविता ... (1)उठो लाल अब आँखें खोलो.......(2)खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी..... कहानियां.....(1)अकबर बीरबल की(2)पंचतंत्र की कहानियां ।
Deleteसुखद स्मृति-बचपन में मैं अपने छोटे-छोटे साथियों के साथ कबड्डी खेलना ,
Deleteकुश्ती लड़ना,गिलौल चलाना और तीर-कमान चलाना ,नहर-बम्वा आदि में स्नान करना, खरगोश आदि जानवरों का पीछा किया करते थे।दुखद स्मृति -हमारे माता-पिता बहुत गरीब थे ।प्राथमिक शिक्षण के समय मेरे पास न तो जूता-चप्पल थे और न अच्छे वस्त्र थे मेरे बचपन कविता- उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो-----
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
Dukhad smriti-Jab pahli bar pitaji school chhodkar aaye the.
DeleteSukhad smriti-Jab pahli bar mere teacher ne meri tarif ki thi.
Kahani-Kchhua aur Khargosh,
Kavita-Utho lal ab aankhe kholo.
बचपन में जो काम करता था अब जैसे ही उन क्रिया क्लापों की याद आती है तो बडा आश्यचर्य होता है।
Deleteमेरे बचपन में लोग बड़े प्यार से मिलजुलकर रहते थे सर्दियों में शाम के समय बड़ी ही रोचक व शिक्षा प्रद कहानियां सुनते थे
Deleteजब मुझे अपने बचपन के दिन याद आते छोटे बच्चों से कहानी औरकविता सुनती हूँ। तो मुझे भी कक्षा 5 की कविता याद आ जाती है जो हमारी मां पढ़ाती थीं I मैं बचपन बुला रही थी बोल उठी विटिया मेरी नन्दन वन सी फूल उठी वह छोटी सी कुटिया मेरी बचपन में खेलना पिता जी से कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता थाI
Deleteजब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
Deleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
Veer tum bdhe chlo
DeleteDheer tum bdhe chlo
Veer tum bdhe chlo
DeleteDheer tum bdhe chlo
याद आते हैं बचपन के वो दिन जब मैं बचपन में पढ़ने स्कूल जाता था तो सभी साथी मिलकर कोई भी काम आसानी से कर लेते,किसी के अन्दर कोई भेदभाव की भावना नही थी। घर परिवार आस पड़ोस में सब मिल जुलकर रहते और एक दूसरे का हर दुःख दर्द बाँटते।
Deleteसच में वो दिन याद आते हैं लेकिन अब वो बात कहाँ,हर आदमी अपने में इतना व्यस्त है,किसी के पास किसी के लिए समय ही नही है।
मेरे बचपन की एक कविता
ReplyDelete"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना।
मेरे बचपन की एक कविता
Delete"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना।
Jab mai class two me tha to jab teacher table sunte the aur yad na hone per peete jate the to bara dukh hota tha lekin jis din bach jate the to bahut khusi hoti thi ye kavita mujhe aaj bhi yad ati hai sooraj nikla chidiya boli tab bacho neaakhe kholi..,....
Deleteलाल
Deleteजब प्राथमिक विद्यालय में पढता था उस समय मैं बहुत मेहनती था इसलिए सभी अध्यापक मुझसे बहुत प्यार करते थे। हम 5 बच्चों को शाम को भी पढ़ाते थे ।मुझे कविता दिन निकला जब चिडियाँ बोली तथा सुमन परी की कहानी अभी भी याद हैं। एक दिन पास के मिल के गन्ना सेन्टर से गन्ना लाने पर हैडमास्टर साहब ने मेरी पिटाई भी की थी । बड़े अच्छे थे बचपन के वे दिन। PRAMOD KUMAR A.T.UPS CHANDAURA,BLOCK-JANI ( MEERUT)
Deleteमेरे बचपन की कविता -
ReplyDeleteउठो लाल, अब आंखें खोलो, पानी लाई मुंह धो लो।
बीती रात........🤗🤗🤗🥰☺
Hi mere bhi
Deleteगधा एक था मोटा ताजा,
Deleteबन बैठा वह वन का राजा!
कहीं सिंह का चमड़ा पाया,
चट वैसा ही रूप बनाया!
सबको खूब डराता वन में,
फिरता आप निडर हो मन में,
एक रोज जो जी में आई,
लगा गरजने धूम मचाई!
सबके आगे ज्यों ही बोला,
भेद गधेपन का सब खोला!
फिर तो झट सबने आ पकड़ा,
खूब मार छीना वह चमड़ा!
देता गधा न धोखा भाई,
तो उसकी होती न ठुकाई!
FAROOQUI18 December 2020 at 12:35
Deleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
एक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
मेरे बचपन की कहानी-
ReplyDelete" दिन निकला । विमला पानी भर लाई।🤗
मेरे बचपन की कहानी-
ReplyDelete" गौरैया के बच्चे "
"छत पर मेरा घोंसला था घोसले में दो बच्चे थे बच्चे चूचू करते थे अब वो वहां नहीं है.......😫
मेरे बचपन की कविता -
ReplyDelete"अम्मा जरा देख तो ऊपर ,चले आ रहे हैं बादल, गरज रहे हैं, बरस रहे हैं ,दिख रहा है जल ही जल, बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।🏊♀️🤗
मेरे बचपन की कविता-
ReplyDelete" अम्मा जरा देख तो ऊपर,
चले आ रहे हैं बादल,
गरज रहे हैं बरस रहे हैं ,
दिख रहा है जल ही जल............
बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।☂️☂️☂️🌦🌧
2. लाया हूं जी मैं गुब्बारे........
During my childhood days we used to take part in social work like providing drinking water to thirsty people of the road and we used to enjoy our job. During our childhood society used to be very Orthodox and young people had very little liberty in comparison todays socioeconomic condition
ReplyDeleteमेरे बचपन की एक कविता
Delete"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना।
Chal re matke tammak to
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
बचपन की यादों को कभी भूल नही सकते।सुबह- सुबह जल्दी तैयार होकर स्कूल जाना प्रार्थना मे आगे खडे़ होकर प्रार्थना करना फिर पढ़ाई करना।इन्टरवल मेसभी सहेलियों के साथ खेलना।
DeleteThe most memorable child hood was the innovative way our teachers used to make us understand the concepts of his or her subject using things availabe at our ease as there was no technology based innovations then. one poem in hindi still strikes my memory is" Khada himalaya bata raha hai daro na andhi paani se ....." and The solitary reaper by William Wordsworth
ReplyDeleteमेरा बचपन बहुत उतार चढ़ाव के साथ था
ReplyDeleteMere Bachpan ki Kavita Utho lal ab Ankheee kholo
ReplyDeletePani li hu mu do lo
Meri bachpan ki Kavita, utho kaam ab aankhe kholo
ReplyDeleteHappy memory : When I was not admitted in the school till the age of 6 and my mother valued education although educating girl was not important at that time. Still my mother took me to the school for admission test and I topped in the test.
ReplyDeleteSad memory : When I read the poem "Bhikshuk" by Harivansh Rai Bachhan
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
मेरी बचपन की पसंदीदा कविता
ReplyDeleteयदि मैं होता किन्नर नरेश का,
राजमहल में रहता।
सोने का सिंहासन होता,
सिर पर मुकुट चमकता ।।
दूसरी कविता
नर ही न निराश करो मन को,
कुछ काम करो,कुछ काम करो ।
मेरे बचपन की कविता -
ReplyDelete"अम्मा जरा देख तो ऊपर ,चले आ रहे हैं बादल, गरज रहे हैं, बरस रहे हैं ,दिख रहा है जल ही जल, बाहर निकलूँ मैं भी सींग चाह रहा है मेरा मन......
�
सुखद घटना -- कक्षा 3 मे विविध वेशभूषा में प्रथम पुरस्कार पाना
ReplyDeleteदुखद घटना - कक्षा पहली मे अपनी एक teacher से डर कर अपनी बडी बहन की कक्षा मे भाग जाना I
जब मैं कक्षा तीन में पढ़ता था तब अध्यापक जी की पिटाई के डर से अपना बैग स्कूल में छोड़ कर अपने साथी से यह बोल कर आया करता था कि छुट्टी होने पर मेरा बैग लेकर आ जाना मैं तेरे को उस दुकान पर मिलूंगा यह काफी दिन तक चलता रहा। किसी छात्र ने अध्यापक जी को बता दिया। अध्यापक जी ने मेरे पिताजी को बुलाया। मेरे पिताजी ने मेरी पिटाई की और मुझे समझाया। उसके बाद मैंने स्कूल से कभी बंक नहीं मारा ।
ReplyDeleteमै बचपन में शिक्षक की बात को इतना मानती थी कि घर मे मां द्वारा सही चीज बताये जाने पर भी उन पर मुस्कुराती थी कि ये मेरी शिक्षक बन रही है।
ReplyDeletejb mai choti thi tb meri shikhika prathmik kaksha ki meri ab tk ki sbse priy shikshika hai unka nam himkirn tha unke diye motivation aur protsahn k karn hi mene bhi shikshika bnne ka lakshy bnaya tha aur aaj mai bhi ek prathmik shikshika hu .
ReplyDeleteSchool se bhagkar toffee kharidna aur teacher se mar khana bahut yaad ata hai
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता -
ReplyDeleteमैं सबसे छोटी होऊँ,तेरी गोदी में सोऊँ, तेरा अंचल पकड़ -पकड़ कर फिरूँ सदा माँ ! तेरे साथ, कभी न छोडूँ तेरा हाथ !
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
अम्मा जरा देख तो ऊपर,
ReplyDeleteचले आ रहे हैं बादल,
गरज रहे हैं बरस रहे हैं ,
दिख रहा है जल ही जल............
बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।☂️☂️☂️🌦
मेरे बचपन की कविता -
ReplyDeleteउठो लाल, अब आंखें खोलो, पानी लाई मुंह धो लो।
बीती रात........🤗🤗🤗🥰☺
मेरे बचपन की यादें बहुत खूबसूरत थी जब मैं प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता था उस समय की कविता में से एक है उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो और दूसरी कविता जिसने सूरज चांद बनाया जिसने तारो को चमकाया पढ़ा था कहानी में चालाक लोमड़ी की कहानी शेर और चूहे की कहानी पड़ी थी उस समय की मेरी एक दुखद घटना थी मैं घर से स्कूल तो जाता था लेकिन स्कूल पहुंचता नहीं था और स्कूल की छुट्टी के समय घर वापस आ जाता था एक दिन मेरी चालाकी का पता चला और मेरी घर में खूब पिटाई हुई तब से मैं रोज स्कूल जाने लगा
Deleteबचपन एक खूबसूरत यादों का पिटारा
ReplyDeleteबचपन में हमारी क्लास टीचर हमें प्रत्येक शनिवार शब्दार्थ लिखने को देती थी कोई भी गलती ना होने पर पुरस्कार के रूप में एक रबर देती थी उस रबर को पाने की चाह में हम इतने पढ़ते थे कि हर सप्ताह एक रबड़ जीतते थे एक सुखद यादगार लमहे हमारे लिए है।
दुखद यादें:-। बचपन में सभी दोस्तों के साथ मैं भी तालाब में तैरने जाया करती थी तैरने ना आने के कारण में डूब रही थी पर हमारे दोस्तों ने हमें बचा लिया।
मेरे बचपन की कविता - उठो लाल, अब आंखें खोलो, पानी लाई मुंंह धो लो ...।
Deleteबच्चपन के बालगीत_ आह टमाटर बडे मजेदार एक बार कुते ने खाया बिल्ली को मार गिराया ।आह टमाटर बडे मजेदार
ReplyDeleteबचपन की स्मृतियाँ आभूषण-मंजूषा की भाँति हमारी धरोहर होती हैं | एकाकी पलों में वे कभी गुदगुदाती हैं तो कभी गंभीर भी कर जाती हैं | जिम्मेदारियों से परे स्वच्छंद जीवन, समय की पाबंदी से मुक्त खेल, आम के बगीचे में साथियों के साथ घूमना और अमिया तोड़ना, शरारतें करना, बहन से झगड़ना और पिता के क्रोधित होने पर उनकी पकड़ से बचने के लिए छिप जाना, ऐसी अनेक सुनहरी यादों की लंबी सूची है, जो आज भी बचपन को दूर नहीं जाने देती |
ReplyDeleteरेलवे कर्मचारी होने के कारण पिता को स्थानांतरण का कष्ट झेलना पड़ता था और साथ ही हमें भी | साथियों से बिछुड़ना दुखद स्मृतियों के रूप में मन-मस्तिष्क में आज भी कैद है |
'माँ कह एक कहानी, राजा था या रानी', 'यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे' बचपन में सीखी गई कविताएँ आज भी याद हैं और फूलकुमारी की कहानी तो आज भी उतनी ही अच्छी लगती है |
बचपन में हमारे प्राथमिक विद्यालय में एक मैडम आई जोकि पढ़ाने में बहुत अच्छी तथा सभी बच्चों की बहुत चाहती थी कुछ समय बाद उनका स्थानांतरण दूसरे विद्यालय में नजदीक ही हो गया तो हम सभी 20-25 के करीब बच्चे अपने विद्यालय में अध्यापकों को बताए बगैर उनसे मिलने के लिए चले गए जब हम उस विद्यालय में पहुंचे तो वहां पर वह मैडम और सभी बच्चे बहुत जोर जोर से रोने लगे
ReplyDeleteवापसी में जब हम अपने स्कूल पहुंचे तो सभी अध्यापक हमारा इंतजार कर रहे थे
लड़कों को मुर्गा बनाकर और लड़कियों के हाथ ऊपर कर बच्चों को पिटाई की गई
सच में वह एक सुखद और दुखद अनुभव रहा
आज भी वह बात हमारे दिलों दिमाग पर वैसे ही छाई है
बचपन में हम आनंद भवन, इलाहाबाद में पढ़े ,कला, संगीत,की शिक्षा जो हमने प्राप्त की वह आज भी हमारे दिल और दिमाग में ताज़ा है।
ReplyDeleteक्षितिज नीलिमा
ReplyDeleteसुखद स्मृति- सबसे अधिक अंक प्राप्त करने पर पुरस्कृत किए जाना |
दुखद स्मृति- मेरे सबसे प्रिय खिलौने का टूट जाना|
बचपन में सीखी कहानी-(1) अंगूर खट्टे है| (2) प्यासा कौआ
बचपन में सीखी कविता
1- तीन बड़े जोकर एक तसले की नाव बनाया
पानी में ला उसे बहाया
पानी भर गया तसले में , जोकर पड़ गए घपले में
2- गुड़िया मेरी ऊन की , ऊन देहारादून की
काले रेशम बाल हैं , लाल टमाटर गाल हैं
कहानी - प्यासा कौआ
Deleteकविता - बंदर मामा पहन पजामा।सुखद - पढ़ाई और खेल में अव्वल आना पुरस्कृत होना ।दुखद - दोस्त की पेंसिल चोरी और पिताजी से पिटाई।
मेरे बचपन की एक कविता
Delete"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना।
अम्मा जरा देख तो ऊपर,
Deleteचले आ रहे हैं बादल,
गरज रहे हैं बरस रहे हैं ,
दिख रहा है जल ही जल............
बाहर निकलो मैं अभी भी भीगूँ, चाह रहा है मेरा मन।☂️☂️☂️🌦
REKHA BAI (A.T.)
ReplyDeleteP.S. D.P.-2 AMETHI (U.P.)-227405
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
था उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
बचपन मे अच्छे अंक आने पर घर परिवार व पड़ोस से मिलने वाला स्नेह अच्छा लगता था
ReplyDeleteहोली खेलने पर PTI गुरुजी से खाई पिटाई अविस्मरणीय है
सुखद स्मृति- सबसे अधिक अंक प्राप्त करने पर पुरस्कृत किए जाना |
ReplyDeleteदुखद स्मृति- मेरे सबसे प्रिय खिलौने का टूट जाना|
बचपन में सीखी कहानी-(1) अंगूर खट्टे है| (2) प्यासा कौआ
सुखद स्मृति--बचपन में सबसे अधिक अंक मिलने पर, शिक्षक तथा परिवार से मिलने वाला स्नेह अच्छा लगता था | दुखद स्मृति-- शिक्षक , या किसी के द्वारा बिना गलती पर डाटने/दण्ड देने पर | बचपन की सीखी कहानी/कविता-- प्यासा कौआ,अंगूर खट्टेहैं/अम्मा जरा देख तो ऊपर, चले आ रहे हैं बादल ऊपर......|
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता-
ReplyDelete" अम्मा जरा देख तो ऊपर,
चले आ रहे हैं बादल,
गरज रहे हैं बरस रहे हैं ,
दिख रहा है जल ही जल............
बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।☂️☂️☂️🌦🌧
2. लाया हूं जी मैं गुब्बारे........
बचपन की स्मृतियाँ आभूषण-मंजूषा की भाँति हमारी धरोहर होती हैं | एकाकी पलों में वे कभी गुदगुदाती हैं तो कभी गंभीर भी कर जाती हैं | जिम्मेदारियों से परे स्वच्छंद जीवन, समय की पाबंदी से मुक्त खेल, आम के बगीचे में साथियों के साथ घूमना और अमिया तोड़ना, शरारतें करना, बहन से झगड़ना और पिता के क्रोधित होने पर उनकी पकड़ से बचने के लिए छिप जाना, ऐसी अनेक सुनहरी यादों की लंबी सूची है, जो आज भी बचपन को दूर नहीं जाने देती |
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता-
ReplyDeleteमछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जाएगी,
बाहर निकालो मर जाएगी।
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
मेरे बचपन की कविता।
ReplyDeleteवीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड हो।
मेरे बचपन की कविता-
ReplyDelete" अम्मा जरा देख तो ऊपर,
चले आ रहे हैं बादल,
गरज रहे हैं बरस रहे हैं ,
दिख रहा है जल ही जल............
बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।☂️☂️☂️🌦🌧
2. लाया हूं जी मैं गुब्बारे
मुझे अपना बचपन बहुत खूबसूरत लगता है। बागों में खेलना ,स्कूल में होने वाले क्रियाकलाप और अध्यापक का डर।पर था बहुत ही सुखद ।शनिवार को होने वाली एक्टिविटी में मुझे अध्यापक द्वारा अधिक महत्व दिया जाना मेरी सुखद यादों में है।
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता।
ReplyDeleteवीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड हो।
मेरी बचपन की पसंदीदा कविता
ReplyDeleteयदि मैं होता किन्नर नरेश का,
राजमहल में रहता।
सोने का सिंहासन होता,
सिर पर मुकुट चमकता ।।
दूसरी कविता
नर ही न निराश करो मन को,
कुछ काम करो,कुछ काम करो ।
Bachpan m keval khelana, masti karna , achchha lagta tha.bagiche m jakar dosto k sang samay bitana achchha lagta ,kintu jab school m nam likha gaya to school jane ka man nahi karta tha.lske lie mar bhi padi.
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता उठो लाल अब आंखें खोलो, पानी लाई मुंह धो लो।
ReplyDeleteसुखद स्मृति- कक्षा 3 में गणित मौखिक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान
ReplyDeleteदुखद स्मृति-कक्षा 2 में बस से एक्सीडेंट होना
कविता-1-लाठी लेकर भालू आया
2-उठो लाल अब आँखें खोलो
कहानी-1-अंगूर खट्टे है
2-प्यासा कौआ
Merry bachpan ki Kavita ammajra dekh to upar chle a the ha badal
ReplyDeleteबचपन सभी का सुहाना होता है । कभी खेलने की प्रफुल्लता, तो कभी मार खाने का डर । लेकिन आज भी उस दिन को सोच कर मन रोमांच से भर जाता है ।
ReplyDeleteबचपन मे मैं पहली बार, दूसरे बच्चे को देखकर विद्यालय पहुँचा था और स्वयं ही विद्यालय मे नाम दर्ज करवाया था और साथियों के साथ खेलते हुए स्कूल पहुँचा करता था ।
बचपन सुखद और दुखद घटनाओं का अम्बार होता है । एक बार अपने साथियों के साथ आम के बगीचे मे भाग गया था और बगीचे के रखवाले से शिकायत मिलने पर शिक्षक महोदय से बड़ी मार पड़ी थी, उसके बाद फिर कभी दुबारा ऐसा नहीं हुआ ।
बचपन में हमलोग कविता "आ रे बादल, काले बादल, गर्मी दूर भगा रे बादल "एवं "बसंती हवा "खूब शोर मचा कर पढ़ा करते थे । ये कविताएं मुझे आज भी ऐसे ही याद हैं, जैसे मैं उसी उम्र मे हूँ ।
बचपन सभी का सुहाना होता है । कभी खेलने की प्रफुल्लता, तो कभी मार खाने का डर । लेकिन आज भी उस दिन को सोच कर मन रोमांच से भर जाता है ।
Deleteबचपन मे मैं पहली बार, दूसरे बच्चे को देखकर विद्यालय पहुँचा था और स्वयं ही विद्यालय मे नाम दर्ज करवाया था और साथियों के साथ खेलते हुए स्कूल पहुँचा करता था ।
बचपन सुखद और दुखद घटनाओं का अम्बार होता है । एक बार अपने साथियों के साथ आम के बगीचे मे भाग गया था और बगीचे के रखवाले से शिकायत मिलने पर शिक्षक महोदय से बड़ी मार पड़ी थी, उसके बाद फिर कभी दुबारा ऐसा नहीं हुआ ।
बचपन में हमलोग कविता "आ रे बादल, काले बादल, गर्मी दूर भगा रे बादल "एवं "बसंती हवा "खूब शोर मचा कर पढ़ा करते थे । ये कविताएं मुझे आज भी ऐसे ही याद हैं, जैसे मैं उसी उम्र मे हूँ ।
मेरा बचपन का जीवन बडा ही संघर्ष युक्त रहा है ।मेरी इच्छा तो देश की रक्षा करना थी ।परन्तु प्रयास तो किया असफल रहा ।अब मुझे वेसिक शिक्षा मे सेवा करने मैका मिला ।कविता Cham Cham Cham Cham Karta Bhalu Aaya
ReplyDeleteमेरे बचपन की कहानी दिन निकला । विमला पानी भर लाई
ReplyDeleteJab mai prathmik vidyalay me padhta tha tab rattan pranali shiksha par jor diya jata tha aur aaj gatividhi adharit shiksha Par. Jiska parinam ya hai ki aaj vidyalay me chhatr anupasthiti ki smasya kam hai.
ReplyDeleteबचपन सभी का सुहाना होता है । कभी खेलने की प्रफुल्लता, तो कभी मार खाने का डर । लेकिन आज भी उस दिन को सोच कर मन रोमांच से भर जाता है ।
ReplyDeleteबचपन में मैं अपनी माँ की बहुत हैल्प करता था तो माँ मुझसे बहुत प्रसन्न होती थी एक बार एक बिल्ली धोखे से मुझसे मर गयी जिसका दुःख मुझे आज भी है।
ReplyDeleteलाठी लेकर भालू आया ,छम छम छम।
ढोल बजाता में ढक आया, ढम ढम ढम
मेंढक ने ली मीठी तान
और गधे ने गाया गान।
खूब लड़ी मरदानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
नाना के संग पढ़ती वह तो नाना के संग खेली थी।
वरछी ढाल कृपाण कटारी उसकी यही सहेली थी 'वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद जवानी थी
.
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ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता -
ReplyDeleteमछली जल की रानी है।
जीवन उसका पानी है ।
हाथ लगा लो तो डर जायेगी,
बाहर निकालो तो मर जायेगी ।
सुखद स्मृति-
जब कक्षा में अच्छे अंक आते थे तो बहुत खुश होते थे ।
दुखद स्मृति-
साईकिल से ऐक्सीडेंट होना ।
My childhood favourite poem is
ReplyDeleteJohny Johny Yes Papa
eating sugar No Papa
telling lie No Papa
open your mouth
hahaha
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
Deleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानी
2.अकबर बीरबल की कहानी।
मेरे बचपन के पसंदीदा कविताएं
ReplyDelete१-आलू कचालू बेटा कहां गए थे
२-हाथी राजा कहां चले
------ अपर्णा पाण्डेय
ReplyDeleteप्रा० वि० गुरैयनपुर
घाटमपुर , कानपुर नगर #
बचपन सभी का सुहाना होता है । कभी खेलने की प्रफुल्लता, तो कभी मार खाने का डर । लेकिन आज भी उस दिन को सोच कर मन रोमांच से भर जाता है ।
सुखद स्मृति- सबसे अधिक अंक प्राप्त करने पर पुरस्कृत किए जाना |
ReplyDeleteदुखद स्मृति- मेरे सबसे प्रिय खिलौने का टूट जाना|
बचपन में सीखी कहानी-(1) अंगूर खट्टे है| (2) प्यासा कौआ
सुखद अनुभव- आरंभिक गृह शिक्षा के बाद स्कूल में औपचारिक प्रवेश के समय प्रधानाध्यापक द्वारा परीक्षण प्रश्नों के जवाब के बाद कक्षा 2 में सीधा प्रवेश। दुखद अनुभव- याद नहीं।
ReplyDeleteबचपन की यादें अभी भी सुखद मेहसूस होते हैं क्योंकि उस समय चिंता रहती खेलना मन पसंद की चीजें खाना अपने
ReplyDeleteदोस्तों के साथ लड़ना फिर थोड़ी देर बाद
मिल जुल कर पाठशाला जाना यह सब होता है ।
मेरी पसंद कविता तितली
पंचतंत्र की कहानियां और चंदा मामा की
कहानियां
tiggksjvzjyursutgzjczhfs
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
Bachapan me jb mai mummy ki mar khane se bhagta aur chhup kr aakhen band kr leta tha to mujhe lagta tha ki ab mujhe koi nhi dekh rahaa h. Jbki aisa nhi hota.
ReplyDeleteAur jb kabhi hm jhuth bolte the aur pakade jaate the to pit jate the.
Is liye sb kuchh waisa nhi hota jaisa hm sochate h.
बचपन की बहुत सी सुखद और दुखद यादें आज भी जेहन मे उमड़ती है ।मेरे बचपन की प्यारी कविताएं-लाठी लेकर भालू आया,छम-छम-छम
ReplyDeleteढोल बजाता मेढक आया ढम-ढम-ढम। और अम्मा जरा देख तू ऊपर चले आ रहें हैं बादल--------।
कहानियां-कौआ और गिलहरी की कहानी-----और छत पर मेरा घोंसला था,घोंसले मे दो बच्चे थे,बच्चे चू-चू करते थे,अब वो वहाँ नहीं हैं--------। भुत पसंद आती थी ।
मैं जब पूर्व - प्राथमिक कक्षा में थी अभी भी मुझे याद है विद्यालय के वार्षिक कार्यक्रम में मैने DANCE में भाग ली थी| मुझे DANCE में बहुत रूचि है|
ReplyDeleteउस समय का गाना अभी भी याद है,
ले लो ले लो मटर की दो फलियाँ | इसमें मुझे इनाम भी मिला था |
Bachpan ke yade bahut hi sukhad thi.sara samaj bachcho ko apni dhrohar smjhta tha.khi bhi roktok nhi thi. .chhupan chhupayi,Gilli danda,chorpolice ka khel,sath hi veer tum badhe chalo,ki Kavita,din Bhar gate rahte the .
ReplyDeleteमेरे बचपन में हम लोग खेल खेलते थे जैसे- लम्बी कूद, ऊँची कूद ,यह एक सुखद स्मृति है पर एक बार ऊँची कूद के समय मैं चोटिल हुआ था यह एक दुखद स्मृति है।मेरे जीवन की पहली कविता तितली रानी शीर्षक और कहानी सादी - वादी शीर्षक से मेरे पिता जी द्वारा सुनाई गई थी।
ReplyDeleteबचपन में कहानी सुनने का बहुत शौक था कहानियों को सुनकर उसको नाटक में रूपांतरित किया जाता था सभी भाई बहन किरदार निभाते थे एवं मित्र मंडली के साथ खूब मस्ती किया करते थे
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
बचपन की याद करता हूं तो यह कविता याद आ जाती है ।Early to bed early to rise. ये काफी प्रेरणा स्रोत्र भी रही जीवन मे ।
ReplyDeleteसुखद स्मृति--बचपन में सबसे अधिक अंक मिलने पर, शिक्षक तथा परिवार से मिलने वाला स्नेह अच्छा लगता था | दुखद स्मृति-- शिक्षक , या किसी के द्वारा बिना गलती पर डाटने/दण्ड देने पर | बचपन की सीखी कहानी/कविता-- प्यासा कौआ,अंगूर खट्टेहैं/अम्मा जरा देख तो ऊपर, चले आ रहे हैं बादल ऊपर......
ReplyDeleteमेरे बचपन में, आज जैसी सुविधाएं और संसाधन नहीं थे। आयु का विद्यालय में प्रवेश हेतु कोई नियम न था। गांव के अन्य बच्चों के साथ बनियान और अंडरवीयर में नंगे पैर विद्यालय जाता था। उस समय आज जैसे कार्य अध्यापकों के पास न होकर केवल शिक्षण कार्य ही रहता था। सभी बच्चे शिक्षकों में और शिक्षक बच्चों में अपनापन देखते थे। शिक्षण कार्य भी पेड़ों के नीचे ही संपन्न हुआ करते थे।
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे मेरा नामांकन मेरी सहेली के साथ एक ही कक्षा में हुआ तो वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है तथा जब
ReplyDeleteएक दिन अध्यापिका डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती वर्षों सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2. twinkle twinkle
कहानियाँ-
1. पंचतंत्र की कहानियाँ
2. प्यासा कोआ
बचपन की एक सुखद घटना - नदी किनारे रेत का घर बनाना,
ReplyDeleteबचपन की एक दुखद घटना - स्थानांतरण होकर दूसरी जगह जाना,
बचपन की दो कविताएं -
(१) रैन रैन गो अवे
(२) बाबा ब्लैकसीप
Poem- early to bed
ReplyDelete2- twinkle twinkle little star
ReplyDeleteJab mai class two me tha to jab teacher table sunte the aur yad na hone per peete jate the to bara dukh hota tha lekin jis din bach jate the to bahut khusi hoti thi ye kavita mujhe aaj bhi yad ati hai sooraj nikla chidiya boli tab bacho neaakhe kholi..,...
Yes and the poems are twinkle - twinkle and jony-jony
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
मेरे बचपन में, आज जैसी सुविधाएं और संसाधन नहीं थे। आयु का विद्यालय में प्रवेश हेतु कोई नियम न था। गांव के अन्य बच्चों के साथ बनियान और अंडरवीयर में नंगे पैर विद्यालय जाता था। उस समय आज जैसे कार्य अध्यापकों के पास न होकर केवल शिक्षण कार्य ही रहता था। सभी बच्चे शिक्षकों में और शिक्षक बच्चों में अपनापन देखते थे। शिक्षण कार्य भी पेड़ों के नीचे ही संपन्न हुआ करते थे।
ReplyDeleteगधा एक था मोटा ताजा,
ReplyDeleteबन बैठा वह वन का राजा!
कहीं सिंह का चमड़ा पाया,
चट वैसा ही रूप बनाया!
सबको खूब डराता वन में,
फिरता आप निडर हो मन में,
एक रोज जो जी में आई,
लगा गरजने धूम मचाई!
सबके आगे ज्यों ही बोला,
भेद गधेपन का सब खोला!
फिर तो झट सबने आ पकड़ा,
खूब मार छीना वह चमड़ा!
देता गधा न धोखा भाई,
तो उसकी होती न ठुकाई!
मेरे बचपन की कविता-
ReplyDelete" अम्मा जरा देख तो ऊपर,
चले आ रहे हैं बादल,
गरज रहे हैं बरस रहे हैं ,
दिख रहा है जल ही जल............
बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।☂️☂️☂️🌦🌧
2. लाया हूं जी मैं गुब्बारे........
बचपन की एक सुखद घटना - नदी किनारे रेत का घर बनाना,
बचपन की एक दुखद घटना - स्थानांतरण होकर दूसरी जगह जाना,
बचपन की दो कविताएं -
(१) रैन रैन गो अवे
(२) बाबा ब्लैकसीप
मेरे बचपन की कविता -
ReplyDeleteमैं सबसे छोटी होऊँ,तेरी गोदी में सोऊँ, तेरा अंचल पकड़ -पकड़ कर फिरूँ सदा माँ ! तेरे साथ, कभी न छोडूँ तेरा हाथ !
Bachpan ki yaden bahut hi pyari hoti h jab mai primary school me padhati thi to 2 poem sikhi thi(1) dug, dug, karta bandar aaya. Bandar wala bandar laya, bandar k sath ak bandariya,,pahni thi wah lal ghaghariya.(2)lathi lekar bhalu aaya cham,cham,cham.dhol bajata,medhak aya dham,dham,dham.
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता -
ReplyDeleteमैं सबसे छोटी होऊँ,तेरी गोदी में सोऊँ, तेरा अंचल पकड़ -पकड़ कर फिरूँ सदा माँ ! तेरे साथ, कभी न छोडूँ तेरा हाथ ।
मनसा कुमारी राठौर शिक्षामित्र
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
Riyaz Ahmad H M PS MAHESHPUR BLOCK SINGHPUR DISTRICT AMETHI
मेरा बचपन बहुत ही अच्छा बीता था मेरे बचपन में प्राइमरी स्कूल में कविता थी उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो बीती रात कमल दल फूले उनके ऊपर भंवरे झूले यह कविता याद करने में मुझे बहुत आनंद आया था
ReplyDeleteबचपन याद आते ही बहुत सी बाते याद आने लगती है जैसे- बिना किसी फिक्र के अपनी दुनिया में मस्त रहना किसी जिम्मेदारी की परवाह ही नहीं होती खूब खाओ खूब खेलो और खूब पढ़ो का फंडा रहता है।
ReplyDeleteयाद आता है बचपन का गांव
ReplyDeleteवो गुल्ली डंडा, घाता गिंडी
और दौड़ना नंगे पांव...
याद आता है बचपन का गांव
वो सावन के झूले, बरमंठी
और पीपल की छांव....
वो मुर्गों की कूकडू कूं,कबूतरों की गुटर गूं
और कौवों की कांव....
वो बाजरे की रोटी चटनीऔर मठ्ठा
थे मेरे भाजी पाव....
याद आता है बचपन का गांव
सुरेन्द्र तंवर
बचपन की कहानियाँ - प्यासा कौआ, अंगूर खट्टे हैं, लालची कुत्ता |
ReplyDeleteकविता - पानी बरसा छम - छम,
वीर तुम बढ़े चलो, चंदा मामा |
सुखद अनुभव वो थे जब विद्यालय के शिक्षकों द्वारा मेरी खूब प्रसंशा की जाती थी और कहा जाता था कि वाह क्या student है और दुःखद अनुभव वो जब मुझे कुछ नहीं आता तो teacher कहते कि बैंच पे खड़े हो जायो।
ReplyDeleteमुझे बचपन की वह कविता" उठो लाल अब आँखें खोलो पानी लायी हूँ मुँह धोलो।"प्रेम चंद जी की सारी कहानियां बहुत पसंद थी और है।
सुखद स्मृतियां
ReplyDeleteकक्षा में प्रथम आना, class मॉनिटर बानना, पिता द्वारा वह जूते दिलवाना जिससे विशेष प्रकार की आवाज निकलती थी|
दुखद स्मृतियां
पिता का एक्सीडेंट होना, ट्रांसफर हो जाना, नए दोस्त बनाने में वाली मुश्किलें
Very interesting days in childhood to tension for everything
ReplyDeleteबचपन की स्मृतियाँ आभूषण-मंजूषा की भाँति हमारी धरोहर होती हैं | एकाकी पलों में वे कभी गुदगुदाती हैं तो कभी गंभीर भी कर जाती हैं | जिम्मेदारियों से परे स्वच्छंद जीवन, समय की पाबंदी से मुक्त खेल, आम के बगीचे में साथियों के साथ घूमना और अमिया तोड़ना, शरारतें करना, बहन से झगड़ना और पिता के क्रोधित होने पर उनकी पकड़ से बचने के लिए छिप जाना, ऐसी अनेक सुनहरी यादों की लंबी सूची है, जो आज भी बचपन को दूर नहीं जाने देती |
ReplyDeleteREKHA BAI (A.T.)
ReplyDeleteP.S.D.P.-2 AMETHI (U.P.)-227405
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
था उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चे एक तालाब मे स्नान करने लगे , उस समय दूसरे गांव के
निवासी ने हम सभी को विद्यालय मे
शिकायत कर सजा दिलवाई परन्तु खुद
भी सजा दी। सामाजिक समरसता के कारण इसकी शिकायत कहीं नही हुई।
बचपन हमारा ज्यादातर सुखद घटनाओं में ही बीतता है, मैं कक्षा एक से कक्षा आठ तक हमेशा कक्षा एवं स्कूल में प्रथम ही आया। मुझसे ज्यादातर बच्चे प्रतिस्पर्धा करते थे लेकिन फिर भी कक्षा में प्रथम मैं ही आता था। हमारे विद्यालय में प्रत्येक कक्षा में मोनीटर का चुनाव वोटिंग द्वारा अध्यापकों की उपस्थिति में शनिवार को बालसभा के दौरान होता था जिसमें मोनीटर के पक्ष में विद्यार्थियों को हाथ उठाना होता था। इसमें भी हम कक्षा चार से आठ तक लगातार मोनीटर रहे।उस समय गृहकार्य न करने पर व विद्यालय लेट आने पर डन्डो से पिटाई होती थी।ल लेकिन मेरे पूज्य गुरुदेव ने मुझे कभी नहीं मारा।
ReplyDeleteमेरे जीवन में दुखद पहलू यह रहा मैं बचपन में अपने घर पर मिट्टी की चक्की को तोड़ रहा था तभी अचानक एक पडोस की लड़की आकर खड़ी हो गई और मेरे हाथ का हसिया उसके पैर में लगा और पार हो गया उस लड़की के पैर से काफी ब्लीडिंग हुई जिससे मुझे बहुत दुख हुआ।
कविताएं बहुत याद है।
जैसे-हठकर बैठा चांद एक दिन माता से वह बोला----------
ट्विकल ट्विकल लिटिल स्टार-----
थाल सजाकर किसे पूजने चले----
आदि।
सुभाष बाबू स०अ०
मेरे बचपन की कहानी और कविता,
ReplyDeleteमछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी हैl
हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी.l
बचपन की बात कोई न करे तो ही अच्छा है। ना तो आप उन दिनों को फिर से जी सकते है और न ही उन दिनों को वापस आ सकते हैं।
ReplyDeleteकहानी इतनी थी कि कुछ कह नही जा सकता और कविता की तो आप पूछो ही मत।
पापा ओर माँ की डांटऔर दादी माँ औऱ दीदी का प्यार।
कॉलोनी घर था और सभी लोग माता पिता तुल्य थे।
झांसी की रानी और पंचतंत्र की कहानियां सर्वोत्तम लगती थी।
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
Ahmad hasan ups jaitipur
मुझे अपना बचपन जब भी याद आता है मन मे एक उमंग सी छा जाती है
ReplyDeleteस्कूल मे सभी टीचर्स मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करते थे
घर मे भी मै सबका लाडला था सबसे ज्यादा मुझे मेरी बहने प्यार करती थी
मेरी हर छोटी छोटी खुशियों का ध्यान रखती थी
खुद की चीज भी मुझे खाने को दे देती थी
बस आज उनके प्यार का अहसास इन शब्दो मे महसूस करता हूँ
मेरे पीछे मत चलिए
हो सकता है कि मै नेतृत्व ना कर सकू
मेरे आगे मत चलिये
हो सकता है मैं "अनुगमन" ना कर सकूँ
बस मेरे साथ चलिये मेरे अपने बनकर
ताकि "मैं, आपके साथ चल सकूँ
🙏
जब मै प्राथमिक विद्यालय मे पढता
ReplyDeleteथा उस समय सामाजिक तानाबाना
इतना मजबूत था कि पूरा समाज किसी
भी बच्चे को अपना समझता था और
उसी तरह ध्यान भी रखता था। एकबार
हम सभी बच्चों को एक साथ सजा मिली सब बच्चों को मुर्गा बनना पड़ा, क्योंकि इंटरवल समाप्त हो चुका था और गुरु जी ने तीन बार घंटा बजाया लेकिन किसी बच्चे को सुनाई नहीं दिया क्योंकि हम सभी बच्चे पास के बाग चकबंदी कर्मचारियों को देखने में मग्न थे। जब सब बच्चे वापस आए तो गुरु जी ने सभी को मुर्गा बनने का दंड दिया। उसमें हमारे गुरु जी की कोई गलती नहीं थी हम सभी ने अंजाने में गुरु जी को कष्ट दिया सो सजा तो मिलनी चाहिए थी। जो भी हो वह समय बहुत अच्छा था, सब बच्चे बिना भेदभाव के मिलकर खेलते थे। मुझे बचपन बहुत याद आता है।
मेरे बचपन की एक कविता है मोटे भईया बड़े सियाने मलमल साबुन लगे नहाने
ReplyDeleteगतिविधियां ओर खेल कूद बच्चो के शारीरिक विकास ओर मानसिक विकास दोनों में सहायता करता है। ये बच्चो के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि उन्हें कोई गतिविधि करने से ना रोक बच्चे कुछ भी करते है तो कुछ ना कुछ सीखते है। कार्य करते हुए कभी बच्चो को चोट लगेगी तो वो समझेंगे की ये काम उनके लिए सही नहीं है ओर जिस काम से उन्हें खुशी मिलेगी को उसे आनंदमय ढंग से करना पसंद करेंगे।
ReplyDeleteसुखद स्मृति-कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर पुरूस्कार मिलना। दुखद स्मृति- बगीचे से अमरूद चुरा कर खाने में पिटाई होना औरडांट पड़ना। कहानी प्यासा कौआ और अंगूर खट्टे हैं, लोमड़ी की कहानी।। कविता- उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लायी हूं मुंह धोलो। है।
ReplyDeleteप्राथमिक शाला मेन प्रथम दिन मेरे लिए अविस्मरणीय है क्योंकि वह पहला दिन था, जब मैंने माता-पिता कि उंगली छोड़कर दोस्तों के साथ खेलाँ और पढ़ा।
ReplyDelete
ReplyDeleteUnknown18 November 2020 at 18:58
मेरे बचपन की एक कविता
"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना।
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
मेरे बचपन की एक कविता
ReplyDelete"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना।
बचपन में सुभद्रा जी की कविता पढ़ी सुन्दर कविता थी 'परन्तु आज की कविता अलग है आज वो बचपन नहीं। सारा काम बच्चों को थोपा जा रहा है।
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
जब मैं कक्षा 6 मैं थीं गणित की मैम बहुत मारती थीं जो आता था वो भी भूल गए, जब मैं NCC में थीं वो मैम हमेशा सकारात्मक बोलतीं थीं की मेरे बच्चे सब कामयाब हो जायेंगे और हम कामयाब हैं thank you ma'am, ,, "हम गयें बाजार , बाजार से लाये बेरी, बेरी ऊरी भूल गए घूंघट वाली मेरी",
ReplyDelete" उठो लाल अब आंखें खोलों "
बचपन की यादें बहुत प्यारी होती हैं जब मुझे सरकारी विद्यालय में पढ़ने भेजा गया तो उस दिन में बहुत रोई क्योकिं वह +दिन मेरा बिद्यालय का पहला दिन था ।जब में कक्षा ग्यारह में पढ़ती थी तो मेरी माँ का गम्भीर बीमारी के बाद स्वर्गवास हो गया ।परिवार की सारी जिम्मेदारी मेरे पास आ गयी।. कुछ समय बाद मुझे अपनी माँ की जगह पर नौकरी करने का मौका मिल ही गया। और अपनी माँऔर अपने परिवार की )जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाई यह मेरी सबसे प्यारी काबिता थी।। मेरी माँ है सबसे प्यारी , तुझसे प्यारा कोई नही। तूने मुझको संसार दिखाया ,और बदले में कुछ भी न चाहा।। ये जीवन मेरा तेरी अमानत , करूमैं तन मन से सबकी सेवा
ReplyDeleteबचपन में अच्छे अंक पाना और सभी का परिवार वालों का विद्यालय के अध्यापकों का स्नेह पाना अच्छा लगता था 1 दिन ड्रेस के जल जाने पर अत्यधिक पिटाई होना बहुत बुरा लगा
ReplyDeleteबचपन सभी का सुहाना होता है । कभी खेलने की प्रफुल्लता, तो कभी मार खाने का डर । लेकिन आज भी उस दिन को सोच कर मन रोमांच से भर जाता है ।
ReplyDeleteबचपन मे मैं पहली बार, दूसरे बच्चे को देखकर विद्यालय पहुँचा था और स्वयं ही विद्यालय मे नाम दर्ज करवाया था और साथियों के साथ खेलते हुए स्कूल पहुँचा करता था ।
बचपन सुखद और दुखद घटनाओं का अम्बार होता है । एक बार अपने साथियों के साथ आम के बगीचे मे भाग गया था और बगीचे के रखवाले से शिकायत मिलने पर शिक्षक महोदय से बड़ी मार पड़ी थी, उसके बाद फिर कभी दुबारा ऐसा नहीं हुआ ।
बचपन में हमलोग कविता "आ रे बादल, काले बादल, गर्मी दूर भगा रे बादल "एवं "बसंती हवा "खूब शोर मचा कर पढ़ा करते थे । ये कविताएं मुझे आज भी ऐसे ही याद हैं, जैसे मैं उसी उम्र मे हूँ ।
वीनूलता(स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय भिस्वा,
ब्लॉक ब्रह्मपुर गोरखपुर ।
उत्तर प्रदेश ।
Emotional
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
बचपन मे अच्छे अंक आने पर घर परिवार व पड़ोस से मिलने वाला स्नेह अच्छा लगता था
ReplyDeleteहोली खेलने पर PTI गुरुजी से खाई पिटाई अविस्मरणीय है
Bachpan ki yaade bht sunder hoti h m apne bchpn ki yaade kbi nhi bhul skti jb m primry school me thi to hm bht khela krte the...hm lkdi ki tkhti pr kalam se or syahi se likhte the. Hmare master g cycle pr schhool aate the. Jb wo school gate pr aate the to kuch bcche bhag kr master g ka cycle pkdte the. Hm niche tat ptti pr bthte the . Or roj subh master g ke aane se phle hm phoolo se swagtm likhte the..or half day me ped se amrud or fliya kate the. Or pdai me bht mn lgta tha..bht sunder sulekh likhte the.or sb milkr khelte the..sch me bht sunder yaade h mere School ki.
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
I really grateful to my teachers, my mother and friends who support me to educational, and social activities in my childhood days. My teachers used to recite some rhythmes by group activities. Yatendra kankran.
ReplyDeleteबचपन मैं जब गली के स्कूल में जा मुझे एक तख्ती कलम दवात थमा दी गई थी जो मेरे अभ्यास से कहीं दूर थी मैं अपना समान विद्यालय में छोड़ कर चला आया
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता-
ReplyDeleteमछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जाएगी,
बाहर निकालो मर जाएगी
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
मेरी पढ़ाई गुजरात में हुई।बचपन में मेरी पसंदीदा कहानी थी "काबुलीवाला,' जो मेरी स्मृति में आज भी अंकित है।उसको पढ़कर में भावुक हो गई थी।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत सुखद होती हैं।विद्यालय में नामांकन के बाद जब नयी नयी किताबें और बैग तथा टिफिन बाक्स मिला तो उसे लेकर स्कूल जाना नये नये मित्र बनाना यह सुखद अनुभूति थी।गृहकार्य न करने पर डाँट पड़ना यह दुखद अनुभूति थी। ... प्रारंभिक वर्षों में सीखी गई कविता ... (1)उठो लाल अब आँखें खोलो.......(2)खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी..... कहानियां.....(1)अकबर बीरबल की(2)पंचतंत्र की कहानियां
ReplyDeleteमेरे बचपन की सुखद घटना _हमारे स्कूल के टीचर्स बहुत ही फैमिली बिहेव करते थे छोटी-छोटी बातों मैं हमें प्रोत्साहित करते थे जिससे हमारा सर्वांगीण विकास हो सका आज जब मैं स्वयं एक शिक्षक हूं तो उन्हीं बातों को याद कर मैं अपने विद्यार्थियों को भी छोटी-छोटी बातों पर प्रोत्साहित करने की कोशिश करती हूं
ReplyDeleteमेरे बचपन की कविता -
ReplyDelete"अम्मा जरा देख तो ऊपर ,चले आ रहे हैं बादल, गरज रहे हैं, बरस रहे हैं ,दिख रहा है जल ही जल, बाहर निकलो मैं अभी भी गुस्सा आ रहा है मेरा मन।🏊♀️🤗
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी।
It was a beautiful poem read Subhadra ji's poetry in childhood, but today's poem is different, today it is not childhood. All the work is being imposed on the children
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय सुल्तानपुर मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है। विद्यालय का अनुशासन ,
ReplyDeleteआचार्यों का प्यार, पढ़ने वाले भाई बहनों का सभी क्षेत्रों में सहयोग बचपन की यादें आज भी सजीव लगती है और बाल गीत आज भी बच्चों को पढ़ाते समय गुनगुना लेते हैं ।बचपन का अनुशासन आज भी जीवन के हर क्षेत्र में सबल के रूप है।
अनुभव जायसवाल सहायक अध्यापक कमपोजिट विद्यालय जैतपुर Bhitar लंभुआ सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश)
बचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे मेरा नामकन हुआ, तब वह मेरे बचपन की सुखद अनुभूति थी ।
ReplyDeleteमुझे विद्यालय जाना बहुत पसंद था । दोस्तों के साथ खेलना, मिलकर पढ़ना, सभी कुछ ।
मेरे बचपन की एक कविता
ReplyDelete"लाठी लेकर भालू आया,
छम -छम- छम ,छम-छम-छम ,
ढोल बजाते मेंढक आया ,
ढम-ढम-ढम, ढम-ढम- ढम
मेढक ने ली मीठी तान,
और गधे ने गाया गाना
मनोज कुमार चौरसिया। यूपीएस मिश्रवलिया ,बेरुरबारी मेरे बचपन की यादें बहुत खूबसूरत थी जब मैं प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता था उस समय की कविता में से एक है उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो और दूसरी कविता जिसने सूरज चांद बनाया जिसने तारो को चमकाया पढ़ा था कहानी में चालाक लोमड़ी की कहानी शेर और चूहे की कहानी पढी थी ----------------------------------------------उस समय की मेरी एक दुखद घटना थी मैं घर से स्कूल तो जाता था लेकिन स्कूल पहुंचता नहीं था और स्कूल की छुट्टी के समय घर वापस आ जाता था एक दिन मेरी चालाकी का पता चला और मेरी घर में खूब पिटाई हुई तब से मैं रोज स्कूल जाने लगा😊😊
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत प्यारी होती है जब विद्यालय में मेरा दाखिला हुआ मेरी वह बचपन की सुखद अनुभूति थी और एक दिन शिक्षक से डांट मिली वह मेरी दुखदअनुभूति बचपन में सुभद्रा जी की कविता पढ़ी कविता बहुत सुंदर थी परंतु आज की कविता अलग है आज वह बचपन नहीं सारा काम बच्चों पर थोपा जा रहा है इसके अलावा मुंशी प्रेमचंद की कहानियां इत्यादि की पड़ी
ReplyDeleteबचपन में जो स्नेह गुरूजनो से मिला वो भावनात्मक लगाव अभी भी हमेशा उन्हें कुछ न कुछ करने को प्रेरित करता है और जिसका सकारात्मक प्रभाव विद्यालय में निश्चित रूप से दिखता है।
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत प्यारी होती है। जब विद्यालय मे नामकन हुआ मेरा वो मेरे बचपन का सुखद अनुभूति है।
ReplyDeleteएक दिन शिक्षाक से डाँट मिली थी वो दुखद अनुभूति।
शुरुआती बर्षो मे सीखी गई कविता -
1. वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो।
2.खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
कहानिया -
1.पञ्चतरत्र की काहिनिया।
2.अकबर बीरबल की कहानी। Vibha Sharma p.s.5 Nagar Shamli
वैसे तो बचपन के कई सुखद व दुखद अनुभव होते हैं, जिन काम के लिए अभिभावक एवं अध्यापक खुश हो वह सुखद अनुभव होता था|
ReplyDelete"तू चल मै आता हूँ, चपडी रोटी खा ता हूँ|"
तथा
"प्यासा कौवा" आदि
बचपन की यादें बहुत सुखद होती हैं।विद्यालय में नामांकन के बाद जब नयी नयी किताबें और बैग तथा टिफिन बाक्स मिला तो उसे लेकर स्कूल जाना नये नये मित्र बनाना यह सुखद अनुभूति थी।गृहकार्य न करने पर डाँट पड़ना यह दुखद अनुभूति थी। ... प्रारंभिक वर्षों में सीखी गई कविता ... (1)उठो लाल अब आँखें खोलो.......(2) चंदा मामा दूर के…।
Deleteबचपन में छोटी सी छोटी गलती करने पर पिताजी के द्वारा डांटना और फिर बाद में उसी गलती को मां के द्वारा अपनी गोदी में बैठा कर बड़े ही प्यार और सरल शब्दों में उस गलती को फिर दोबारा नहीं करने के लिए समझाना ।प्यासा कौवा अंगूर खट्टे हैं तथा हुआ सवेरा बच्चे जागो तथा द रेन कविता मुझे आज भी बहुत अच्छी तरह से याद है।
ReplyDelete.बचपन की यादें बहुत सुखद होती हैं।विद्यालय में नामांकन के बाद जब नयी नयी किताबें और बैग तथा टिफिन बाक्स मिला तो उसे लेकर स्कूल जाना नये नये मित्र बनाना यह सुखद अनुभूति थी।गृहकार्य न करने पर डाँट पड़ना यह दुखद अनुभूति थी। प्रारंभिक वर्षों में सीखी गई कविता ... (1) नन्हा मुन्ना राही हू ......(2) चंदा मामा दूर के…।
Deleteमुझे अपना बचपन बहुत खूबसूरत लगता है। बागों में खेलना ,स्कूल में होने वाले क्रियाकलाप और अध्यापक का डर।पर था बहुत ही सुखद ।शनिवार को होने वाली एक्टिविटी में मुझे अध्यापक द्वारा अधिक महत्व दिया जाना मेरी सुखद यादों में है
ReplyDeleteबचपन में महादेवी वर्मा की कहानी गिल्लू व प्रेमचंद की कहानी चिमटा अच्छी लगी थीं
ReplyDeleteI have fond memories of playing in the children's park area during the recess period .....and sad memories when inspite of being the games period we were not allowed to play to complete the course of some subject..
ReplyDeleteMy two early poem memories are of :: "twinkle- twinkle little star " and " machali jal ki rani hai..".......with actions......
बचपन की यादें बहुत सुखद होती है विद्यालय में नामांकन के बाद जब नई नई किताबें और बैग तथा tiffin box mila to use Lekar School Jana नए-नए मित्र बनाना यह सुखद अनुभव तिथि गृह कार्य करने पर डांट पढ़ना यश दुखद अनुभव थी प्रारंभिक वर्षों मैं सीखी गई कविता वन उठो लाल अब आंखें खोलो दो चंदा चंदा मामा दूर के आज कविताएं बहुत याद आती है
ReplyDeleteज़ब मैं प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता था तो सबसे पहले लकड़ी की तख्ती पर लिखना शुरू किया था,
ReplyDeleteमेरी प्यारी कविता =
हठ कर बैठा चाँद एक दिन माता से यों बोला !
सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झंगोला !!
मेरे द्वारा बचपन मे पढी गई कविता
ReplyDeleteऋतुएं
सूरज तपता धरती जलती
गरम हवा जोरों से चलती
तन से बहुत पसीना बहता
हाथ सभी के पंखा रहता ।
आ रे बादल काले बादल
गरमी दूर भगा रे बादल
रिमझिम बूंदें बरसा बादल
झमझम पानी बरसा बादल ।
लो घटोर घटाएं छाई
टपटप टपटप बूंदें आई
बिजली चमक रही चमचम
लगा बरसने पानी झमझम ।
सुखद अनुभूति बचपन मे अपने शिक्षक की साइकिल के साथ दौड़ना।
ReplyDeleteऔर दुःखद अनुभूति कभी कभी दंडित होना।
कविता 1- विमल इंदु की विशाल किरणें
प्रकाश तेरा बता रही हैं।
२- सारे चूहों ने मिल जुल कर एक बनाया दही बड़ा
3-कद्दू जी की चली बरात
हुई बताशों की बरसात
कहानी 1- चूजा चूहा चींटी गुबरैला द्वारा अखरोट की नाव बनाना।
2- इसमें क्या शक है ।
सुखद अनुभूति मै क्लास की मोनोटोर थी दुखद अनुभूति मेरा गणित मे मैं नही लगा था |
ReplyDeleteबचपन में मै पीपल के पेड़ क नीचे अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में पहली बार गए थे तो अन्य बच्चों के साथ खेलने में घर की अपेक्षा
ReplyDeleteज्यादा मजा आया था ,परन्तु तत्कालीन प्रचलित रट्टा पद्धति पढाई के प्रति मन में भय था की अगर गृहकार्य याद नही करेंगे तो पिटाई होगी l
कहानी ----- कौआ और घड़ा
प्यासा कौआ पानी की तलाश में भटकते हुए एक घड़ा में नीचे पेंदा में पानी देखता है ,जहाँ से कौआ पानी पीने में असमर्थ हो जाता है उसके बाद कौआ घड़ा में कंकड़ डालना शुरू करता है l पानी ऊपर आ जाता है कौआ पानी पी लेता है ल
कविता -------- किसान
नहीं हुआ है अभी सवेरा पूरब की लाली पहचान ,
चिड़ियों के जगने से पहले खाट छोड़ उठ गया किसान ल
खिला पीला बैलों को ले चला खेत पर काम
नहीं कभी थकते हैं
उनके हैं आराम हराम ल
---------------------
सुखद स्मृति- जब मैं क्लास फोर्थ में पढ़ती थी तो स्कूल की छुट्टी के बाद हम बगल वाले पार्क में खेलने लग जाते थे जब हम देर से घर पहुंचते थे तो पापा की मार से बचने के लिए मेरी बड़ी बहन अपने सिर का और अपनी पलकों का एक बाल तोड़ कर ईद के नीचे दबा देती थी हम लोगों की ऐसी मान्यता थी कि ऐसा करने से सिर्फ डांट पड़ेगी मार नहीं और ऐसा ही होता भी था उस घटना को याद करके आज भी खुशी मिलती है)दुखद स्मृति _ जब मैं क्लास नाइंथ में थी मेरे पैरों के नीचे एक चुहिया आ गयी जब मैंने उसे देखा तो उसके मुंह से खून निकल रहा था हम बहनों ने उसे बचाने का बहुत यत्न किया पर वह न बची मुझे इस घटना से बहुत दुख हुआ और मैंने एक कविता लिख डाली उस पर) मेरे बचपन की दो अच्छी कविताएं1- हवा हूं हवा मैं बसंती हवा हूं2- यह कदंब का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे) यह दोनों कविताएं मुझे आज भी अच्छी लगती हैं
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