मॉड्यूल 11 - गतिविधि 6: चिंतन बिंदु
पाठ्यपुस्तक की सहायता से स्पष्ट करें कि आप अपनी कक्षा में विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं (दिव्यांग्जन) आदि का समावेश कैसे करेंगे ?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
बच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैl इससे रिफ्रेश होकर बच्चें खुश होकर सीखने में मन लगाते हैं l
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
DeleteBhasha nirantar sikhane ki prakriya hai
Deleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
DeleteSabhi kriya kalapo me chhatra chhatraao ki saman bhagidari sunischit karna hoga vishesh aawasyakta ke anusaar subidha dekar shikshan sampan karna chahiye.
DeletePUSHPA DEVI
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
सभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
DeleteChildren's activities influence the two of their physical and mental self:they refresh them and stay happy and learn to learn
Delete...भाषा शिक्षण के दौरान ,छोटी प्रेरणादायी अन्
Deleteर्तकथाएं शामिल कर संवेदनशील मुद्दों को शामिल किया जा सकता है
बच्चों के लिए गतिविधियों उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती है, इससे रिफरेश होकर बच्चे खुश होकर सीखने में मन लगा लेते हैं ।
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
Deleteबच्चों के लिए गतिविधियों उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती है, इससे रिफरेश होकर बच्चे खुश होकर सीखने में मन लगा लेते हैं ।
Deleteभाषा शिक्षण के दौरान ,छोटी प्रेरणादायी अन्
Deleteर्तकथाएं शामिल कर संवेदनशील मुद्दों को शामिल किया जा सकता है
बच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैं इससे रिफ्रेश होकर बच्चे खुश होकर सीखने में मन लगा लेते हैं धन्यवाद
Deleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
DeleteBacchon ka khilna jaruri hai bacchon khel ke sath padhaai mein man ja darling
Deleteसमान जेंडर के लिए हमें विद्यालय स्तर पर सभी क्रियाकलापों में बालक एवं बालिकाओं उन दोनों को समान रूप से सम्मिलित करेंगे और विद्यालय में ऐसे प्रोग्राम और क्रियाकलापों को हमें समय-समय पर सम्मिलित करते रहेंगे जिसमें दिव्यांग बच्चे भी आसानी से सम्मिलित हो सके दिव्यांग बच्चों और जेंडर को ध्यान में रखते हुए हैं हम अपने विद्यालय गतिविधि कराएंगे समय-समय पर उनको भी प्रेरित करेंगे
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
Deleteसबको समान अवसर देगें।
DeleteEducation is what survives when what has been learned has been forgotten.
ReplyDeleteसभी क्रियाकलापो में छात्र-छात्राओ की समान भागीदारी, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर....
Deleteएक ऐसी गतिविधि का विकास करना,जेंडर संवेदनशीलता/समावेश/पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता/वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ाने के लिए प्रकरण विशिष्ट विषय के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
Deleteबिना भेदभाव किए सभी छात्र-छात्राओं को.कक्षा के समस्त क्रिया-कलापों मे समान रूप से भागलेने के लिए प्रेरित करेंगे तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सुवधानुसार उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे ःः
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
DeleteEducation is what we learn through out life .
ReplyDeleteSABARI GHOSH DAS, IVWS, KOLKATA
ReplyDeleteTEXT BOOKS ARE IMPORTANT RESOURCE THROUGH WHICH CHILDREN CAN BE MOTIVATED IN LEARNING AND TO RECALL PREVIOUS LESSONS
छात्रों को जेंडर का ज्ञान देकरताली दोनों हाथो से बजती भये समझकर
ReplyDeleteछात्रों को जेंडर की समानता पर्यावरण मुद्दों पर कहानी सुना कर, उसे सामान्य ज्ञान से जोड़कर अपने समाज से जोड़कर
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
ReplyDeleteयह सही है जटिल विषय का ज्ञान देना
Deleteकठिन है पर कौशल से इसे दूर किया जा सकता है।
छात्रों को जेंडर की समानता पर्यावरण मुद्दों पर कहानी सुना कर, उसे सामान्य ज्ञान से जोड़कर अपने समाज से जोड़कर
Deleteछात्रों को जेंडर की समानता पर्यावरण मुद्दों पर कहानी सुना कर, उसे सामान्य ज्ञान से जोड़कर अपने समाज से जोड़कर
DeleteArt integrated learning will be a best possible where interdisciplinary approach could be followed up and students sensory, cognitive, affective and motor skills can be enhanced.
ReplyDeleteसभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
ReplyDeleteKumari Ranju Devi. Gender, divyang main bina bhed-bhao kiye bidyalay ke sabhi shikshathio ko kriya- klap main saman abser dekr vishes aabsyka wale bachcho ko aabsyka ke anuswar subidha deker sikshan karya sampanna karana chahiye. In
DeleteKumari Ranju Devi. Gender, divyang mein bina bhed-bhav kiye bidyalay ke sabhi shikshathio ko kriya-kala main saman abser dekar, vishesh aabasykta bale bachcho ko aabasykta ke anuswar subidha dekar shikshana karya sampanna krna chahiye.
DeleteIts the onus of parents and teachers to make the children sensitive towards the other gender.
ReplyDeleteIn the class teacher should make both boys and girls share activities like moving furnitures and keeping the class neat and tidy.
Encourage both boys and girls to be class leaders .
Involve both boys and girls in the group activity.
Give special attention to the disable child in the class,motivate them and always appreciate their work.
Art integrated learning will be a best possible alternative
ReplyDeleteSabhi bacho ki bhagidari honi chahiye
ReplyDeleteबिना किसी भेदभाव सभी बच्चों जिसमें दिव्यांग बच्चे भी शामिल हो विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखते हुए सभी बच्चों को सम्मिलित करते हुए शिक्षण कार्य करेंगे जिससे बच्चों पर सर्वांगीण विकास हो सके
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक बालिकाओं को किसी प्रकार की क्रिया को समेकित सहभागिता सुनिश्चित करेंगे पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष लगाओ जागरूकता के लिए प्रेरित शामिल हो सकेंगे दिव्यांग बच्चे भी शामिल हो सक करेंगे विद्यालय में ऐसे शारीरिक गतिविधि कराएंगे जिसमें दिव्यांग बच्चे भी शामिल हो सकें
Deleteसभी क्रियाकलापों में विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को भी समान रूप से सम्मिलित किया जाएगा तथा आश्यकतानुसार उनको विशेष सुविधा देकर हम शिक्षण कार्य का संचालन करेगें
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
DeleteGatividhi sharirik and mansik vikas karti hai
Deleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए l
Deleteहम सभी ने निष्ठा प्रशिक्षण से बहुत कुछ सिखा है
Deleteबच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैl इससे रिफ्रेश होकर बच्चें खुश होकर सीखने में मन लगाते हैं l
ReplyDeleteGatividhi bacchon ke sare aur mansik Swasthya donon ko prabhavit karte hain jisse bacche Mein Laga kar sakte hain
DeleteWe should provide healthy environment to the children to be friendly.
DeleteActivities for children affect both their physical and mental health. By being refreshed, children are happy and happy to learn.
ReplyDeletewe should provide healthy environment to the children to be friendly .
ReplyDeleteShikshak aur shiksharthi donon ki sabhyata se viksit kiya gaya hai
ReplyDeleteBachho ko sikhane ke Sabi bachho ki sahbhagita jaruri hai
ReplyDeleteBhasha nirantar sikhane ki prakriya hai
DeleteWe should provide healthy environment to the children to be friendly
ReplyDeleteसभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैl इससे रिफ्रेश होकर बच्चें खुश होकर सीखने में मन लगाते हैं l
ReplyDeleteWE CAN INCLUDE SOME MUSICAL ACTIVITIES
ReplyDeleteChildren are more sensitive to the matter regarding gender social status and environmental issues. We must be aware not to hurt their tender feelings while making them understand these topics.
ReplyDeleteसुविधा देकर शिक्षण कार्य का संचालन करेंगे।
ReplyDeleteसभी क्रियाकलापों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी समान रूप से सम्मिलित किया जाएगा तथा आवश्यकतानुसार उनको विशेष सुविधा देकर शिक्षण कार्य का संचालन करेंगे ।
ReplyDeleteकक्षा पांच की पुस्तक में जहाँ चाह वहां राह का अनुसरण कर सकते हैं तथा समाज की कतिपय दिव्यान्ग किन्तु प्रसिद्घ व्यक्तियों यथा सुधा चन्द्रन बप्पी लाहिरी के जीवन का उदाहरण देकर विषय को स्पष्ट किया जा सकता है
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
Deleteकक्षा पांच की पुस्तक में जहाँ चाह वहां राह का अनुसरण कर सकते हैं तथा समाज की कतिपय दिव्यान्ग किन्तु प्रसिद्घ व्यक्तियों यथा सुधा चन्द्रन बप्पी लाहिरी के जीवन का उदाहरण देकर विषय को स्पष्ट किया जा सकता है
ReplyDeleteरक्षा में हत्या पाठ से बच्चे पर्यावरण ,पक्षियों के व्यवहार ,सेवा भाव सीख सकते है
ReplyDeleteअपनी कक्षा में विभिन्न संवेदनशील जैसे मुद्दो जैसे जेंडर पर्यावरण और विशेष आवश्यकता वाले यानी दिव्यांग जनों आदि का समावेशन हम निम्न बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं - कक्षा में समावेशी शिक्षा अन्य बच्चों अपने स्वयं के व्यक्तिगत आवश्यकताओं यानी क्षमताओं के साथ-साथ जेंडर को एक व्यापक विविधता के साथ दोस्ती का विकास करने की क्षमता विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों जिन्हें आजकल विशेष आवश्यकता वाले बच्चे के नाम से जाना जाता है को सामान्य आवश्यकता वाले बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में ना नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सहायता से हो तथा उनमें लिंग भेदभाव भी ना हो। इसका भी कक्षा में देखना एक दोनों तरह के विद्यालय एक दूसरे को ठीक ढंग से समझे। इनके प्रति अपेक्षित संवेदनशीलता का विकास हो सके समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करने का अपना उदारीकरण की प्रक्रियाओं से प्रेरित करना। यह राजनीतिक अर्थशास्त्र इस मान्यता पर आधारित है जो भूमंडलीकरण पर इस सरकार को जन कल्याण सामाजिक तथा गैर उत्पादक कार्यों में कम से कम खर्च करना यानी सीडब्ल्यूएसएन जैसे बच्चों के लिए विशेष विद्यालय चलाना महंगा सौदा है। शिक्षा में समावेशी शिक्षा को लागू करना बेहद कठिन है। जैसे दृष्टिबाधित अस्थि बाधित मूकबधिर मंदबुद्धि स्वलीनता से ग्रसित बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग भागों से अंशकालीन शिक्षक शिक्षिकाएं रखी जाती हैं समावेशी शिक्षा भूमंडलीकरण की प्रमुख देन है।
ReplyDeleteविद्यार्थियों के अनुभव, पूर्व ज्ञान व तत्कालीन परिस्थितियों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न दृश्य व श्रव्य-सामग्री की सहायता से विभिन्न संवेदनशील मुद्दों के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता लाई जा सकती है |
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा में सभी भाषी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगी तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगी।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाऊंगी।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा के सभी बच्चों को अभिव्यक्ति के समान अवसर प्रदान करूंगी जेंडर पर्यावरण एवं विशेष आवश्यकता आदि का समावेशन करने के लिए मैं कक्षा सेवंथ की हिंदी की पाठ्यपुस्तक का पाठ जन्म बाधा का उदाहरण दे सकती हूं इस पाठ के माध्यम से मैं समाज में फैले जेंडर विषमताओं की चर्चा बच्चों से कर सकती हूं एवं समाज की इस कुरीति के प्रति बच्चों में जागरूकता फैला सकती हूं
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगी तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगी।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगीं
ReplyDeleteसभी क्रियाकलापों में विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को भी समान रूप से सम्मिलित किया जाएगा तथा आश्यकतानुसार उनको विशेष सुविधा देकर हम शिक्षण कार्य का संचालन करेगें
ReplyDeleteविशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगा तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगा।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगा।विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगी तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगी।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगीं
Deleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से समयानुसार भाषा सम्बन्धी विविध समवर्ती गतिविधियों एवं क्रियाकलापों से भेद - भाव का दिग्दर्शन नहीं होता ।दिव्यांग छात्रों को सभी छात्रों के साथ समान अवसर प्रदान करने तथा समुचित आवश्यकताओं की पूर्ति करने से समरूपता कायम रहती है । समान पर्यावरण की परिधि में समान शिक्षण का उद्देश्य किसी भी पाठ्य पुस्तक के माध्यम से अपने आप मे समभाव की सम्यक प्रतिपुष्टि करता है।
ReplyDeleteडॉ ० बी पी मिश्र
डीपीएस विंध्यनगर सिंगरौली मध्य प्रदेश
सुविधा देकर शिक्षण कार्य का संचालन करेंगे ।
ReplyDeleteहमें समावेशी कक्षा के प्रति सकारात्मक एवं संवेदनशील बनना होगा, विविधता को स्वीकारना होगा,अधिगम में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी, वैशाखी, श्रव्य और दृश्य जैसे सहायक यंत्रों का उपयोग करके, जेंडर की रूढ़िवादी विचार को त्यागना होगा। बच्चों को इनके प्रति सकारात्मक रूप से जागरूक करना होगा ।
ReplyDeleteबच्चों को कक्षा कक्ष में कुछ गतिविधियां कराएंगे जिसमें हर बच्चों की सक्रिय सहभागिता हो ,खास कर दिव्यांग्जन बच्चों को उनके क्षमता अनुसार क्ष
ReplyDeleteगतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जरूरत पड़ने पर उनकी आवश्यकता अनुसार सुविधा उपलब्ध कराएंगे ।
समावेशी कक्षा शिक्षण में बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार कार्य व गतिविधियों में प्रतिभाग करवाना , जेंडर का भेद भाव ना करना विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी उनकी क्षमता अनुसार किसी भी कविता कहानी नृत्य खेल प्रतियोगिताओं में सबके साथ प्रतिभाग करवाकर शिक्षण को रोचक बना सकते हैं
ReplyDeleteनाम संध्या रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक एकीकृत शाला माध्यमिक विद्यालय एनएफएल जिला गुना (मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से स्पष्ट होता है कि कक्षा में विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण ,और विशेष आवश्यकता (दिव्यांगजन) आदि का समावेश हम गतिविधि और बाल केंद्रित रूप से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से समावेशी कक्षा के प्रति सकारात्मक एवं संवेदनशील बनाना होगा ,विविधता को स्वीकारना होगा ,अधिगम मैं सब की समान भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी ,कहानी ,कविता, गतिविधियां ,खेल प्रतियोगिताओं में सबके साथ प्रतिभाग कर शिक्षण में रोचकता और कुशलता का विकास कर रचनात्मक सकारात्मक रूप से जागरूक करना होगा ।धन्यवाद
एक शिक्षक छात्र- छात्राओं में बिना किसी भेद भाव के उनके वातावरण और प्राथमिक भाषा को अपनी कक्षा में स्थान देकर संवेदनशील मुद्दो को समाहित कर सकता है।
ReplyDeleteसमान अवसर दिया जाए और छात्रों को प्रेरित किया जाएगा की दिव्यांग एक अभिशाप नहीं अपितु एक अलग वैशिष्ट्य है जिसे कि कई प्रसिद्ध व्यक्ति आदि ने सिद्ध किया है।
ReplyDeleteविद्यार्थियों के अनुभव, पूर्व ज्ञान व तत्कालीन परिस्थितियों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न दृश्य व श्रव्य-सामग्री की सहायता से विभिन्न संवेदनशील मुद्दों के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता लाई जा सकती है |
ReplyDeleteविद्यार्थियों के अनुभव, पूर्व ज्ञान व तत्कालीन परिस्थितियों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न दृश्य व श्रव्य-सामग्री की सहायता से विभिन्न संवेदनशील मुद्दों के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता लाई जा सकती है |
ReplyDeleteसुबिधा देकर शिक्षणकार्य का संचालन करेंगे
Deleteविद्यार्थियों के अनुभव, पूर्व ज्ञान व तत्कालीन परिस्थितियों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न दृश्य व श्रव्य-सामग्री की सहायता से विभिन्न संवेदनशील मुद्दों के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता लाई जा सकती है |
ReplyDeleteविद्यार्थियों के अनुभव, पूर्व ज्ञान व तत्कालीन परिस्थितियों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न दृश्य व श्रव्य-सामग्री की सहायता से विभिन्न संवेदनशील मुद्दों के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता लाई जा सकती है |
ReplyDeleteसभी क्रियाकलापों में विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को भी समान रूप से सम्मिलित किया जाएगा तथा आश्यकतानुसार उनको विशेष सुविधा देकर हम शिक्षण कार्य का संचालन करेगें
ReplyDeleteसमावेश कक्षा शिक्षण में बच्चों को रुचि के अनुसार कार्य व गतिविधियों प्रतिभाग करवाना जेन्डर का भेदभाव ना करना। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी उनकी क्षमता अनुसार किसी भी कविता 'कहानी 'खेल में प्रतिभागी बना सकते है।
Deleteसमावेशी कक्षा शिक्षण में बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार कार्य व गतिविधियों में प्रतिभाग करवाना , जेंडर का भेद भाव ना करना विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी उनकी क्षमता अनुसार किसी भी कविता कहानी नृत्य खेल प्रतियोगिताओं में सबके साथ प्रतिभाग करवाकर शिक्षण को रोचक बना सकते हैं
ReplyDeleteसंवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए छात्र छात्राओं को लिंगभेद आदि के बारे में जागरूक करना एवं छात्र छात्राओं को यह बताना के पर्यावरण को किस प्रकार शुद्ध रखा जा सकता है आदि सभी भाषाओं की के माध्यम से हम इन्हें इसका महत्व बता सकते हैं अतः जो दिव्यांग या विशेष प्रकार के बच्चे हैं उन बच्चों के लिए हमें संवेदनशील रहना आवश्यक है एवं उनकी हर बातों को ध्यान देकर उनकी समस्याओं का निवारण करना भी हमारा एक परम कर्तव्य है इसलिए हमें ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बहुत ही गंभीरता से विचार करना चाहिए।
ReplyDeleteसंवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए छात्र छात्राओं को लिंगभेद आदि के बारे में जागरूक करना एवं छात्र छात्राओं को यह बताना के पर्यावरण को किस प्रकार शुद्ध रखा जा सकता है आदि सभी भाषाओं की के माध्यम से हम इन्हें इसका महत्व बता सकते हैं अतः जो दिव्यांग या विशेष प्रकार के बच्चे हैं उन बच्चों के लिए हमें संवेदनशील रहना आवश्यक है एवं उनकी हर बातों को ध्यान देकर उनकी समस्याओं का निवारण करना भी हमारा एक परम कर्तव्य है इसलिए हमें ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बहुत ही गंभीरता से विचार करना चाहिए।
Delete
Deleteसमावेशी classes आज बहुत ही प्रभावी है। अब बच्चों को पढ़ाते समय टीचर को विशेष रूप से ये ध्यान देने की आवश्यकता है स्कूल में छात्र और छात्राओं की समान रूप से भागीदारी हो अर्थात उनके साथ कोई भेदभाव न हो ।दिव्यांग बच्चों को सीखने का पर्याप्त समय एवम् सुविधा मिले उनके साथ कोई भेदभाव न हो। इसके साथ ही साथ बच्चे पर्यावरण के प्रति सचेत रहें उसे दूषित होने से बचाएँ।
सभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
ReplyDeleteसुविधाएं देकर शिक्षण कार्य को अधिक सुगम बनाएंगे
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधि उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है।इससे बहुत सहज महसूस करते हैं बच्चे खुशी के साथ सीखने में मन लगाते हैं।।
DeleteBy treating them according to their strength in various aspects of life on emotional basis like treating them as our own child
ReplyDeleteसंवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए छात्र छात्राओं को लिंगभेद आदि के बारे में जागरूक करना एवं छात्र छात्राओं को यह बताना के पर्यावरण को किस प्रकार शुद्ध रखा जा सकता है आदि सभी भाषाओं की के माध्यम से हम इन्हें इसका महत्व बता सकते हैं अतः जो दिव्यांग या विशेष प्रकार के बच्चे हैं उन बच्चों के लिए हमें संवेदनशील रहना आवश्यक है एवं उनकी हर बातों को ध्यान देकर उनकी समस्याओं का निवारण करना भी हमारा एक परम कर्तव्य है इसलिए हमें ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बहुत ही गंभीरता से विचार करना चाहिए।
ReplyDeleteछात्रों को जिस जिस प्रकार हम उनके स्तरअनुसार अध्ययन कराते हैं उसी प्रकार जेंडर संवेदनशीलता दिव्यांग छात्र छात्राओं तथा अन्य सभी प्रकार के बच्चों को हम उन्हीं के अनुरूप गतिविधि व क्रियाएं करवाएंगे जिससे कि छात्रों में समानता भाईचारा व सहयोग की भावना विकसित हो
ReplyDeleteछात्रों को सह शिक्षा के साथ सामान अवसर प्रदान कर उन्हें सभी को उनकी जरूरतों के आधार पर सीखने सिखाने की प्रक्रिया को गतिविधि के माध्यम से पर्यावरण का महत्व और उसकी संरचना एवं उनके घटकों से परिचित कराया जायेगा.
ReplyDeleteWe have to tell them about gender by describing a story related to gender, disabilty and environment.
ReplyDeleteText book are important for general introduction and also at same time sensitising children to unknown domains in a selective language and we can teach percepective of equality , equity and treating every one with equal respect and dignity .
ReplyDeleteपहले तो हमें बच्चों के अंदर यह भावना डालना है कि हम सब में अंतर होने के बावजूद हम सबमें समानता भी है और सब में अलग-अलग प्रतिभाएं मौजूद है, जिस का सही इस्तेमाल करके हम अपने और अपने समाज व देश के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
ReplyDeleteइस प्रकार सभी को एक गतिविधि में शामिल कर सकते है।
विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
ReplyDeleteयह सही है जटिल विषय का ज्ञान देना
ReplyDeleteकठिन है पर कौशल से इसे दूर किया जा सकता है।
विद्यालय के सभी बच्चों को बिना भेदभाव के सभी क्रिया कलापों में समान अवसर देकर। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को रोचक जानकारियों और अन्य बच्चों की सहायता से उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करूंगा
ReplyDeleteपाठयपुस्तके के साथ साथ शिक्षक समूह में अपने अनुभवों को साझा करके गतिविधियों द्वारा लिंग संवेदनशीलता को ध्यान रखने हुए लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteसभी को एक साथ गतिविधियों में शामिल करके हम उसे समता का ज्ञान देंगे।उसे पर्यावरण, विभिन्न जेंडर के बारे जानकारी देना सुनिश्चित करेंगे।
ReplyDeleteHow do we access democracy’s outcomes?
ReplyDelete1. Democracy is the better form of government when compared with dictatorship or any other alternative.
2. We felt that democracy was better because of it:
I) Promotes equally among citizens;
II) Enhances the dignity of the individual;
III) Improves the quality of decision – making;
IV) Provides a method to resolve conflicts; and
V) Allows room to correct mistakes.
3. We face a dilemma: democracy is seen to be good in principle but felt to be not so good in its practice.
4. This dilemma invites us to think hard about the outcomes of the democracy.
5. Our interest in and fascination for democracy often push us into taking a position that democracy can address all socio-economic and political problem.
6. The first step towards thinking carefully about the outcomes of democracy is to recognise that democracy is just a form of government.
विभिन्न संवेदनशील मुद्दो के लिए समोवशी कक्षा का संचालन कर बिना भेद भाव के इन मुद्दो पर चर्चा करेगें । आपसी भाई चारा सहयोग,मदद आदि के साथ संवेदनशील मुद्दो पर पूर्व ज्ञान को जोडते हुए बच्चो की भागीदारी सुनिश्चचत करेगें ।
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगी तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगी।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगीं
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करने के लिए सामान्य रूप से कक्षा में प्रत्येक बच्चे की सहभागिता सुनिश्चित करना,सबको समान अवसर देना।
ReplyDeleteसभी बच्चों की भागीदारी होनी चाहिए
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तक की सहायता से समयानुसार भाषा संबंधी विविध गतिविधियों एवं किरयाकलापो से भेदभाव का प्रर्दशन नहीं होता है। दिव्याग विद्यार्थियों के साथ समान अवसर प्रदान करने तथा समुचित आवश्यकता ओन की पूर्ति करने में पाठ बाधा, तथा अपराजिता के माध्यम से समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन देते हुए बिना किसी लिंगभेद के शिक्षण में सबको समानता का अवसर प्रदान करूं गा तथा सबके सर्वांगीण विकास एवं क्षेत्र में अग्रसर करने का प्रयास करूंगा।
ReplyDeleteसभी बच्चों की भागीदारी होनी चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैl इससे रिफ्रेश होकर बच्चें खुश होकर सीखने में मन लगाते हैं l
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता एक महत्वपूर्ण संसाधन है । हम इसका उपयोग एक रणनीति के रूप में करे तो, हमारा भाषा शिक्षण बच्चों की समझ को स्थाई बनाएगा और हमारी कक्षा में एक आनंददाई माहौल का सृजन होगा और सीखना सहज हो जाएगा ।
ReplyDeleteWe should provide healthy environment to the children. By treating them according to their strength in various aspects of life on emotional basis like treating them as our own child.
ReplyDeleteनाम संध्या रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक एकीकृत शाला माध्यमिक विद्यालय एनएफएल जिला गुना (मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से स्पष्ट होता है कि कक्षा में विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण ,और विशेष आवश्यकता (दिव्यांगजन) आदि का समावेश हम गतिविधि और बाल केंद्रित रूप से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से समावेशी कक्षा के प्रति सकारात्मक एवं संवेदनशील बनाना होगा ,विविधता को स्वीकारना होगा ,अधिगम मैं सब की समान भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी ,कहानी ,कविता, गतिविधियां ,खेल प्रतियोगिताओं में सबके साथ प्रतिभाग कर शिक्षण में रोचकता और कुशलता का विकास कर रचनात्मक सकारात्मक रूप से जागरूक करना होगा ।धन्यवाद
सभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
ReplyDeleteविशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
Deleteमैं अपनी कक्षा के सभी बच्चों को अभिव्यक्ति के समान अवसर प्रदान करूंगी जेंडर पर्यावरण एवं विशेष आवश्यकता आदि का समावेशन करने के लिए मैं कक्षा सेवंथ की हिंदी की पाठ्यपुस्तक का पाठ जन्म बाधा का उदाहरण दे सकती हूं इस पाठ के माध्यम से मैं समाज में फैले जेंडर विषमताओं की चर्चा बच्चों से कर सकती हूं एवं समाज की इस कुरीति के प्रति बच्चों में जागरूकता फैला सकती हूं
ReplyDeleteBhasha satat sikhane ki prakriya hai.esase bachche prasanchit hokar sikhate hai.
ReplyDeleteसंवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए छात्र छात्राओं को लिंगभेद आदि के बारे में जागरूक करना एवं छात्र छात्राओं को यह बताना के पर्यावरण को किस प्रकार शुद्ध रखा जा सकता है आदि सभी भाषाओं की के माध्यम से हम इन्हें इसका महत्व बता सकते हैं अतः जो दिव्यांग या विशेष प्रकार के बच्चे हैं उन बच्चों के लिए हमें संवेदनशील रहना आवश्यक है एवं उनकी हर बातों को ध्यान देकर उनकी समस्याओं का निवारण करना भी हमारा एक परम कर्तव्य है इसलिए हमें ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बहुत ही गंभीरता से विचार करना चाहिए।
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगा तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगा।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगा।विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
ReplyDeleteBhsha sikhane me gatividiyo ki mahatv purn bhumika ha
ReplyDeleteसभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
Deleteसभी प्रकार के बच्चों को समान अवसर उपलब्ध कराते हुए कक्षा शिक्षण करना ही मेरा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
ReplyDeleteबिना भेद भाव के आवश्यकतानुसार अवसर प्रदान करना चाहिए। जाती,धर्म,वर्ण,लिंग भेद,व अन्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए
ReplyDeleteहमारा मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के बच्चों को समान अवसर उपलब्ध कराते हुए कक्षा शिक्षण करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधि उनके शारीरिक तथा मानसिक विकास का एक माध्यम है सभी क्रियाकलापों के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कार्य संपन्न कराना चाहिए
ReplyDeleteपर्यावरण से विभिन्न उदाहरण लेकर जेंडर और विशेष बच्चो को एक समावेशी माहौल देने का प्रयास करेंगे।
ReplyDeletevijyan me jitana mahtwa prayog ka hai bhasha v dusare sahityik vishyon me utana gatividhi ka hai .
ReplyDeleteबच्चे देश के भावी कर्णधार हैं , बिना किसी भेद भाव के चाहें वो जेंडर आयामों की बात हो या अन्य आधार सबका सर्वांगीण विकास करना व बच्चों में अपेक्षित भाषा विकास करना शिक्षकों की जिम्मेदारी है । तभी हम सफल शिक्षक। बनकर प्रेरक विद्यालय बना सकते हैं।
ReplyDeleteहरि पाल इं अध्यापक संविलियन विद्यालय पटकुइयां कछौना हरदोई
क्षितिज नीलिमा
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों को बिना भेदभाव के सभी क्रिया कलापों में समान अवसर देकर तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार रोचक जानकारी प्रदान करके और अन्य बच्चों की सहायता से उनकी प्रतिभा को निखार सकते हैं|
गतिविधि के माध्यम से बालक बालिकाओं की समान रूप से सहभागिता सुनिश्चित करेंगे पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चों में पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ अभियान के प्रति जागरूकता करेंगे विद्यालय में शारीरिक गतिविधि कराएंगे जिसमें दिव्यांग बच्चे सामान्य बच्चों के साथ भाग ले सकें
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
ReplyDeleteकक्षा में पढ़ाते समय मैं इस बात का ध्यान रखूंगी की किसी भी हालत में लड़के और लड़कियों के बीच किसी प्रकार का कोई भी भेदभाव ना होने पाए कक्षा की हर गतिविधियों में लड़के और लड़कियों को समान रूप से अवसर प्रदान करूंगी छात्रों को इस बात के लिए प्रेरित करूंगी कि वह पर्यावरण का ध्यान रखें इसके लिए उन्हें पेड़ पौधों के प्रति संवेदनशील बनाऊंगी और आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करूंगी कक्षा में गतिविधि कराते समय यस जरूर ध्यान रखूंगी की कुछ गतिविधियां खासकर दिव्यांग बच्चों के लिए भी हो जिससे उनकी भी सहभागिता सुनिश्चित हो सके
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा ,छात्रों को इस बात के लिए प्रेरित करूंगी कि वह पर्यावरण का ध्यान रखें इसके लिए उन्हें पेड़ पौधों के प्रति संवेदनशील बनाऊंगी और आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करूंगी .
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
ReplyDeleteसभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधियां शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी है ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं
ReplyDeleteBacche se hi desh ka bhagya juda h bachho ke sath samanta ka behavior krugi
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से समयानुसार भाषा सम्बन्धी विविध समवर्ती गतिविधियों एवं क्रियाकलापों से भेद - भाव का दिग्दर्शन नहीं होता ।दिव्यांग छात्रों को सभी छात्रों के साथ समान अवसर प्रदान करने तथा समुचित आवश्यकताओं की पूर्ति करने से समरूपता कायम रहती है । समान पर्यावरण की परिधि में समान शिक्षण का उद्देश्य किसी भी पाठ्य पुस्तक के माध्यम से अपने आप मे समभाव की सम्यक प्रतिपुष्टि करता है।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक में ऐसे विषय और गतिविधियाँ शामिल की जानी चाहिए जिसमे पर्यावरण जैसे मुद्दों को शामिल कर सभी छात्रों को बराबर और समान अवसर प्रदान करें |
ReplyDeleteसमावेशी कक्षा शिक्षण में बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार कार्य व गतिविधियों में प्रतिभाग करवाना, छात्रों को जेंडर भेदभाव ना करना, छात्र-छात्राओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना विशेष आवश्यकता वाले छात्र छात्राओं को उनकी क्षमता के अनुसार किसी भी कविता कहानी नृत्य खेल प्रतियोगिताओं के साथ प्रतिभाग करवा कर शिक्षण को रोचक बना सकते हैं।
ReplyDeleteयह सही है जटिल विषय का ज्ञान देना
ReplyDeleteकठिन है पर कौशल से इसे दूर किया जा सकता है।
भाषा निरंतर सीखने की पर्किर्या है । इसमें बच्चा पहले घर की भाषा लेकर स्कूल आता है फिर वह धीरे -धीरे दूसरी, और तीसरी भाषा भी सीख जाता है । बच्चों को बिना भेद -भाव के साथ सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए ।
ReplyDeleteएक ऐसी गतिविधि का विकास करना,जेंडर संवेदनशीलता/समावेश/पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता/वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ाने के लिए प्रकरण विशिष्ट विषय के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
ReplyDeleteअपनी कक्षा में विभिन्न संवेदनशील जैसे मुद्दो जैसे जेंडर पर्यावरण और विशेष आवश्यकता वाले यानी दिव्यांग जनों आदि का समावेशन हम निम्न बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं - कक्षा में समावेशी शिक्षा अन्य बच्चों अपने स्वयं के व्यक्तिगत आवश्यकताओं यानी क्षमताओं के साथ-साथ जेंडर को एक व्यापक विविधता के साथ दोस्ती का विकास करने की क्षमता विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों जिन्हें आजकल विशेष आवश्यकता वाले बच्चे के नाम से जाना जाता है को सामान्य आवश्यकता वाले बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में ना नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सहायता से हो तथा उनमें लिंग भेदभाव भी ना हो। इसका भी कक्षा में देखना एक दोनों तरह के विद्यालय एक दूसरे को ठीक ढंग से समझे। इनके प्रति अपेक्षित संवेदनशीलता का विकास हो सके समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करने का अपना उदारीकरण की प्रक्रियाओं से प्रेरित करना। यह राजनीतिक अर्थशास्त्र इस मान्यता पर आधारित है जो भूमंडलीकरण पर इस सरकार को जन कल्याण सामाजिक तथा गैर उत्पादक कार्यों में कम से कम खर्च करना यानी सीडब्ल्यूएसएन जैसे बच्चों के लिए विशेष विद्यालय चलाना महंगा सौदा है। शिक्षा में समावेशी शिक्षा को लागू करना बेहद कठिन है। जैसे दृष्टिबाधित अस्थि बाधित मूकबधिर मंदबुद्धि स्वलीनता से ग्रसित बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग भागों से अंशकालीन शिक्षक शिक्षिकाएं रखी जाती हैं समावेशी शिक्षा भूमंडलीकरण की प्रमुख देन है।
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा ,छात्रों को इस बात के लिए प्रेरित करूंगी कि वह पर्यावरण का ध्यान रखें इसके लिए उन्हें पेड़ पौधों के प्रति संवेदनशील बनाऊंगी और आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करूंगी
ReplyDeleteसभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
ReplyDeleteWe will do more activities to define given topic
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें। बच्चों के लिए गतिविधियों उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती है, इससे तरोताज़ा होकर बच्चे खुश होकर सीखने में मन लगा लेते हैं ।
ReplyDeleteसभी किया-कलापों के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है। तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण किया सम्पन्न करना चाहिए।
ReplyDeleteविशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
ReplyDeleteगतिविधियों से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास होता है | कक्षा के सभी बच्चों को गतिविधि में भाग लेना आवश्यक है |
ReplyDeleteकिसी भी विषय के लिए सभी बच्चो की प्रतिभागिता का ध्यान रखेंगे एवं जेंडर और विशेष आवश्यकताओं वाले मुद्दों पर भी सुविधानुसार आयोजन करेंगे।
ReplyDeleteसभी क्रिया-कलापो के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया सम्पन्न करना चाहिए l
ReplyDeleteगतिविधियों का प्रयोग विद्यार्थियों को स्वस्थ्य परिवेश मे सीखने के लिए प्रेरित करता है गतिविधि आधारित शिक्षण के दौरान सभी छात्र/छात्राओ की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए समावेशी कक्षा का सृजन करना भी शिक्षकों दायित्व है। विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों के लिये उनकी आवश्कतानुसर विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का समावेश आवश्यक है ।
ReplyDeleteछात्र छात्राओं में कोई अंतर किए बिना पढ़ाना, पर्यावरण संरक्षण की सीख देना व disabled बच्चों को उनके अनुसार सुविधा उपलब्ध कराकर यह कार्य किया जाएगा ।
ReplyDeleteसपना राय (स0अ0 हरख बाराबंकी)
Rekha Bai सभी किया-कलापों के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है। तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण किया सम्पन्न करना चाहिए।
ReplyDeleteRekha Bai मैं अपनी कक्षा के सभी बच्चों को अभिव्यक्ति के समान अवसर प्रदान करूंगी जेंडर पर्यावरण एवं विशेष आवश्यकता आदि का समावेशन करने के लिए मैं कक्षा सेवंथ की हिंदी की पाठ्यपुस्तक का पाठ जन्म बाधा का उदाहरण दे सकती हूं इस पाठ के माध्यम से मैं समाज में फैले जेंडर विषमताओं की चर्चा बच्चों से कर सकती हूं एवं समाज की इस कुरीति के प्रति बच्चों में जागरूकता फैला सकती हूं
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधियों उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती है, इससे रिफरेश होकर बच्चे खुश होकर सीखने में मन लगा लेते हैं । Vinod Kumar
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगा तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगा।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगा।विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों व अन्य शिक्षार्थियों व जेंडर में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है । मैं पाठयपुस्तकों में दी गई गतिविधियों तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा शिक्षार्थियों की विषय वस्तु को रोचक बनाऊंगा।
ReplyDeleteसमावेशी classes आज बहुत ही प्रभावी है। अब बच्चों को पढ़ाते समय टीचर को विशेष रूप से ये ध्यान देने की आवश्यकता है स्कूल में छात्र और छात्राओं की समान रूप से भागीदारी हो अर्थात उनके साथ कोई भेदभाव न हो ।दिव्यांग बच्चों को सीखने का पर्याप्त समय एवम् सुविधा मिले उनके साथ कोई भेदभाव न हो। इसके साथ ही साथ बच्चे पर्यावरण के प्रति सचेत रहें उसे दूषित होने से बचाएँ।
ReplyDeleteभाषा एक संसाधन के रूप मे प्रयोग की जा सकती है
ReplyDeleteSabhi girls and boys ko equal opportunity denge in all actions
ReplyDeleteबच्चों को गतिविधि के माध्यम से उसके मानसिक और शारीरिक विकास के साथ सीखने की ललक जगाई जा सकती है
ReplyDeleteअमरेनदर
स0शि0 उ0म0 वि0 प्र।णपुर बेड,ई
जेंडर,पर्यावरण और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों से भेदभाव किये बगैर उन्हें उन्नति का समान अवसर प्रदान करेंगे।अपनी भाषा को भी हम शिक्षक जेंडर संवेदनशील बना सकते हैं।एक भाषा शिक्षक के रूप में हम महिला पायलट,महिला चिकित्सक,महिला कृषक जैसे जेंडर संवेदनशील शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं।कक्षा में लिंग भेद नहीं करते हुए सभी कामों में लड़के लड़कियों की समान सहभागिता सुनिश्चित किया जाय।विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को भी सभी सामान्य बच्चों के साथ मिलाकर शिक्षण कराया जाय ताकि उनमें हीन भावना न आये।एक ऐसा परिवेश बनाया जाय जिसमें बच्चे अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा कर सकें।पर्यावरण शिक्षण हेतु करके सीखने वाली गतिविधि की जा सकती है।भाषा को सभी विषयों के सीखने हेतु एक प्रबल माध्यम मानते हुए बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षण कराया जाय।
ReplyDeleteसभी कृया- कलापो में छात्र-छा त्राओ. की समान भागीदारी सुनिश्चित करना होगा| विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण कृया सम्पन्न करना चाहिए|
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
ReplyDeleteविशेष आवश्यकता वाले बच्चो एवं भिन्न भिन्न भाषायी क्षेत्रो से आने वाले बच्चो की मातृभाषा मे सीखने के अवसर दिए जाने चाहिए । सभी की समान भागीदारी सुनिश्चत की जानी चाहिए।
ReplyDeleteसभी क्रियाकलापों में विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को भी समान रूप से सम्मिलित किया जाएगा तथा आश्यकतानुसार उनको विशेष सुविधा देकर हम शिक्षण कार्य का संचालन करेगें
ReplyDeleteBooks are very important in our education system. There are many lessons in hindi English and moral education books which tells us that we should not discriminate between boys and girls and other.we should give a healthy environment to our children. I was teaching a lesson in English in which a dibyang boy save a man who is flow in river . After it his teacher awarded him. We should try give coeducational to our students. We should to emphasise to save tree and planting to our students. We should do some actvities in which all students took part.we should to give environmental education to our children.
ReplyDeletegatividhi sharirik aur maansik vikas karti hai
Deleteछात्रों को जेंडर की समानता पर्यावरण मुद्दों पर कहानी सुना कर, उसे सामान्य ज्ञान से जोड़कर अपने समाज से जोड़कर शिक्षण कार्य किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteभाषा शिक्षण के दौरान ,छोटी प्रेरणादायी अन्
ReplyDeleteर्तकथाएं शामिल कर संवेदनशील मुद्दों को शामिल किया जा सकता है
Bhasha sikhne ki nirantar prakriya hai..
ReplyDeleteनमस्कार ,साथियों। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज के आधुनिक युग में भी जेंडर जैसी रूढ़िवादी भेदभाव, पर्यावरण और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों से संबंधित विभिन्न समस्याएं मौजूद हैं, इन्हें दूर करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आई. सी. टी. की होगी, परंतु पाठयपुस्तक की भूमिका भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसके लिए हमें पाठयपुस्तक से लिंग, पर्यावरण एवं दिव्यांग बच्चों से संबंधित विभिन्न अध्यायों के द्वारा समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देते हुए विविधता में एकता का ध्यान रखकर सभी बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। चुकी बच्चे देश के भावी कर्णधार होते हैं, इसलिए हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि इनके मानसिक एवं शारीरिक दोनों विकास सम्पूर्ण रूप से विकसित हो, तभी इनके मन से लिंगभेद की रूढ़िवादी धारणाएं हमेशा के लिए समाप्त होंगी और समाज में भी पर्यावरण एवं दिव्यांग बच्चों के प्रति जिम्मेदारी एवम् स्नेह उत्पन्न होगा और तभी हम एक सफल एवम् जिम्मेदार शिक्षक कहलाने का हक रखेंगे। धन्यवाद। द्वारा अफजल हुसैन नव सृजित प्राथमिक विद्यालय ब होर न सिंह के टोला मांझी सारण बिहार।
ReplyDeleteएक ऐसी गतिविधि का विकास करना,जेंडर संवेदनशीलता/समावेश/पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता/वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ाने के लिए प्रकरण विशिष्ट विषय के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
ReplyDeleteछात्रों को गतिविधियों के माध्यम से सीखने की ललक जगायी जा सकती है
Deleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैl इससे रिफ्रेश होकर बच्चें खुश होकर सीखने में मन लगाते हैं l
ReplyDeleteकक्षा में समावेशी शिक्षा विकसित करना शिक्षक का परम कर्तव्य है समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों व अन्य बच्चों में कोई भेदभाव कक्षा में नहीं होना चाहिए आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सही तरीके से करना ही शिक्षक का उत्तरदायित्व है मैं अपनी कक्षा में सभी छात्र- छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करूंगी तथा हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करूंगी।चाहे वह किसी भी भाषा से सम्बन्ध रखता हो। कोई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाकर या कोई कहानी आदि सुनाकर अपनी कक्षा को रोचक बनाने का प्रयास करूगीं
ReplyDeleteWe should provide equal opportunities to all learners irrespective of their gender , n also involve the special needs of special students in regular class room so that we will help them n all to adopts the differences in today n coming life
ReplyDeleteएक एसी गतिविधि का प्रयोग करेंगे जिसमें जेण्डर संवेदनशीलता का समावेश, प्रर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, वैज्ञानिक स्वभाव आदि सामिल हो। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए उनके अनुरूप मुद्रित पाठ्य-पुस्तक का उपयोग करने को कहेंगे,यद य एसी पाठ्य पुस्तक नहीं है तो पाठ के सारांश को मौखिक रूप से व इसारों में समझाएंगे अर्थात शारीरिक गतिविधि का प्रयोग करेंगे।जि जिससे कक्षा में सभी वर्गों का समावेश हो सके।
ReplyDelete(सुभाष बाबू)
जेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
ReplyDeleteWe should provide better environment for children for better learning n studying
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें
ReplyDeleteSahi hai
ReplyDeleteभाषा शिक्षण के दौरान ,छोटी प्रेरणादायी अन्
ReplyDeleteर्तकथाएं शामिल कर संवेदनशील मुद्दों को शामिल किया जा सकता है
जेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
ReplyDeleteActivity are good for both physical and socal
ReplyDeleteएक एसी गतिविधि का प्रयोग करेंगे जिसमें जेण्डर संवेदनशीलता का समावेश प्रर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता वैज्ञानिक स्वभाव आदि सामिल हो।
ReplyDeleteविशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए उनके अनुरूप मुद्रित पाठ्य-पुस्तक का उपयोग करेंगे व उसे कराएंगे। यदि उनके अनुरूप मुद्रित पाठ्य-पुस्तक नहीं है तो पाठ के सारांश को मौखिक रूप से समझाएंगे और शारीरिक भाषा का प्रयोग करेंगें जिससे कक्षा में सभी वर्गों का समावेश किया जा सके।
Subhash Baboo.
जेंडर भेदभाव दूर करने के लिए बालक/बालिकाओं को किसी भी प्रकार की क्रिया विधि समेकित सहभागिता सुनिश्चितत करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष बचाओ जागरूकता के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यालय मे ऐसे शारीरिक गतिविधि करायेगे जिसमें दिव्यागं बच्चे भी शामिल हो सकें।
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा के द्वारा हैम बिना किसी भेद भाव किये सबको समान अवसर देकर पाठ्यपुस्तकों,गतिविधियों,तथा मौखिक कहानियों आदि समावेश करेंगे।
ReplyDeleteSavi kriya kalapi Mai chatr-chatra ki saman bhagidari bishesh aavaskata vale bhachcho ke vi aavaskata ke anusar subidha.
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