मॉड्यूल 4 – गतिविधि 2: जेंडर पर मीडिया के चित्रण का विश्लेषण
एक ऐसे विज्ञापन के बारे में सोचें जो जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करता है और एक अन्य विज्ञापन जो जेंडर के अनुकूल है। आप विज्ञापन वीडियो के लिंक को कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं।
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Hamen ladke aur ladki me koi bhed bhao nahi karna chahiye.Beta beti ek saman yahi hai hamara samman.
ReplyDeleteDiscrimination should not be there in the classroom
DeleteLadka Ladki ka adhikar,dono ko mile brabar smman
DeleteLadka Ladki ka adhikar,dono ko mile brabar smman
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
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VINITA20 October 2020 at 05:20
हमें कभी भी और कहीं भी लड़का व लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए चाहे वह पढ़ाई हो या और कोई मैदान हो शिक्षा है सब का अधिकार पढध लिखकर सब बने होशियार
DeleteHamen ladke aur ladki me koi bhed bhao nahi karna chahiye.Beta beti ek saman yahi hai hamara samman.
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteकिसी को भी लिंगभेद नहीं करना चाहिए और न ही इसे किसी भी प्रकार से बढ़ावा देना चाहिए। एक समान अवसर और समान शिक्षा का अधिकार दोनों को मिलना ही चाहिए।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteजेंडर भेद दिखाने वाले कुछ विज्ञापन है जिसमें एक विज्ञापन में दिखाया जाता है कि मां केवल लड़के को खिलाती है और पढ़ने के लिए उसका बैग तैयार करती है लड़की की नहीं करतीं वही एक दुसरे विज्ञापन में कॉम्प्लान पेय पदार्थ है उसमें दिखाया जाता है कि दोनों लडका, लड़की ,कॉम्प्लान पीते हैं इस तरह उसमें कोई जेंडर भेद नहीं दिखाया गया
Deleteलड़का लड़की का अधिकार एक समान, दोनों को मिले सम्मान।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए....
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Deleteहमें लड़के और लड़कियों में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं करना चाहिए और किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
DeleteWe have not differencebetween boy's and girls because in our country India All the citizens have equal rights to live and speak according to their choice
DeleteWe have not difference between boy's and girls because in our country All citizens have equal rights to live and speak according to Constitution of India
DeleteHamen ladke aur ladki me koi bhed bhao nahi karna chahiye.Beta beti ek saman yahi hai hamara samman.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteलड़का लड़की एक समान सबको शिक्षा सबको मान।
Deleteकिसी भी व्यवसाय या शिक्षा या अन्य किसी गतिविधि में लिंग भेद को पूरी तरह समाप्त किया जाना चाहिए और लड़के और लड़की का अंतर पूरी तरह मिटा देना चाहिए
Deleteबालक और बालिका में भेद नहीं करना चाहिए। और दोनों को समान अवसर प्रदान करना चाहिए। तथा स्वागत समारोहों में गेस्ट को बुके देने के लिए समान रूप से बालक और बालिका को अवसर प्रदान करना चाहिए।
DeleteRakesh Mishra
Deleteप्रत्येक बच्चे मेें एक अलग प्रतिभा होती है। लिंग भेद से ऊपर उठकर बच्चे की की क्षमताओं के विकास मेें सहयोग देना चाहिए। इसकी शुरुआत एक शिक्षक के रूप मेें हमें विद्यालय से ही करनी चाहिए।
वैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
हमें लड़का और लड़की मे कभी भेद भाव नहीं करना चाहिए, और क्लास मे इस तरह से पढ़ाना चाहिए के बच्चों मे ये मैसेज ना जय की सर जी लड़के और लड़कियों मे फ़र्क़ करते हैं।
Deleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
Deleteहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
Deleteभेदभाव लड़की के जन्म लेते ही शुरू हो जाता है। परिवार चाहे कितना भी पढ़ा लिखा क्यूँ न हो ,बेटा बेटी के बीच कहीं न कहीं भेदभाव करने से नहीं चूकता। बेटे में हजारों दुर्गुणों को भी ढक दिया जाता है और बेटी के सर्व गुण सम्पन्न होने पर भी उसको परिवार में वो स्थान नहीं मिलता जिसकी वो हकदार होती है।
Deleteलैंगिक भेद-भाव के पूर्वाग्रह को दूर करने की जिम्मेदारी हम शिक्षकों को लेनी होगी तभी धीरे धीरे हमारी भावी पीढ़ी लैंगिक रूप से समान समाज का निर्माण कर पाएगी।
वैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteकक्षा के हर बच्चे की अपनी अलग प्रतिभा होती है हमें उसको उसकी क्षमता के हिसाब से निखारना होता है
Deleteहमें लड़की और लड़के में कोई भेद नहीं करना चाहिए
Deleteकिसी भी व्यवसाय या शिक्षा या अन्य किसी गतिविधि में लिंग भेद को पूरी तरह समाप्त किया जाना चाहिए और लड़के और लड़की का अंतर पूरी तरह मिटा देना चाहिए
DeleteSaurab Kumar dubey
Deleteहमें अपनी लड़की और लड़के वाली या जेंडर वाली सोच को पूरी तरह बदल ना होगा तभी समाज से लिंग भेद समाप्त होगा
हमें किसी प्रकार का लड़का और लडकी में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिये ।
DeleteHamari school Shiksha Ling Bhed per aadharit Nahi honi chahie
ReplyDeleteSabhi shikshakon ko Ling Bhed ke uper uth kar Karya karna chahie aur Nav pidhi ka Nirman karne ka Prayas karna chahie
Rekha jamwal A.T.
स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteबच्चों के लिए गतिविधियां उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करतीं है।इससे refresh होकर बच्चे खुश होकर सीखने मे मन लगाते हैं
ReplyDeleteहमें लड़के लड़की में कोई भेद नहीं करना है। सबको सामान शिक्षा प्रदान करना है।
ReplyDeleteलड़का लड़की एक समान ,
ReplyDeleteदो इनको बराबर का मान, शिक्षा और सम्मान।
ना करो इनमे भेदभाव,
ये दोनो है एक समान।
लड़का लड़की एक समान ,
ReplyDeleteदो इनको बराबर का मान, शिक्षा और सम्मान।
ना करो इनमे भेदभाव,
ये दोनो है एक समान
हमें लड़का लड़की में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए दोनों को समान अधिकार, सम्मान और शिक्षा देना चाहिए इससे हमारे समाज और देश की प्रगति होगी
Deleteहमें बतौर शिक्षक विद्यालय में बालकोऔर बालिकाओं को अपनी कार्यकुशलता व योग्यता को प्रदर्शित करने के पूरे मवाके फराहम करने चाहिए
ReplyDeleteहम आपको एक लिंक शेयर करूंगी जिसमें आप देखेंगे लडकी लड़के सब समान होते हैं सब कार्य सब बराबर से कर सकते हैं इसके लिए हमारी सोच positive होनी चाहिए https://youtu.be/Mbz18RTcIi4
ReplyDeleteहमें बतौर शिक्षक विद्यालय में बालकोऔर बालिकाओं को अपनी कार्यकुशलता व योग्यता को प्रदर्शित करने के पूरे मवाके फराहम करने चाहिए
ReplyDeleteलड़का लड़की एक समान,
ReplyDeleteसबको शिक्षा सबको मान ।
लड़का लड़की एक समान ,
ReplyDeleteदो इनको बराबर का मान, शिक्षा और सम्मान।
ना करो इनमे भेदभाव,
ये दोनो है एक समान हैं।
लड़का लड़की एक समान दो इनको शिक्षा सम्मान
Deleteलड़का लड़की एक समान,
ReplyDeleteसबको शिक्षा सबको मान ।
Ladka ladki ek samaan
ReplyDeleteSako shiksha sabko maan
Ladka ladki dono ko barabar Ka samman mile...
DeleteTo Jeevan ki Jyoti Jale...
लड़का लड़की एक समान ,
ReplyDeleteदो इनको बराबर का मान, शिक्षा और सम्मान।
ना करो इनमे भेदभाव,
ये दोनो है एक समान हैं
Hume shuru se hi ladka aur ladki me bhedbhaav nhi karna chahiye. Hume shuruwat se hi ye shiksha deni chahiye
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteहमे बिना किसी भेदभाव के और समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए l क्यूंकि सभी को समान रूप से जीवन जीने और शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है l
ReplyDeleteWe should educate boys and girls alike.They should be given equal rights and opportunities.
DeleteFood
ReplyDeleteLadke aur ladki mein fark nahin karna chahie donon ko hi acchi talim deni chahie
ReplyDeleteहम आपको एक लिंक शेयर करूंगी जिसमें आप देखेंगे लडकी लड़के सब समान होते हैं सब कार्य सब बराबर से कर सकते हैं इसके लिए हमारी सोच positive होनी चाहिए
ReplyDeletehttps://youtu.be/lVPlEiWNUxU
प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्ति के व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों का प्रभाव उसके व्यवहार से परिलक्षित होता है शिक्षक के व्यवहार का अनुकरण छत्र व समाज करता है। शिक्षक समाज का दर्पण होता है सभ्य समाज के निर्माण में। शिक्षक के व्यवहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है
ReplyDeleteशिक्षा के माध्यम से ही समाज में फैले लिंग भेद को समाप्त किया जा सकता है शिक्षक का दायित्व है कि वह अपने विद्यार्थियों में लिंग भेद भाव ना करे
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है अध्यापक के गुणों को अनेको बच्चे अनुसरण करते हैं व समाज मे उनका एक महत्वपूर्ण स्थान होता है l
ReplyDeleteSiksha ke liye samajik Guno ka samavesh bahoot jaruri hai
ReplyDeleteहमें लिंगभेद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए इसलिए जो विज्ञापन जेंडर के अनुकूल है उसे हम भी आगे बढ़ाएंगे
ReplyDeleteहम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है।
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
ReplyDeletehame kisi me koi bhed bhav nahi kara chiye chahe vah ladaka ho ya ladhaki kyoki dono saman hote hai
ReplyDeleteHme kabhi bhi larka larki m bhedbhav nhi Krna chahiya jo kamm larka nhi kr skte wo aajkl ki larkiya krti ha chahe wo education m ho ya kisi v field larki hi aage rhti h
ReplyDeleteHame kabhi bhi ladko aur ladkiyon me bhdbhav nahi karna chaiye
ReplyDeleteBetiya aur beto ko ek saman samjhe aur auro ko jagruk kre
ReplyDeleteWe should not discriminate in gender.All are same.
ReplyDeleteGender Bias are common in media like Use of Female artists in Fareness Creams advertisements, even shaving creams adds. But now perspective has been changing and females presented in respectable way like in the Hamam add and in changing of tyre of a car by a girl at the night time.
ReplyDeleteकक्षा में अलग-अलग परिवेश, अलग-अलग पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश करके ऐसी शिक्षा देनी है कि प्रत्येक छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteHme bcho ka srvagin vikas krna hai bhed bhav nhi
ReplyDeleteकक्षा में अलग-अलग परिवेश अलग-अलग परिवारिक के आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश कर दिया कि शिक्षा देनी है कि कितने छात्र का सर्वागीण विकास हो सके
ReplyDeleteविद्यालय वह स्थान है, जहां हम अपने छात्र/छात्रों के मध्य रहते हैं अत: सभी शिक्षकों को लिंग भेद की भावना से ऊपर उठ कर बिना भेद भाव के सुचारू से शिक्षण कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यालय में लड़के और लड़की में कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए दोनों एक समान हैं
ReplyDelete
DeleteREPLY
Unknown21 October 2020 at 04:27
कक्षा में अलग-अलग परिवेश, अलग-अलग पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश करके ऐसी शिक्षा देनी है कि प्रत्येक छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके
कक्षा में अलग-अलग परिवेश, अलग-अलग पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश करके ऐसी शिक्षा देनी है कि प्रत्येक छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके
Delete
ReplyDeleteREPLY
Unknown21 October 2020 at 04:27
कक्षा में अलग-अलग परिवेश, अलग-अलग पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश करके ऐसी शिक्षा देनी है कि प्रत्येक छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके
स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteSeekhne ki kshamta me jender ka koi prabhab nahi hota
ReplyDeleteCo Education system of education creates better understanding among genders.
ReplyDeleteहमे बिना किसी भेदभाव के और समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए l क्यूंकि सभी को समान रूप से जीवन जीने और शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है l
ReplyDeleteहमें बिना किसी भेदभाव के और समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए क्योंकि सभी को समान रूप से जीवन जीने का शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है
ReplyDeleteसभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा |
ReplyDeleteशिक्षा के माध्यम से ही समाज में फैले लिंग भेद को समाप्त किया जा सकता है शिक्षक का दायित्व है कि वह अपने विद्यार्थियों में लिंग भेद भाव ना करे|
ReplyDeleteसभी को समान अधिकार मिलें तभी नवनिर्माण होगा |
सभी को समान रूप से शिक्षा मिले बेटी बेटा सबको शिक्षित होने का समान अधिकार है
ReplyDeleteबेटा- बेटी एक समान
ReplyDeleteशिक्षा इसके लिए वरदान
वाशिंग पॉवडर एवं किचन के सामान के विज्ञापन में महिलाओं के कार्य की ओर इंगित करता है जबकि कपड़े धोने एवं खाना बनाने का कार्य पुरूष भी करते हैं
Sabko shiksha sabko maan
ReplyDeleteLadka ladki me bhed na kare
हमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteGender discrimination should not be increased at any stage or profession
ReplyDelete
ReplyDeleteशिक्षा एक ऐसा मापदंड है जिसमें किसी भी तरह के भेदभाव के लिये कोई स्थान नहीं है
वैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteDeepa singh (SM)
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
REPLY
Ab zamane badal chuka hai ,wo daur kuch or the jinme ladke or ladkiyon me farq Kiya jata tha .aaz ke time me ladke or ladkiyan ek sath kandhe se kandha milaker aage badh rahe hai .isliye gender ke bare me sochna hamare Kisi bachhe ko usko aage badhne se rokne jaisa hoga.
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ReplyDeleteBoy and girl are equal,
ReplyDeletetwo have equal value, education and respect.
Do not discriminate among
them , both are same
Hame boys or girls me farak ny krna cahiye sbko ek trh treat krna cahiye sbko ek saman man ke padhana cahiye
ReplyDeleteहमें लड़का-लड़की में कोई भेद नहीं करना चहिए। दोनों को समान शिक्षा, समान अधिकार और सम्मान देना चाहिए।
ReplyDeleteहम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए। हमें सभी कार्यों को लड़कों और लड़कियों दोनों को समान रूप से सिखाना चाहिए और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। लड़कों और लड़कियों दोनों का उत्तरदायित्व समाज के प्रति एक समान है।
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिएहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिएहमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteहमे बिना किसी भेदभाव के और समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए l क्यूंकि सभी को समान रूप से जीवन जीने और शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है l
ReplyDeleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteI am a teacher
ReplyDeleteI have many students in my school
I have good ideas
कक्षा में अलग-अलग परिवेश, अलग-अलग पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश करके ऐसी शिक्षा देनी है कि प्रत्येक छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteहमें बिना किसी भेदभाव के और समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए l क्यूंकि सभी को समान रूप से जीवन जीने और शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है l
ReplyDeleteहमें लड़का-लड़की में कोई भेद नहीं करना चहिए। दोनों को समान शिक्षा, समान अधिकार और सम्मान देना चाहिए।
ReplyDeleteहमें लड़की और लड़के में कोई भेद नहीं करना चाहिए, स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए.
ReplyDeletemamta951982@gmail.com there should be no discrimination among girls and boys...they must be treated. equally
ReplyDeleteKamal Daydar JNV Damoh लडका लडकी एक समान होती है .उनकी शारीरिक, बौद्धिक व भावनिक क्षमता एक जैसी रहती है ,एक अध्यापक को लिंगभेद भावना नही रखनी चाहिए .बच्चो के मन मे भी लिंगभेद भाव नही आने चाहिये .
ReplyDeleteभारत के सांस्कृतिक व सामाजिक परिवेश में जिस नारी को "शक्ति" का रूप कहा जाता है, उसकी शक्तियों को गर्भ में ही ख़त्म कर दिया जाता है। मीडिआ के द्वारा भी लड़को और लड़कियों के सामाजिक काम बचपन में ही उनके दिमाग में बैठा दिए जाते है। जैसे कि 'छोटा भीम' कार्टून में भीम को एक शक्तिशाली नायक बताया गया है, तो चुटकी को सहमा और डरा किरदार दिखाया गया है। खेलों के क्षेत्र में भी लड़कियों को नाजुक बताकर उन्हें हल्के-फुल्के खेलों में ही भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है। कुछ साल पहले तक बच्चों के लिए "किंडर जॉय" नाम से समान पैकेट आता था जिसे अब लिंग में विभाजित कर दिया गया है। ऐसे में बचपन से ही बच्चों में रूढ़िवादी छवि तैयार की जा रही है जो भविष्य में हानिकारक हो सकती है। लड़के लड़कियों में लिंग भेद-भाव नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteसभी को समान रूप से जीवन जीने व शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार हे , लडका व लडकी मे किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए ।
ReplyDeleteजेंडर भेज दिखाने वाले कुछ विज्ञापन है जिसमें एक विज्ञापन में दिखाया जाता है कि मां केवल लड़के को खिलाती है और पढ़ने के लिए उसका बैग तैयार करती है लड़की की नहीं ले यही एक विज्ञापन कम प्लान जो पेय पदार्थ है उसमें दिखाया जाता है कि दोनों लड़की लड़की कॉन्प्लान पीते हैं इस तरह उसमें कोई जेंडर भेज नहीं दिखाया गया
ReplyDeleteHan sabhi student Ko saman Drishti se dekhata hu.
ReplyDeleteMai sabhi student Ko saman dristi se dekhata hu.
ReplyDeleteउच्च तथा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पाने का अधिकार सभी विद्यार्थियों को है | विद्यालय में सभी विद्यार्थी मेरे लिए एक समान है |
ReplyDeleteसभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteThis is the link some advertisement that broke gender discrimination : https://m.economictimes.com/advertising-marketing/6-indian-ads-that-broke-gender-stereotypes-over-the-years/breakingstereotypes/slideshow/57539044.cms
ReplyDeletesabhi ko saman roop se Shiksha Lene ka Adhikar hai is model ke anusar ladke aur ladkiyan sabhi saman rup se Shiksha grahan kar sakenge aur ladke aur ladkiyon mein bade ki asamanta dur hogi
ReplyDeleteUrmila Singh
ReplyDeleteकक्षा के हर बच्चे की अपनी अलग प्रतिभा होती है हमें उसको उसकी क्षमता के हिसाब से निखारना होता है....
Ashok kumar mall
ReplyDeleteलड़का लड़की एक समान ,
दो इनको बराबर का मान, शिक्षा और सम्मान।
ना करो इनमे भेदभाव,
ये दोनो है एक समान हैं।
हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है अध्यापक के गुणों को अनेको बच्चे अनुसरण करते हैं व समाज मे उनका एक महत्वपूर्ण स्थान होता है l
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है अध्यापक के गुणों को अनेको बच्चे अनुसरण करते हैं व समाज मे उनका एक महत्वपूर्ण स्थान होता है l
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है अध्यापक के गुणों को अनेको बच्चे अनुसरण करते हैं व समाज मे उनका एक महत्वपूर्ण स्थान होता है l
ReplyDeleteचाहे मीडिया हो, चाहे स्कूल या घर जेंडर आधारित मत-भेद नहीं होना चाहिए |लड़के -लड़कियों दोनों ही को सभी क्षेत्रों मे समान अवसर दिए जाए, इसमे मीडिया जनजागरण करके एक महत्पूर्ण भूमिका निभा सकता है
ReplyDeleteEvery child should get equal opportunity irrespective of their gender. We as a teacher can effort to remove bad effects of gender discrimination from our society.
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/470731323341571/posts/1110319219382775/
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/470731323341571/posts/1110333259381371/
Gender equality is the goal that will help abolish poverty that will create more equal economies, fairer societies and happier men, women and children.”
ReplyDeleteसंवैधानिक सूची के साथ-साथ सभी प्रकार के भेदभाव या असमानताएं चलती रहेंगी लेकिन वास्तिविक बदलाव तो तभी संभव हैं जब पुरुषों की सोच को बदला जाये। ये सोच जब बदलेगी तब मानवता का एक प्रकार पुरुष महिला के साथ समानता का व्यवहार करना शुरु कर दे न कि उन्हें अपना अधीनस्थ समझे। यहाँ तक कि सिर्फ आदमियों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी औज की संस्कृति के अनुसार अपनी पुरानी रुढ़िवादी सोच बदलनी होगी और जानना होगा कि वो भी इस शोषणकारी पितृसत्तात्मक व्यवस्था का एक अंग बन गयी हैं और पुरुषों को खुद पर हावी होने में सहायता कर रहीं हैं।
ReplyDeleteजेंडर के आधार पर भेदभाव अनुचित है।
ReplyDeleteलिंग भेद स्वस्थ समाज की अवधारणा को समाप्त कर देता हैं। लिंग भेद एक ऐसी कुरूप विचारधारा हैं जिसका समूल नाश होना अति आवश्यक हैं।
ReplyDeleteसंजय कुमार। सहायक अध्यापक प्रा.वी.अनंतपुर आज़मगढ़
ReplyDeleteलड़के और लड़की में अंतर अधिकांशत हमारे घर से ही शुरु होता है । यह मानवता के खिलाफ है ,हम सबको मिलकर के इसे खत्म करना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे मेें एक अलग प्रतिभा होती है। लिंग भेद से ऊपर उठकर बच्चे की की क्षमताओं के विकास मेें सहयोग देना चाहिए। इसकी शुरुआत एक शिक्षक के रूप मेें हमें विद्यालय से ही करनी चाहिए।
ReplyDeleteलड़का लड़की एक समान होते हैं मैं कभी भेदभाव नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़कियों को समान समझना चाहिए और उन्हें समान अवसर हर क्षेत्र में देना चाहिए जिससे उनके अंदर हीनता की भावना ना आए
ReplyDeleteबड़ा ही गहरा विषय है कि लिंग भेद!
ReplyDeleteइसके पक्ष और विपक्ष में अपने अपने मत हैं।
और काफी सोचने के उपरान्त मेरा मत है,लिंग भेद है और इसे समूल उखाड़ फेंकना अभी तो सम्भव नही लगता।
परन्तु प्रयास करना जारी रखना होगा।
हमें लड़के-लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने चाहिए।उनमें कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
ReplyDeleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteअधिकतर विज्ञापनों में एक गृहणी के रूप में महिला को ही दिखाया जाता है।बच्चो को स्कूल के लिए तैयार करते हुए, किसी मसाले का विज्ञापन करते हुए,किसी कपड़े धोने के साबुन का विज्ञापन इत्यादि में महिलाओं को ही दिखाया जाता है।स्कूटी चलाते हुए तो महिला दिखाई जाती है पर किसी महिला को मोटरसाइकिल को चलाते हुए या ट्रक चालक के रूप में अथवा किसी पोस्ट मैन के रूप में अभी तक किसी ने दिखाने के विषय मे विचार नही किया।
ReplyDeleteस्कूल वह स्थान है जहां भविष्य का समाज तैयार होता है अतः लेन्गिक समानता के विचार को समाज के अवचेतन मे बसाने के लिए विद्यालय सबसे अनुकूल स्थान है ।
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि लड़कियां भी हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहीं हैं।
ReplyDeleteलड़का लड़की एक समान....!
ReplyDeleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे। इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteटीवी विज्ञापनों मैं अक्सर हम देखते हैं की लड़कियों-महिलाओं को रसोई के काम करते हुए सजावट की वस्तुओं का उपयोग करते हुए तथा गहनों का उपयोग करते हुए जो उन्हें हम पुरुषों से अलग करती हैं उन्हीं को देख कर के बच्चे भी सीखते हैं अतः स्कूल से लेकर समाज तक दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत है पुरुष और स्त्री में समानता के लिए बचपन से ही दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत है यहां तक की बच्चों के बैठक व्यवस्था में लड़की और लड़कियों को अलग-अलग बैठक व्यवस्था उचित नहीं है हमें मिश्रण करके बैठाना चाहिए जिससे उनके मन मस्तिष्क में यह बात ना बैठे कि वह अलग अलग है इसी प्रकार मां बाप को भी बच्चों के कपड़ों मैं बहुत अलगाव नहीं करना चाहिए खेल तथा खिलौने अलग अलग नहीं देनी चाहिए की लड़कियों को केवल रसोई के खिलौने दिया जाए और लड़कों को डॉक्टर इंजीनियर के खिलौने
ReplyDelete। हमें सभी कार्यों को लड़कों और लड़कियों दोनों को समान रूप से सिखाना चाहिए और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। लड़कों और लड़कियों दोनों का उत्तरदायित्व समाज के प्रति एक समान है।
Deleteहमें कभी भी और कहीं भी लड़का व लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए चाहे वह पढ़ाई हो या और कोई मैदान हो शिक्षा है सब का अधिकार पढध लिखकर सब बने होशियार
ReplyDeleteवैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा ना दे। इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteरूढिवादी सोच की समाप्ति के बाद लैंगिक समानता की सोच का विकास कारगर होने लगेगा।
ReplyDeleteमाउंटेन ड्यू के विज्ञापन में अक्सर लड़के ही डेयर करते दिखाई पड़ते हैं , कुकर के विज्ञापन में भी महिलाओं को ही आइकन बनाया जाता है , जबकि पल्स पोलियो अभियान के विज्ञापन में जेंडर डिस्क्रीमिनेशन न्यूनतम हो यह ध्यान रखा जाता है
ReplyDeleteलिंग भेद आज के समय मे काफी निष्क्रिय हो गया है इसका सबसे बडा कारण है शिक्षा
ReplyDeleteआज माँ- बाप लडके और लडकी की समान शिक्षा पर जोर दे रहे है
बेटी को पढाना है अंधकार को मिटाना है
हमारे घरों में ही लड़की को घरेलू कार्य दिए जाते है , लड़को को बाहर के काम। लड़कियों को बाहर आने जाने के लिए सबकी अनुमति लेनी होती है जबकि लड़को से बगैर रोक टोक के बाहर जाने देते है । गुण संस्कारी देकर समान दृष्टि से लड़का या लड़की दोनों को सबल व स्वावलंबी बनाना चाहिए तभी लैंगिक असमानता दूर होगी।
ReplyDeleteलड़का लड़की एक समान
लड़की है ईश्वर का वरदान
करो इनका सम्मान
तभी बनेगा जग महान
Link ...kavita लिंग समानता पर https://youtu.be/esvJzfT5pYU
हमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteGender difference ko khatm krne ki shuruat school se hi achhi tarah hogi...
ReplyDeleteWe must treat boys and girls equally. Gender discrimination should not be encouraged at any stage or profession. In schools both girls and boys have equal rights to get education. There should be no discrimination among girls and boys. We as a teacher can try to remove bad effects of gender discrimination from our society..
ReplyDeleteभारत के सांस्कृतिक व सामाजिक परिवेश में नारी को "शक्ति" का रूप कहा जाता है l लड़कों और लड़कियों के सामाजिक काम बचपन में ही उनके दिमाग में बैठा दिए जाते है। जैसे कि 'छोटा भीम' कार्टून में भीम को एक शक्तिशाली नायक बताया गया है, तो चुटकी को भीम की मित्र किन्तु उस पर निर्भर किरदार दिखाया गया है। खेलों के क्षेत्र में भी लड़कियों को नाजुक बताकर उन्हें हल्के-फुल्के खेलों में ही भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है। कुछ साल पहले तक बच्चों के लिए "किंडर जॉय" नाम से समान पैकेट आता था जिसे अब लिंग में विभाजित कर दिया गया है। ऐसे में बचपन से ही बच्चों में रूढ़िवादी छवि तैयार की जा रही है जो भविष्य में हानिकारक हो सकती है। लड़के लड़कियों में लिंग भेद-भाव नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteहमें लड़के और लड़कियों में भेद किये बिना उनका सर्वांगीण विकास करना चहिये.
ReplyDeleteलिंगभेद की जड़े हमारे समाज में काफी गहराई तक जमी हुई हैं। इसका नमूना भी हम प्रायः टेलीवीजन, मोबाइल, होर्डिंग आदि पर देखते भी हैं। जैसे - कृषि व्यवसाय में ट्रैक्टर, उन्नतशील बीज, खाद, कीटनाशक आदि के प्रचार-प्रसार में पुरुषों को ही दिखाया जाता है। परन्तु अब लिंगभेद के खिलाफ जागरूकता आने लगी है। अब विज्ञापनों में महिलाओं को भी बाइक, कार, खेल सामग्री आदि के प्रचार-प्रसार में दिखाया जाने लगा है।
ReplyDeleteयदि लिंगभेद को हमें समाप्त करना है तो सरकार और समाज को मिलकर काम करना ही होगा।
चन्द्रशेखर(स अ)
उच्च प्रा वि घुसराना गैल(1-8 कम्पोजिट),
ब्लॉक- डिबाई,
जनपद- बुलन्दशहर(उ प्र)
आए दिन टेलीविजन समाचार पत्र एवं सामाजिक परिवेश में अनेक ऐसे तस्वीर देखने को मिलते हैं जो जेंडर रूढ़िवादिता को मजबूत करता है और यह निर्धारित करता है कि कौन से कार्य लड़कियों को करना चाहिए और कौन से कार्य लड़कों को करना चाहिए। किचन साफ सफाई एवं सौंदर्य से संबंधित तमाम चीजों के विज्ञापन में महिलाओं का भागीदारी एवं शक्ति प्रदर्शन कार या सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़े तमाम विज्ञापनों में पुरुषों को दिखाए जाने के कारण यह मानसिकता और मजबूत होती जा रही है। आवश्यकता है कि ऐसे विज्ञापनों का विरोध किया जाए एवं समाज से जेंडर से संबंधित रूढ़िवादिता को खत्म किया जाए तभी हमारा समाज बेहतर बन पाएगा। जेंडर रूढ़िवादिता से संबंधित कुछेक लिंक नीचे हैं। नीचे के लिंक में कुछ जेंडर रूढ़िवादिता को दर्शाता है तो कुछ उसको खत्म करने की वकालत करता है।
ReplyDeletehttps://youtu.be/GMQDaXB1G8o
https://youtu.be/pvjUtU9viuc
https://youtu.be/0U7Ufm374P0
https://youtu.be/wJukf4ifuKs
https://youtu.be/8QDlv8kfwIM
आपकी बातों से सहमत है
ReplyDeleteकिसी को भी लिंगभेद नहीं करना चाहिए और न ही इसे किसी भी प्रकार से बढ़ावा देना चाहिए। एक समान अवसर और समान शिक्षा का अधिकार दोनों को मिलना ही चाहिए।
हमें लड़का और लड़की मे कभी भेद भाव नहीं करना चाहिए, और क्लास मे इस तरह से पढ़ाना चाहिए के बच्चों मे ये मैसेज ना जय की सर जीहमें लड़का और लड़की मे कभी भेद भाव नहीं करना चाहिए, और क्लास मे इस तरह से पढ़ाना चाहिए के बच्चों मे ये मैसेज ना जय की सर जी लड़के और लड़कियों मे फ़र्क़ करते हैं। लड़के और लड़कियों मे फ़र्क़ करते हैं। इसके लिए हमें बच्चों के मध्य प्रेरक कहानियाँ ,पेरक प्रसंग के साथ हम अपनी कक्षा में प्रयोग कर सकते है।इससे बच्चों में लड़के व लड़कियों का भेदभाव नहीं पनपता है। रूढ़िवादिता को समाप्त करने में हम सहायक होगें।
ReplyDeleteEk mandand hai Jisme Kisi Bhi Bade Bhai Bhi Koi avashyakta Nahin Hai
ReplyDeleteमेरे विचार से ईश्वर ने प्राणियों में शारीरिक स्तर पर लैंगिक भिन्नता दी है किंतु किसी भी रूप में प्राणियों में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नही किया है।
ReplyDeleteसामाजिक स्तर पर जेंडर शब्द आते ही शारीरिक बनावट के आधार पर भेद दृष्टिगत होने लगता है। यही नर नारी में संतुलन को बिगाड़ता है।
घर परिवार या कार्यस्थल पर विपरीत जेंडर की सहकर्मी के साथ मन व कर्म से भेदभाव हमें अपनी संकीर्णता पूर्ण व्यवहार को दर्शाता है।
हमें सावधान रहकर ऐसे किन्ही भी विचार को आकार लेने से पहले ही समाप्त करना होगा। यदि हम यह कर पाए तो सभी जेंडर एक टीम के रूप में संस्था व समाज को प्रेरक बना सकेंगे।
हमें कभी भी ऐसे शब्दों का अपने शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे बच्चों को लगे कि हमे एक दूसरे से अलग या भिन्न समझा जा रहा है।
ReplyDeleteहमें लड़का और लड़की मे कभी भेद भाव नहीं करना चाहिए, और क्लास मे इस तरह से पढ़ाना चाहिए के बच्चों मे ये मैसेज ना जय की सर जीहमें लड़का और लड़की मे कभी भेद भाव नहीं करना चाहिए, और क्लास मे इस तरह से पढ़ाना चाहिए के बच्चों मे ये मैसेज ना जय की सर जी लड़के और लड़कियों मे फ़र्क़ करते हैं। लड़के और लड़कियों मे फ़र्क़ करते हैं
ReplyDeleteलड़का-लड़की एक समान,सबको शिक्षा सबको ग्यान।
ReplyDeleteलिंग भेद को बढ़ावा देना गलत है।
ReplyDeleteलड़के लड़की एक समान
Hamen ladke aur ladki me koi bhed bhao nahi karna chahiye.Beta beti ek saman yahi hai hamara samman.
ReplyDeleteआज कल मीडिया महिलाओं के साथ निष्पक्ष ही नहीं बल्कि महिलाओं को आवश्यकता से अधिक प्रमोट कर रहा है वर्तमान में तो अब पुरूषों को प्रमोट करने की आवश्यकता है धन्यवाद
ReplyDeleteआपका भाई जुनैद मसूद ज़ैदी(प्र अ) विकास खण्ड एवम ज़िला अमरोहा
हमको सब को लड़को और लड़कियों में भेद भाव नहीं करना चाहिए क्योंकि लड़कियां भी हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है।
ReplyDeleteस्कूल वह स्थान है जहां हम भविष्य के समाज का निर्माण करते है। अतः लैंगिक समानता के विचार को समाज के अंदर भेजने के लिए स्कूल सबसे अनुकूल स्थान है।
ReplyDeleteजहां तक मेरा मानना है किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद नही करना चाहिए,हम सब शिक्षक है जो राष्ट्र निर्माण के लिए नौनिहालों को तैयार करते है,अतः लिंगभेद को बढ़ावा ना हो इसकी शुरुआत हम सबको स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। विद्यालय शिक्षा का वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट संपर्क में रहते है। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाये ।
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ReplyDeleteहमें लड़के और लड़कियों में कोई भेद भाव नहीं करना चाहिए। वैसे तो किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता परन्तु हम लिंगभेद को बढ़ावा नहीं दें इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी। स्कूल वह स्थान है जहां पर हम छात्र व छात्राओं के निकट सम्पर्क में रहते हैं। अतः सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ कर कार्य करना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा तभी हमें यह मानना चाहिए कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए।
ReplyDeleteहमारी बहुत सी गतिविधियों से न चाहते हुये भी लड़के और लड़कियों में भिन्नता दिखती है इसलिये सबसे पहले हमें अपने घर से ही इस अंतर को बिल्कुल खत्म करना होगा। जिससे बाहर भी ये अंतर अपने आप खत्म होता जाएगा चाहे स्कूल हो या घर। "लड़का लड़की एक समान, दोनों में है एक सी जान"
ReplyDeleteहमें लड़का और लड़की में किसी भी प्रकार काभेदभाव नहीं करना चाहिये।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteसंजय कुमार स.अ. प्रा. वि. अनंतपुर आजमगढ़
ReplyDeleteसमाज में जैसे-जैसे शैक्षणिक स्तर बढ़ रहा है वैसे-वैसे लैंगिक भेदभाव में भी कमी आ रही है।
लड़के पैतृक विरासत के हिस्सेदार लडकिया क्यों बहिष्कार
ReplyDeleteHello everyone
ReplyDeleteमेरा विचार है कि आज कल लड़का लड़की मे कोई माता -पिता भेद भाव नहीं करते हैं। ना ही स्कूल में किया जाता हे। ग्रमीण क्षेत्रों मे थोडा बहुत किया जाता है जो कि सही नहीं है सबको अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए।
Hame apne vicharon se ,shabdon se evam samajik jeevan m lingbhed ko door rakhana hoga tatha shikshan m vishesh dhyan rakhana hoga ki lingbhed parilakshit n ho.Isse kshatra kshatraon m samanta ka bhaw utpann hoga.
ReplyDeleteLadki ladka saman veyavahar karna chahie
ReplyDeletePehle ki tulna me ladke ladkiyon me antar kam to hua hai pr kahi na kahi samajh ki soch me ye ab bhi hai ho sake to hme apne ghr aur school ke baccho ki soch se is bhed ko mitane ki koshish krni chahiye jisse bhed mukt samaj ka nirman ho sake
ReplyDeletePehle ki tulna me ladke ladkiyon me antar kam to hua hai pr kahi na kahi samajh ki soch me ye ab bhi hai ho sake to hme apne ghr aur school ke baccho ki soch se is bhed ko mitane ki koshish krni chahiye jisse bhed mukt samaj ka nirman ho sake
ReplyDeletePehle ki tulna me ladke ladkiyon me antar kam to hua hai pr kahi na kahi samajh ki soch me ye ab bhi hai ho sake to hme apne ghr aur school ke baccho ki soch se is bhed ko mitane ki koshish krni chahiye jisse bhed mukt samaj ka nirman ho sake
ReplyDeleteSupriya Singh Rathor
P. S. Jhundpura
गगिविधियों को और आसानी से या सरल तरीके से समझाया जाय। जिससे शिक्षक इनका उपयोग कर सकें।
ReplyDeleteलड़का और लड़की में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। दोनों को समान रूप से देखना चाहिए।
ReplyDeleteहम आपकी वात से पूर्णतया: सहमत हूँ
ReplyDeleteहमें लडके , लड़की मे भेद नही करना चाहिये ।
जव तक लिंग भेद रहेगा , तव तक हम पिछड़े ही रहेगे ।।
हमें लड़के और लड़की में भेद किए बिना उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए।
ReplyDeleteयदि लिंग भेद को हमें समाप्त करना है तो सरकार और समाज को मिलकर काम करना ही होगा।
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ReplyDeleteलड़के और लड़कियों के साथ परिवार, विद्यालय,समाज में, गरीब और सम्पन्न सभी में भेदभाव दिखाई देता है।
ReplyDeleteजिसे रोकना सभी की सामुहिक जिम्मेदारी है।
अमर सिंह सोलंकी
शासकीय माध्यमिक विद्यालय
द्वारका नगर भोपाल मध्यप्रदेश
ये सोच जब बदलेगी तब मानवता का एक प्रकार पुरुष महिला के साथ समानता का व्यवहार करना शुरु कर दे न कि उन्हें अपना अधीनस्थ समझे। यहाँ तक कि सिर्फ आदमियों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी औज की संस्कृति के अनुसार अपनी पुरानी रुढ़िवादी सोच बदलनी होगी और जानना होगा कि वो भी इस शोषणकारी पितृसत्तात्मक व्यवस्था का एक अंग बन गयी हैं और पुरुषों को खुद पर हावी होने में सहायता कर रहीं हैं।
ReplyDeleteहमें लड़का और लड़की में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए बेटा बेटी एक समान यही है हमारा सम्मान
ReplyDeleteलड़का और लड़की में भेदभाव करना बहुत ही निन्दनीय है।लड़कियां इस समय हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्त्व कर रही हैं। चाहे राजनीति,सेना,फोर्स,पुलिस,डॉक्टर,वैज्ञानिक, शिक्षा, प्रशासनिक पद हर जगह लड़कियां आगे हैं।श्रीमती इन्दिरा गांधी, श्रीमती प्रतिभा पाटिल, आदि इसके उदाहरण हैं। लड़का लड़की एक समान-एक पिता की सब सन्तान। सादर प्रेषित।
ReplyDeleteलड़का व लड़की में भेद करना निन्दनीय है,अभिशाप है।लड़कियां हर क्षेत्र में बढ़ कर योगदान कर रही हैं।
ReplyDeleteमीडिया के सभी लोगों को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि समाज के हर सदस्य पर मीडिया का गहरा प्रभाव पड़ता है । इस तरह उसे जेंडर संवेदनशील होना होगा। जाने अनजाने जेंडर भेद-भाव से बचने पर फोकस करना होगा । जैविक रूप से हम भले हीं भिन्न हों पर अन्य किसी भी कसौटी पर किसी एक हीं जेंडर के विशेषाधिकार की रूढ़िवादी सोंच को सम्पूर्ण प्रयासों से समाप्त करने की आवश्यकता है । मीडिया इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।
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