मॉड्यूल 2 - गतिविधि 2 : व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को समझना

हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की क्या भूमिका है? क्या यह अधिगम में सहायक हैं? शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं?

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Comments

  1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

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    1. The role of a teacher as an educator is great in shaping up the life , career and character.In socio-learning environment, a teacher is a role model. Students copy their teacher in every walk of life.They always seek inspiration from their teachers. Thus , the teachers are to be very responsible,as well as responsive to theacts and behavior.

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    2. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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    3. Ha hamari pratidin ki din charya me backtigat or samagic guno ki aham vhumika hoti hai vidyerthi ise prati din ke dincharya me samil karte hai.

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    4. Hamare jiwan m shikshak ki ek mahatvapurn bhumika h. Shikshak hi ek chhote balak ko ek yogya nagrik ke roop m khada krta h Or whi balak aage chalke desh ke vikas m apna yogdan deta h.

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    5. Ha shikshak vyagtigat-samajik Guno ko badhane m bhumika nibhate h.
      Student ek ghade k saman hote h jaise shikshak use aakar dega student usi roop m dhalega.
      Ha ye adhigam m sahayak hai.

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    7. To improve the personal and social relationship between teacher and student, the teacher has to be caring, cooperative and sensitive towards the student

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    8. The role of a teacher as an educator is great in shaping up the life , career and character.In socio-learning environment, a teacher is a role model. Students copy their teacher in every walk of life.They always seek inspiration from their teachers. Thus , the teachers are to be very responsible,as well as responsive to theacts and behavior.

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    9. The role of a teacher as an educator is great in shaping up the life , career and character.In socio-learning environment, a teacher is a role model. Students copy their teacher in every walk of life.They always seek inspiration from their teachers. Thus , the teachers are to be very responsible,as well as responsive to theacts and behavior.

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    10. शिक्षक बच्चों के लिए आइने का काम करता है जिसके कारण बच्चा प्रतिदिन निखरता है।

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    11. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
      शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के रोल माॅडल होते हैैं।

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    12. Jyoti Mishra

      हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
      शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।

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    13. The role of a teacher as an educator is great in shaping up the life , career and character.In socio-learning environment, a teacher is a role model. Students copy their teacher in every walk of life.They always seek inspiration from their teachers. Thus , the teachers are to be very responsible,as well as responsive to theacts and behavior

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    14. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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    15. A teacher is a role model for his students. Students look up at teacher and want to be like them in every way. Thus a teachers personality very much influences his stundents and shapes them.

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    16. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
      शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के रोल माॅडल होते हैैं।

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    17. व्यक्तिगत सामाजिक गुणो का बहुत महत्व होता है इससे हमें समाज मे सम्मान मिलता है। क्लास रुम में बच्चो के साथ और बच्चों का सही आकलन करने के लिए संवेदनशील होना बहुत जरूरी है

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    18. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  2. Teacher vaise bache jo different background ke hai
    Unke bich samajik samrasta
    Apne aur dusre bcho ke bich communication ka madhyam chunkar en guno ko increase karne me help karte hai

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  3. Yes social values are mostly valuable for development of a child

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  4. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।

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    1. दैनिक दिनचर्या के माध्यम से हम वैक्तिक गुणों का विकास कर सकते हैं। जिससे नए आयाम छात्रों में दृष्टिगोचर होते हैं।

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  5. This is a new platform for children to understand how to grow up in own skill

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  6. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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  7. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  8. शिक्षक समाज का निर्माता होता है

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  9. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की एहम भूमिका है | शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान करते हैं | शिक्षक अधिगम में सहायक हैं क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है। जिससे एक अच्छी समझ विकसित कर लें | शिक्षक समझ विकसित करने तथा निर्माण किया जा सके।

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    1. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  10. Neeta Sharma

    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  11. शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में सहायक होता है क्योंकि वह बच्चों का रोल मॉडल होता है हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक समरसता को बढ़ाने में मदद करता है yahअधिगम में सहायक है

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  12. शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में सहायक होता है क्योंकि वह बच्चों का रोल मॉडल होता है हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक समरसता को बढ़ाने में मदद करता है yahअधिगम में सहायक है

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  13. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।

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  14. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  15. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  16. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

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  17. हमारे समाजिक विकास में शिक्षक की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षक ही समाज के सामने एक छोटे वालक को एक योग्य नागरिक के रूप में खड़ा करता है और वही बालक दे१ा के विकास अपना योगदान देता है

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  18. Vyaktigat Samajik gunoke Karan ham aapas mein miljul Kar rhte Hain ek dusre ka sahyog karte Hain.Haan yah adhigam mein sahayak hai.haan shikshak vyaktigat Samajik gunon ko badhane mein bhumika niwate hain

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  19. व्यक्तिगत सामाजिक गुण हमारे व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।

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    1. हमारे गुण अवगुण हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में दिखाई देते है।हां यह अधिगम में सहायक है। बच्चे नन्हें पौधे की तरह होते हैं और विद्यालय व शिक्षक अवश्य ही बच्चों के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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    2. शिक्षक हमेशा सीखने-सीखाने अपने और समाज से obtained experience को अपने गुणों के रूप मे आत्मसात करके बच्चों को इन गुणों को समझाने में सफल होते हैं।

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  20. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के रोल माॅडल होते है।

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  21. शिक्षक बच्चों के रोल मॉडल होते हैं। वे बच्चों को अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास कर उनके व्यक्तित्व को निखार कर एक आदर्श व जिम्मेदार नागरिक बनाने में सहयोग करते हुए।

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  22. व्यक्तिगत सामाजिक गुण शिक्षण अधिगम बढ़ाने मे सशक्त भूमिका निभाता है।शिक्षक इसके उत्प्रेरक होते हैं। इससे बच्चों के सर्वांगीण विकास में मदद मिलता है।

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    1. व्यक्तिगत गुण ही हमारे व्यवहार को दर्शाते हैं

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  23. Hamari praridin ku dinchrya mein vyaktigat samajik guno ki aham bhoomika nibhai hai.Shikshak rashtra nirmata kahlata hai.Vah shiksha ke madhyam se in guno ko abhod bachcho mein viksit krta hai aur swayam ko unke samne role model ke roop mein prastut krta hai

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    1. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
      हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  24. शिक्षक बच्चो के लिए एक आदर्श पुरूष की तरह है, इसलिये शिक्षक मे वे सभी गुण होने चाहिए जो बालको के शैक्षिक विकास के साथ उनमे सामाजिकता का भी विकास करे

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  25. शिक्षकों से ये अपेक्षा होती है कि वो सामाजिक गुणों का विकास करें।

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  26. व्यक्तिगत सामाजिक दिनचर्या से ही हमारे गुण व अवगुण प्रकट होते है ये अधिगम योग्य हैं, शिक्षक अपने व्यवहार से बालको में इन गुणों का विकास कर सकते है

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  27. Teacher vaise bache jo different background ke hai
    Unke bich samajik samrasta
    Apne aur dusre bcho ke bich communication ka madhyam chunkar en guno ko increase karne me help karte hai

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  28. शिक्षक बच्चे में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्गकक्ष में सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करके सभी को समान अवसर देना, सबके विचार की अहमियत देना इत्यादि बातें बच्चे के मन मष्तिष्क पर प्रभाव छोड़ता है।

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  29. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक समरसता को बढ़ाने में मदद करता है ।
    हाँ, यह अधिगम में सहायक है, क्योंकि इससे बच्चों के व्यक्तिगत गुणों पर प्रभाव पड़ता है। शिक्षक बच्चों के राॅल माॅडल होते हैं। शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं।

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  30. शिक्षक बच्चों को सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक गुण को बढ़ाने में मदद करते हैं इसलिए शिक्षक अपने व्यवहार से बच्चों के प्रति इन गुणों का विकास कर सकते हैं

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  31. बच्चों में समझ का विकास घर से होना शुरू हो जाता है। परंतु वह समझ उसे समाज उपयोगी नही बनाता। या यूं कहना चाहिये कि समझ विकसित होने लगती है किंतु एक ही ओर। जब वह विद्यालय आता है तब उसे सामाजिक परिवेश और उसके महत्व को समझता है। अतः यहाँ पर एक शिक्षक के साथ विद्यालय परिवेश सामाजिक समरसता पूर्ण होने आवश्यक है। इसलिए भी शिक्षक में सामाजिक गुणों का समझना और उनका विकास आवश्यक है। शिक्षक इन गुणों का विकास करके ही अपने छात्र को समाज के लिए उपयोगी बना सकता है।

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  32. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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    1. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है यह अधिगम में सहायक है शिक्षक समाज का भाग्य निर्माता हैं।

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  33. Students learn a lot from teachers behaviour.

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  34. शिक्षक बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं एक उत्प्रेरक की तरह काम करते हैं बच्चों के सामाजिक गुणों को को विकसित करने के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि एक शिक्षक का व्यवहार विद्यालय में सभी के लिए समान हो जिससे कि बच्चों के अंदर समरसता का गुण आए और एक समावेशी कक्षा का निर्माण हो

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  35. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उस के दूसरों के प्रति प्रेम, सहानुभूति, संवेदनशीलता, निष्काम सेवा भावना आदि गुण ही स्वस्थ समाज का निर्माण करता है। ये व्यक्तिगत और सामाजिक गुण हमारी दिनचर्या के आवश्यक और अभिन्न अंग हैं।
    यह अधिगम के लिए सहायक ही नहीं अपितु आवश्यक हैं।
    शिक्षक बच्चों के आदर्श और मार्गदर्शक होते हैं। अतः उन्हें देखकर बच्चों में इन गुणों का विकास होता है।

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  36. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हम जो भी काम करते हैं उसपर हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की स्पष्ट प्रभाव दिखाई देती है। हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम अपने परिवेश और वातावरण से ही सीखकर बड़े होते हैं। हमारे व्यक्तिगत गुणों पर हमारी अधिकांश दिनचर्या निर्भर करती है जिसे कुछ हद तक प्रभावित हमारा सामाजिक गुण भी सदैव करता है। यह अधिगम में सदैव सहायक होती हैं। मान के चले कि हमारा व्यक्तित्व पर्यावरण प्रेमी के तौर पर हो और सामाजिक परिवेश भी पर्यावरण के अनुरूप हो तो अधिगम के समय हम पर्यावरण को सदैव अपना मित्र, हितैषी के रूप में उल्लेखित करेंगे और प्रत्येक को पर्यावरण के करीब लाने का प्रयास करेंगे।
    एक शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित करने में सदैव सहायक होंते हैं। बच्चों में उसके दक्षता के अनुसार गुणों को बढ़ावा देकर, उन्हें प्रोत्साहित कर उनके व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा दिया जा सकता है साथ ही समाज के सकारात्मक मूल्यों और सिद्धांतों की जानकारी देकर बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास किया जा सकता है।

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  37. हमारे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण ही तो जीवन का आधार है । मनुष्य समाज में रहता है एवं वहां से विभिन्न गुणों को प्राप्त करता है। यदि किसी में सामाजिक गुणों का अभाव हो तो समाज में रहना असम्भव हो जायेगा । इसी प्रकार विद्यालय भी एक सामाजिक संस्था है ,और यहाँ इन गुणों की नितांत आवश्यकता है ।

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  38. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है यह अधिगम में सहायक है शिक्षक समाज का निर्माता है

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  39. बच्चों में समझ का विकास घर से होना शुरू हो जाता है। परंतु वह समझ उसे समाज उपयोगी नही बनाता। या यूं कहना चाहिये कि समझ विकसित होने लगती है किंतु एक ही ओर। जब वह विद्यालय आता है तब उसे सामाजिक परिवेश और उसके महत्व को समझता है। अतः यहाँ पर एक शिक्षक के साथ विद्यालय परिवेश सामाजिक समरसता पूर्ण होने आवश्यक है। इसलिए भी शिक्षक में सामाजिक गुणों का समझना और उनका विकास आवश्यक है। शिक्षक इन गुणों का विकास करके ही अपने छात्र को समाज के लिए उपयोगी बना सकता है।

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  40. Teachers are the role model of students and students always want follow the teacher.

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  41. व्यक्तिगत सामाजिक गुण हमें अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में संबंधों को समझने और उन्हें प्रभावी बनाने में मदद करते हैं। बच्चों के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का पोषण विद्यालय में होता है। इसलिए प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की अहम भूमिका हो जाती है। इन गुणों को बढ़ाने में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह अधिगम में सहायक होता है। कुमारी मधुलिका, मध्य विद्यालय अथमलगोला, पटना, बिहार।

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  42. As a teacher we should nourish the personal and social qualities in a school ,so there is an important role of personal and social qualities in day to day life. A Teacher Play a vital role to enhance this qualities in a student in school full stop it is helpful in learning process and make good effort between personal and social qualities. Thank you so much sweety ..... Madhya Vidyalay athmalgola Bihar

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  43. जैसा की मै एक शिक्षक हूँ ,मेरा/एक शिक्षक का व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण उन बच्चो पर विशेष प्रभाव डालेगा क्यूंकि वो दिन का अघिकतम समय विद्यालय में शिक्षको के साथ ही गुजारता है और वो शिक्षको को ही देखकर बहुत सीखता है.

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  44. Ek sikshak hone k Nate hamara kartavya h ki ham baccho ko vyaktigat samajik naitik mulyon jaise ekta ki bhabna ka vikash,dayaluta,Bado ka samman karna sikhaye...

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  45. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है, वह हमारे अंदर आत्मविश्वास का संचार करती है।

    बिल्कुल ! यह अधिगम में सहायक है।

    हर एक शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। वे सीखने के प्रति प्रेरित करते हैं, उचित वातावरण व परिवेश का निर्माण करते हैं, सकारात्मक भावनाओं को बल प्रदान करते हैं और उचित मार्गदर्शन के द्वारा व्यक्तिगत सामाजिक ग्रुप को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

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    1. Teachers are the role model of students and students always want follow his activities and qualities.

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  46. I'm kishwer riayz PS choundi Sehore mp teacher are the role model of students and student always want follow the teacher

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  47. Samajik guno ke bina achhe adhigam sambhaw nahi hi

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  48. Humari din chirya me vaktigat samazik guno ki bhaut awasakta hai ye hume anudan me rehne sikhati hai aur me ek Teacher hu to mujhe iss ka aur palan karna hota hai ki me baccho ki Sahi aur nispaksh gyan de saku

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  49. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  50. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  51. बिना व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के समाज में रह पाना किसी तेरी खीर से कम नहीं है। अनुशासन, बड़ों के प्रति आदर और सम्मान। और जो हमारे सहयोग की भावना है उसी के सहारे हम समाज में और सभी को साथ लेकर चल सकते है। और एक शिक्षिका होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपने छात्रों को इं सभी व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का संवाह करने के बारे में अवगत कराए ।
    शीला कुमारी (शिक्षिका)

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  52. Teachers as effective role in ensuring holistic development of students by not only providing knowledge and developing their cognitive skills but also by nurturing in them personal-social qualities and necessary skills, such as the skills of effectively communicating in personal and social .

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  53. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है। हमारे व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  54. व्यक्तिगत और सामाजिक गुण का हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में बहुत योगदान होता है । शिक्षक का व्यक्तित्व प्रभावी और प्रेरणादायी होना चाहिए। जिससे बच्चे उनका अनुसरण करके अपना सर्वांगीण विकास कर सके ।

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  55. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

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  56. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है । जिसके कारण हम अपने दैनिक जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को समझने में समर्थ हो पाते हैं ।तथा जीवन में घटने वाली विभिन्न घटनाओं मिलने वाले विभिन्न व्यक्तियों तथा अपने अनुभवों संस्कृतियों एवं आर्थिक पृष्ठभूमि यों को समझने की क्षमता व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों से ही आती है । यह व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण व्यक्ति में दूसरों को समझने के लिए एक प्रवृत्ति उत्पन्न करते हैं।

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  57. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान एवं योगदान हैं I हमारे व्यक्तिगत गुण हमारी पहचान होते इन्हीं से ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है I सामाजिक गुण हमें समाज में सभ्य और श्रेष्ठता की ओर ले जाते हैं I व्यक्ति जिस समाज से आता है वो अपने सामाजिक गुण एवं पृष्ठभूमि को साथ लेकर चलता है I शिक्षक होने के नाते विद्यार्थी की व्यक्तिगत सामर्थ्य एवं योग्यता का आधार बनावें एवं उसी के आधार पर उसका मूल्यांकन करें I सामाजिक पृष्ठभूमि/ गुण व्यक्ति के सामर्थ्य से बाहर है, अत: शिक्षक को चाहिए कि वो हर विद्यार्थी को सामाजिक गुणों से समृद्ध करें I
    द्वारा:- राजेश कुमार महावर .......

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  58. hamare jivan mein vayaktigat samajik gun , dusre vyaktiyo se vyavaharik sambandh banane mein madad karte hain . ha ye adhigam mein sahayak hain. ha shikshak samajik guno ko badhane mein madad karte hain .

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  59. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है । जिसके कारण हम अपने दैनिक जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को समझने में समर्थ हो पाते हैं ।तथा जीवन में घटने वाली विभिन्न घटनाओं मिलने वाले विभिन्न व्यक्तियों तथा अपने अनुभवों संस्कृतियों एवं आर्थिक पृष्ठभूमि यों को समझने की क्षमता व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों से ही आती है । यह व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण व्यक्ति में दूसरों को समझने के लिए एक प्रवृत्ति उत्पन्न करते हैं।जिसे हम अपनाते हैं।

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  60. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है|कयोंकि हमलोग एक सामाजिक प्राणी हैं|सुबह के शुरुआत के साथ ही हम अपने पर्यावरण से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते रहते हैं और उसी अनुरूप हमलोगों का विकास होता चला जाता है|
    शिक्षक का विद्यार्थी का roll model होता है.वह विद्यार्थी में नाकारात्मक भाव जैसे उदासी,दु:ख, हीन भावना, गुस्सा को हटाकर उसमें साकारात्मक भाव जैसे उत्साह, खुशी इत्यादि भाव बढाकर उनके अधिगम में सहायक होते हैं और छात्र भी धीरे धीरे इन साकारात्मक भाव में ढलते चले जाते हैं|जिससे उनमें सामाजिक गुणों का विकास होता चला जाता है|
    धन्यवाद

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  61. निश्चित रूप से हमारी प्रतिदिन दिनचर्या में व्यक्तिगत - सामाजिक गुण की महत्वपूर्ण भूमिका है । हा के अधिगम में सहायक है ।

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  62. Baccho k sarvangin vikas ke liye vyaktigat samajik guno ka hona bhut mahatvpurn hai..aur ek shikshak ko apne baccho me anusashan, bado ka samman,ekta ki bhavana, adar, agyapalan, jaise guno ko badhana chahiye. Ye baccho ko samaj me sabhyata awam shreshthata dilane me sahayak hote hai...

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  63. मनुष्य एक समाजिक प्राणी है विना समाज के मनुष्य का जीवन चल पाना असम्भव है मनुष्य को हर हाल में समाज की आवश्यकता होती ही है मनुष्य और समाज को मजबूती देने व सभ्य बनाने का काम करती है शिक्षा इसी लिए शिक्षक ही समाज को शिक्षित कर सभ्य बनाता है इसलिए समाज के लिए शिक्षक की भूमिका अहम है क्योकि शिक्षक ही बच्चे , समाज तथा अभिभावकों के दपर्ण है

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  64. मनुष्य एक समाज में रहने वाला प्राणी है इसलिए समाज का मनुष्य पर और इसी कारण मनुष्य का समाज पर प्रभाव पड़ना एक नैसर्गिक क्रिया है। इसी कारण जब किसी कार्य का करना उसकी दिनचर्या में आ जाता है तो उसी अनुसार उसका सामाजिक परिपेक्ष भी हो जाता है। हां यह अधिगम में अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है समाज ही वो स्थान है जहां से वो शिक्षा प्रदान करेगा और वहीं पर अपने ज्ञान का प्रयोग भी करेगा। बच्चो के लिए शिक्षक उनके आदर्श होते है कई बार देखा जाता है कि वो अपने अभिभावकों की बातो के मतो से असेहमत हो जाते है और तर्क देते है कि ऐसा उनके शिक्षक ने कहा है यहां शिक्षक का उतना ही प्रभाव है जितना उनके अभिभावकों का जिस कारण वो गुणों की वृद्धि कर पाते हैं।

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  65. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह गुण अधिगम में सहायक है तथा इन व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में शिक्षक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होते हैं। किसी भी विद्यार्थी के जीवन में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। प्रायः बच्चे शिक्षकों का नकल किया करते हैं एवं उनके गुणों का भी अनुकरण किया करते हैं। इस प्रकार शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बेहतर ढंग से विकसित कर सकते हैं।

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  66. हमारे समाज में बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए यह अतिआवश्यक है कि बच्चे की व्यक्तिगत छवि को सुदृढ़ किया जाए, उसमें वे सभी सामाजिक गुण स्थापित किए जाएं जो उसे उज्ज्वल भविष्य की और ले जाए। इस विषय मे अध्यापक के व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण महत्वपूर्ण भुमिका निभा सकते हैं, क्योंकि बच्चे का ज्यादां समय स्कूल मे अध्यापक के साथ व्यतीत होता है और इस दौरान वह अध्यापक का ही अनुकरण करता है । एसे मे कोई एक छोटा-सा विचार भी जो वे ग्रहण कर ले, उसके आने वाले समय मे बदलाव ला सकता है ।

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  67. जी हां, हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक- व्यक्तिगत गुणों की बड़ी भूमिका है। ये व्यक्ति में दूसरों को समझने के लिए एक प्रवृत्ति उत्पन्न करते हैं। शिक्षक सामाजिक- व्यक्तिगत गुणों को बढाने मे सहायक होता है। बच्चे शिक्षकों का नकल करते हैं एवं प्राय: उनके गुणों का भी अनुकरण करते हैं। इस प्रकार शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को विकसित कर सकते हैं।

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  68. Yes teacher play an important role for developing social and moral development. That is happen inlo with the help of our surroundings.

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    1. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  69. Rastiy shiksha niti 2020 samay anusar(covid19 kal) bahut hi uttam niti hai purva ki apeksha me yah siksha niti adhik uttam hai kyoki isme sabhi ka sath sabhi ka vikas ki system ko apnai gai hai aisi Paristithi me har tarah ke students ko ak sath Siksha dena hai iske liye sawasthya vidyalaya pariwesh ki jarurat hai iske liye bayaktigat samajik guno ki Ka bara important hai ise hi biksit karke vidyalaya pariwesh ko sawasthya and sikhne sikhane yogya banaya ja Sakta hai
    Thank u

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  70. शिक्षक बच्चों के लिए एक रोल मॉडल की तरह होता है और शिक्षक का व्यवहार उसकी कार्यशैली बच्चों को हर तरह से प्रभावित करती है

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  71. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे बहुत मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम में अपनी अहम भूमिका निभाता है।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे अत्यधिक सहायक है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है एवं बच्चों के व्यक्तित्व को संभालने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।

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  72. विद्यालय एक सामाजिक संस्था है। जहां छात्रों में समाजिक एवम् व्यक्तिगत गुणों को समाज की मान्यताओं के अनुरूप सिखाने का प्रयास किया जाता है। ये गुण ही हमें समाज से अनुकूलन में सहायता करता है। ये शिक्षण अधिगम में सहायक होते हैं। शिक्षक अपने अनुभवों के आधार पर छात्रों में इन गुणों को एक निश्चित रूप देने का कार्य करता है।

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  73. Teacher is the role model for students and a teacher can impart social values very easily to their students

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  74. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या में सहायक है।
    हाँ यह अधिगम मे बहुत सहायक है ।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।

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  75. अधिकांश विद्यार्थी अध्यापकों को अपना रोल मॉडल मानते हैं इसलिए अध्यापक यदि चाहें तो विद्यार्थियों में नैतिक और आध्यात्मिक गुणों का विकास कर सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सकतेहैं।।

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  76. BY-ABINASH KUMAR (U.M.S.BARDAHA NONIYA TOLA NARPATGANJ DIST ARARIA)
    AS A TEACHER WE SHOULD PROMOTE THE PERSONAL AND SOCIAL QUALITIES IN A SCHOOL. SO
    THERE IS AN IMPORTANT ROLE OF PERSONAL AND SOCIAL QUALITIES IN DAY TO DAY LIFE.STUDENTS COPY THEIR TEACHERS IN EVERY WALK OF LIFE THEY ALWAYS SEEK INSPIRATION FROM THEIR TEACHERS. SO TEACHERS PLAY AVITAL ROLE IN SCHOOL.

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  77. The role of teacher in the life of a student is as crucial as his or her mother, brother, father and equally important as a mentor as well. Because a teacher shapes the future as well as develops the character of the student as a well learned and well mannered individual.

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  78. प्रतिदिन की दिनचर्या में उच्च व्यक्तिगत सामाजिक गुण सफलता के सोपान बनते हैं।
    यही श्रेष्ठ गुण अधिगम में सहायक हो सकते हैं। विभिन्न सामाजिक परिवेश वाले विद्यार्थियों मैं अधिगम के माध्यम से शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुण को बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाते हैं।

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  79. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसलिए मनुष्य पर समाज का प्रभाव अवश्य पड़ता है। इसी कारण जब किसी कार्य का करना उसकी दिनचर्या में आ जाता है तो उसी अनुसार उसका सामाजिक परिपेक्ष भी हो जाता है। हां यह अधिगम में अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है समाज ही वो स्थान है जहां से वो शिक्षा प्रदान करेगा और वहीं पर अपने ज्ञान का प्रयोग भी करेगा। बच्चो के लिए शिक्षक उनके आदर्श होते है कई बार देखा जाता है कि वो अपने अभिभावकों की बातो के मतो से असेहमत हो जाते है और तर्क देते है कि ऐसा उनके शिक्षक ने कहा है यहां शिक्षक का उतना ही प्रभाव है जितना उनके अभिभावकों का जिस कारण वो गुणों की वृद्धि कर पाते हैं।

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  80. हमारी प्रतिदिन चर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की बहुत अहम भूमिका है।निसंदेह यह अधिगम प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।अध्यापक ही वह जरिया है जो प्रभावी ढ़ंग से अपने विद्यार्थियों में इसे समाहित कर सकते हैं। दिव्या

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  81. व्यक्तिगत समाजिक गुणों से ही हम समाज में अहम बदलाव ला सकत हैं | एक शिक्षक अपने व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है |

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  82. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को विकसित करने में एक शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ।शिक्षक का विद्यार्थियों से प्रत्यक्ष जुड़ाव होने के कारण वह उनमें व्यक्तिगत सामाजिक गुण प्रभावी ढंग से विकसित कर सकता है जो कि विद्यार्थी के अधिगम में पूर्णयता सकारात्मक रूप से सहायक है।

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  83. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से ही हम सुवस्थ समाज बनाते हैं और ये शिक्षक द्वारा अधिगम किये जा सकते हैं

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  84. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  85. कक्षा और समाज में सकारात्मक वातावरण से वच्चों में का सामाजिक और मानसिक विकास होता है

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  86. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है।
    यह अधिगम में सहायक है। शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में सहायक होते हैं क्योंकि वह बच्चों के रोल मॉडल होते हैं।

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  87. शिक्षक समाज एवं बच्चों के लिए आदर्श व्यक्ति होता है। शिक्षक अपने व्यक्तिगत तथा सामाजिक गुणों से न केवल बच्चों अपितु समाज के लोगों को भी प्रभावित करता है। यदि शिक्षक निष्ठावान,प्रेरणादायी तथा संप्रेषण कौशल में निपुण हो तो उसके लिए अधिगम सहज हो जाता है।

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  88. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है।
    यह अधिगम में सहायक है। शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में सहायक होते हैं क्योंकि वह बच्चों के रोल मॉडल होते हैं।जैसे बच्चे को मिल जुल कर रहना एक दूसरे कि सहायता करना आदि गुणो का विकास परस्पर क्रिया के द्वारा भुमिका निभाते है

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  89. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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  90. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

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  91. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की समझ बच्चों में बढ़ाने के लिए दिनचर्या में शिक्षकों की वेश भूसा उनका वार्तालाप करने का अंदाज एवं उनकी हरेक आदतों को वह रौल मॉडल अथावा आदर्श मान लेता है एवं उन्हीं आदतों को अपने दैनिक जीवन में उतारना शुरू करते हैं, साथ ही उन आदतों को वो अपने जीवन में आत्मसात् कर लेते हैं, साथ ही बच्चों की व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को समझने हेतु विद्यालय स्तर पर कुछ ऐसा कार्यक्रम कराया जाना चाहिए जिसमें वे अपनी प्रतिभा को दिखा सके एवं अपने नेतृत्व की क्षमता को बढ़ा सकें, साथ ही अन्य प्रतिभागियों से वे कैसा मिल जुल कर इस कार्यक्रम को अंजाम तक पहुंचते है , यह परखने का मौका मिलता है।

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  92. Hmari prtidin ki dinchrya Mai vyktigat samajik gudo ki ahm bhumika h qyonki ek shiksh hi samajik gudo Ka Vikas krte Hain. Ek shiksh vrgksh Mai sbhi bcho ke sath Saman vyvhar krke,sbhi ko Saman awsar dena taki we Apne vichar rkhe tha sv ke vicharo ko ahmiyt dete Hain .jisse bcho Mai adhigam Mai sahayta milta h
    Han shiksh vyagtigat samajik gudo ko bchane Mai bhumika nibhate hai.

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  93. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।
    हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  94. शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।
    हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।

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  95. कोविड-19 ने हमें तकनीकी शिक्षा तथा दूरस्थ शिक्षा द्वारा शिक्षण का पूर्ण ज्ञान करवाया है ।

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  96. बच्चों की समझ को विकसित करने में हमारी व्यक्तिगत सामाजिक गुण महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। व्यक्तिगत सामाजिक गुण अधिगम में सहायक होते हैं। क्योंकि वे बच्चों के आदर्श होते हैं जिससे बच्चे अपने जीवन में हमेशा उचित निर्णय लेने में सफल होते हैं।

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  97. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हम जो भी काम करते हैं उसपर हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की स्पष्ट प्रभाव दिखाई देती है। हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम अपने परिवेश और वातावरण से ही सीखकर बड़े होते हैं। हमारे व्यक्तिगत गुणों पर हमारी अधिकांश दिनचर्या निर्भर करती है जिसे कुछ हद तक प्रभावित हमारा सामाजिक गुण भी सदैव करता है। यह अधिगम में सदैव सहायक होती हैं। मान के चले कि हमारा व्यक्तित्व पर्यावरण प्रेमी के तौर पर हो और सामाजिक परिवेश भी पर्यावरण के अनुरूप हो तो अधिगम के समय हम पर्यावरण को सदैव अपना मित्र, हितैषी के रूप में उल्लेखित करेंगे और प्रत्येक को पर्यावरण के करीब लाने का प्रयास करेंगे।
    एक शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित करने में सदैव सहायक होंते हैं। बच्चों में उसके दक्षता के अनुसार गुणों को बढ़ावा देकर, उन्हें प्रोत्साहित कर उनके व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा दिया जा सकता है साथ ही समाज के सकारात्मक मूल्यों और सिद्धांतों की जानकारी देकर बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास किया जा सकता है।

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  98. बच्चों की समझ को विकसित करने में हमारी व्यक्तिगत सामाजिक गुण महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कोविड-19 ने हमें तकनीकी शिक्षा तथा दूरस्थ शिक्षा द्वारा शिक्षण का पूर्ण ज्ञान करवाया है । हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है|

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  99. मारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
    हम प्रतिदिन कुछ न कुछ नयाँ सीखते हैं और अगर कोई गलती करते हैं तो फिर हम ऐसी गलती दुबारा नहीं करने के बारे में सोचते हैं।

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  100. Hamari pratidin ki dincharya baccho me samajik guno ko viksit krne me sahayata pradan krti hai,aur ye adhiyan me vmadad krti hai.

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  101. बच्चों की समझ को विकसित करने हमारी व्यक्तिगत वा सामाजिक गुड़ों की अहम भूमिका है। हम प्रतिदिन कुछ नया करते है तथा उसी से सीखते है।

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  102. व्यक्तिगत सामाजिक गुण बच्चों के व्यवहार, व्यक्तित्व निर्माण में सहायक हैं।

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  103. Bacche sikshak Ko guno Ko Sabse jyada grahan karne ki koshish karte hai..unka Sabse jyada samay teacher k Sath hi vyateet hota h isliye unke andar samajik guno ke vikash k jimmedari hamari hai..jis se wo ek swastha samaj ka Nirman kar sake..acche mulyo Ko Jaan sake..

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  104. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की एहम भूमिका है | शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान करते हैं | शिक्षक अधिगम में सहायक हैं क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है। जिससे एक अच्छी समझ विकसित कर लें | शिक्षक समझ विकसित करने तथा निर्माण किया जा सके।

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  105. एक बच्चे के मन मस्तिष्क पर जितनी गहरी छाप शिक्षक की होती है,उतनी शायद किसी की भी नहीं
    उदाहरण के तौर पर--हम विद्यालय में किसी कार्य को करने के लिए यदि एक बच्चे को बुलाते हैं तो चार आ जाते हैं जबकि वही घर पर एक बार में बच्चे सुनते ही नहीं
    ऐसा उनके अभिभावकों द्वारा सुनने में आया है,
    यहीं से हमारी-आपकी सामाजिक और व्यक्तिगत भूमिका का प्रारंभ होता है ‌,हम शिक्षा के साथ -साथ उस कच्ची मिट्टी को आकार देते हैं जो हमें अपरिष्कृत रूप में मिलती है, जिसमें समाज की नई ऊंचाइयों तक ले जाने की हिम्मत ,ऊर्जा ,मनोबल और क्षमता का निर्माण हो सके।

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  106. एक बच्चे के मन मस्तिष्क पर जितनी गहरी छाप शिक्षक की होती है,उतनी शायद किसी की भी नहीं
    उदाहरण के तौर पर--हम विद्यालय में किसी कार्य को करने के लिए यदि एक बच्चे को बुलाते हैं तो चार आ जाते हैं जबकि वही घर पर एक बार में बच्चे सुनते ही नहीं
    ऐसा उनके अभिभावकों द्वारा सुनने में आया है,
    यहीं से हमारी-आपकी सामाजिक और व्यक्तिगत भूमिका का प्रारंभ होता है ‌,हम शिक्षा के साथ -साथ उस कच्ची मिट्टी को आकार देते हैं जो हमें अपरिष्कृत रूप में मिलती है, जिसमें समाज की नई ऊंचाइयों तक ले जाने की हिम्मत ,ऊर्जा ,मनोबल और क्षमता का निर्माण हो सके।

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  107. हमारी प्रतिदिन की दिन चर्या में एक शिक्षक की अहम भूमिका होती है ।शिक्षक समाज का कर्णधार होता है।एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व होता है , वह अपने शिक्षक को प्रतिदिन , प्रतिपल देखता है और उसके गुणों को अंगीकृत करने का प्रयास करता है और आगे चलकर देश का नागरिक बनता । वह कैसा नागरिक बने, कैसे समाज की स्थापना कर इसका सारा जिम्मा एक शिक्षक का है। यदि एक शिक्षक स्वयं सामाजिक व मानवीय गुणों से पूर्ण है तो उसके ये गुण स्वयं ही उसके छात्रों में विकशित होंगे और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करेंगे व देश के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।

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  108. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । हमें कक्षा का परिवेश ऐसा बनाना चाहिए जिससे बच्चे कक्षा में किये गए क्रिया-कलापों से अपने दैनिक जीवन के अनुभवों और भावनाओं को जोड़ सकें । साथ ही बच्चों को एक-दूसरे के दृष्टिकोण से भी परिचित होने का अवसर प्रदान करना चाहिए । इससे बच्चों में सामाजिक समरसता और दूसरे के दृष्टिकोण से सीखने की भावना को बल मिलता है ।

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  109. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । हमें कक्षा का परिवेश ऐसा बनाना चाहिए जिससे बच्चे कक्षा में किये गए क्रिया-कलापों से अपने दैनिक जीवन के अनुभवों और भावनाओं को जोड़ सकें । साथ ही बच्चों को एक-दूसरे के दृष्टिकोण से भी परिचित होने का अवसर प्रदान करना चाहिए । इससे बच्चों में सामाजिक समरसता और दूसरे के दृष्टिकोण से सीखने की भावना को बल मिलता है ।

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  110. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के रोल माॅडल होते है।

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  111. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुण,नैतिक गुण सहयोग की भावना अच्छे व्यवहार करना ,दूसरो के प्रति अच्छे दृष्टिकोण अधिगम स्तर को बढ़ाने आदि में सहायक सिद्ध होते हैं।

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  112. शिक्षक सामाजिक गुणों को बढाने में अहम भूमिका निभाते हैं ।शिक्षक भी एक सामाजिक व्यकित होता है ।शिक्षक बच्चों के लिए एक मार्गदर्शक और आदर्श होता है ।एक शिक्षक ही एक
    सभ्य समाज के निर्माण की क्षमता रखता है ।

    MD TARIQUE ASLAM





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  113. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

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  114. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में बहुत बड़ी भूमिका है/ हमें प्रतिदिन अपने आस-पड़ोस से कुछ नया सीखने को मिलता है जिससे हम बच्चों को उसके बारे में जानकारी देते हैं यह बच्चों के अधिगम में सहायक होता है, इससे बच्चों में दैनिक जीवन के अनुभवों के बारे में जानकारी मिलती है और बच्चे शिक्षक द्वारा बताई गई बातों का अनुकरण करते हैं जिससे उनमें सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होता है अतः हम कह सकते हैं कि शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं/

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  115. The role of a teacher as an educator is great in shaping up the life , career and character.In socio-learning environment, a teacher is a role model. Students copy their teacher in every walk of life.They always seek inspiration from their teachers. Thus , the teachers are to be very responsible,as well as responsive to theacts and behavior.
    हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुण,नैतिक गुण सहयोग की भावना अच्छे व्यवहार करना ,दूसरो के प्रति अच्छे दृष्टिकोण अधिगम स्तर को बढ़ाने आदि में सहायक सिद्ध होते हैं

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  116. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों किहमरे जीवन में महती भूमिका है।यह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।विद्यार्थी का सकारात्मक दृष्टिकोण उसे जीवन की हर समस्या का हल निकालने के योग्य बनाता है।

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  117. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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  118. Human is a social being.... personal - social interactive skills are core to all round development of an individual.... the education and skills that are being developed by schools and teachers within the students will get a platform to be executed only in society...... in order to execute ones skills in a civilised society , a child must learn social skills to interact within the society and these skills will help him to adapt and adjust within their society and culture and with ppl who have different beliefs and tradition...

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  119. यह बच्चो पर प्रभावी कदम है।

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  120. हमारी व्यक्तिगत -सामाजिक गुण प्रतिदिन की दिनचर्या मे सामाजिक समरसता बढ़ाने मे मदद करता है।
    हाँ यह अधिगम मे सहायक है ।
    शिक्षक व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को बढाने मे सहायक होता है क्योंकि वो बच्चों के राॅल माॅडल होते है।

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  121. Hamari vyaktigat samajik gun Dainik dincharya me samajik Samanta ko badane me sahayak hota hai aur yah gun adhigam me bhi sahayak hota hai jisase hm bachho ko margdarshan karne me saksham hote hai

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  122. हमारे व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों की प्रतिदिन की दिनचर्या में अहम भूमिका होती है,और एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए आदर्श होता जो बच्चों मे इन गुणों को बढ़ाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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  123. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है |
    हां यह अधिगम में सहायक है

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  124. A teacher is a role model and inspiration for their students.A teacher is very much responsible and responsive to frame the behaviour and character of their students.To improve the personal and social relationship between teacher and taught should be for sure caring and sensitive.This approach would help a child grow up in it's own skill.

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  125. Hmare daily routine me vektigat samajig gun, umrya, vektigat anubhav ,sikhsha, samajik sanskritik aur arthik background pe nirbhar krta hai . Ye vektigat samajig gun daily routine me
    samajig samrasta bnane me madad krta h.
    Haan ye adhigam me sahayak hai.
    Haan sikshak vektigat aur samajig guno ka abyas krne ki subidha pradan krta hai.

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  126. व्यक्तिगत गुणों के कारण ही समाज में पहचान बनती है। शिक्षक के गुण - दोषों का प्रभाव उसके विद्यार्थियों पर भी स्वाभाविक रूप से पड़ता है।

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  127. The role of a teacher as is great in the life, career, caracter in socio-learning environment, a teacher is a role model. Students copy their teachers in every walk of life, they always inspire their teachers.

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  128. बालक के व्यत्क्तित्व का विकास सामाजिक वातावरण में रखते हुए करना चाहिये। अत: स्कूलों को चाहिए कि वे बालकों को सामाजिक केन्द्रों तथा पुस्तकालयों आदि सामाजिक संस्थाओं से सम्बन्ध स्थापित करने तथा अनके प्रकार के सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इसमें स्कूल की छोटी दुनिया का बाहर की बड़ी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित जो जायेगा तथा बालकों में वे भी सामाजिक गुण विकसित हो जायेंगे जिनकी जनतन्त्र में आवश्यकता होती है।

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  129. बालक के व्यत्क्तित्व का विकास सामाजिक वातावरण में रखते हुए करना चाहिये। अत: स्कूलों को चाहिए कि वे बालकों को सामाजिक केन्द्रों तथा पुस्तकालयों आदि सामाजिक संस्थाओं से सम्बन्ध स्थापित करने तथा अनके प्रकार के सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इसमें स्कूल की छोटी दुनिया का बाहर की बड़ी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित जो जायेगा तथा बालकों में वे भी सामाजिक गुण विकसित हो जायेंगे जिनकी जनतन्त्र में आवश्यकता होती है।

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  130. Haan shikshak vyaktigat samajik gudo ko badhane mea ahem bhumika nibhatey hai jisse sahi v galat ki jaach kr apna rasta chunne ka nirnay buddhimatta purvak kar patey hai.. iske liye beete hue anubhavon ki ahem bhumika rehti hai.

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  131. बालक के व्यत्क्तित्व का विकास सामाजिक वातावरण में रखते हुए करना चाहिये। अत: स्कूलों को चाहिए कि वे बालकों को सामाजिक केन्द्रों तथा पुस्तकालयों आदि सामाजिक संस्थाओं से सम्बन्ध स्थापित करने तथा अनके प्रकार के सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इसमें स्कूल की छोटी दुनिया का बाहर की बड़ी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित जो जायेगा तथा बालकों में वे भी सामाजिक गुण विकसित हो जायेंगे जिनकी जनतन्त्र में आवश्यकता होती है।

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  132. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या मे अपनी सामाजिक गुणों मे अहम भूमिका है। और यह अधिगम मे बहुत ही सहायक सिद्ध होती है।

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  133. हमारे व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों की प्रतिदिनचर्या में अहम भूमिका होती है। इसलिए यह अधिगम में सहायक है।

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  134. व्यक्तिगत गुणों के कारण ही समाज में पहचान बनती है। शिक्षक के गुण - दोषों का प्रभाव उसके विद्यार्थियों तथा समाज पर भी स्वाभाविक रूप से पड़ता है।

    Shakuntla Sharma

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  135. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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    1. Hamari pratidin ki dincharya me vyaktigat samajik guno ki aham bhumika hai.ha yah adhigam me shayak haishikshak vyaktigat samajik guno ka sage me jane ki mahatvpurn bhumika nibhate hai

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  136. बच्चों में समझ का विकास घर से होना शुरू हो जाता है। परंतु वह समझ उसे समाज उपयोगी नही बनाता। या यूं कहना चाहिये कि समझ विकसित होने लगती है किंतु एक ही ओर। जब वह विद्यालय आता है तब उसे सामाजिक परिवेश और उसके महत्व को समझता है। अतः यहाँ पर एक शिक्षक के साथ विद्यालय परिवेश सामाजिक समरसता पूर्ण होने आवश्यक है। इसलिए भी शिक्षक में सामाजिक गुणों का समझना और उनका विकास आवश्यक है। शिक्षक इन गुणों का विकास करके ही अपने छात्र को समाज के लिए उपयोगी बना सकता है।

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  137. Teachers are role models for students. Students copy the activities and behavior of the teachers.So teachers play very important role indirectly in the behavioral development of a student.

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  138. व्यक्तिगत सामाजिक गुण व्यापक औऱ विस्तृत दृष्टिकोण प्रदान करते है तथा अधिगम के विभिन्न पहलुओं मे सकरात्मक भूमिका निभाने है। हाँ, एक शिक्षक इन गुणो को बढ़ाने मे सकरात्मक रूप से उत्प्रेरक की भांति कार्य करते है।

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  139. व्यक्तिगत सामाजिक गुण छात्र के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं

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  140. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है | हमारे दैनिक क्रिया-कलाप हमारे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का प्रतिबिम्ब होते हैं | यह निश्चय ही अधिगम मे सहायक हैं | एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिये आदर्श होता है | वे अपने व्यक्तिगत, नैतिक व सामाजिक गुणो को प्रदर्शित कर विद्यार्थियों मे उन गुणों को विकसित कर सकते है |

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  141. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत - सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है। हां, यह अधिगम में सहायक है। एक शिक्षक ही समाज का निमार्ण करता है। एक शिक्षक के द्वारा ही व्यक्तिगत - सामाजिक गुणों को बढाने में मदद मिलती है। शिक्षक ही देश को अच्छे नागरिक देने की काबिलियत रखते हैं।

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  142. शिक्षक समाज का दर्पण होता है समाज में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति उनका अनुसरण करता है।

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  143. हमारे जीवन और दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है, मानव समाज में संतुलन बनाये रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ नियम और दायित्व निर्धारित किये गए हैं, ये गुण ही हमें इन नियमों का पालन एवं दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाज में रहने और जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
    बिल्कुल ! यह अधिगम में सहायक है।

    हर एक शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। वे सीखने के प्रति प्रेरित करते हैं, उचित वातावरण व परिवेश का निर्माण करते हैं, सकारात्मक भावनाओं को बल प्रदान करते हैं और उचित मार्गदर्शन के द्वारा व्यक्तिगत सामाजिक दायरों में रहते हुए बच्चों की समूहों और परिवेश में सहभागिता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

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  144. शिक्षकों से ये अपेक्षा होती है कि वो सामाजिक गुणों का विकास करें।

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  145. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हम जो भी काम करते हैं उसपर हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की स्पष्ट प्रभाव दिखाई देती है। हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम अपने परिवेश और वातावरण से ही सीखकर बड़े होते हैं। हमारे व्यक्तिगत गुणों पर हमारी अधिकांश दिनचर्या निर्भर करती है जिसे कुछ हद तक प्रभावित हमारा सामाजिक गुण भी सदैव करता है। यह अधिगम में सदैव सहायक होती हैं। मान के चले कि हमारा व्यक्तित्व पर्यावरण प्रेमी के तौर पर हो और सामाजिक परिवेश भी पर्यावरण के अनुरूप हो तो अधिगम के समय हम पर्यावरण को सदैव अपना मित्र, हितैषी के रूप में उल्लेखित करेंगे और प्रत्येक को पर्यावरण के करीब लाने का प्रयास करेंगे।
    एक शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित करने में सदैव सहायक होंते हैं। बच्चों में उसके दक्षता के अनुसार गुणों को बढ़ावा देकर, उन्हें प्रोत्साहित कर उनके व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा दिया जा सकता है साथ ही समाज के सकारात्मक मूल्यों और सिद्धांतों की जानकारी देकर बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास किया जा सकता है।

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  146. Vyaktigat samajik quality ko improve krnaa..
    Haan yah adhikansh me sahayak hai...
    Haan sikshak vyaktigat samajik quality ko badhane me bhoomika nibhate hain..

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  147. हाँ प्रतिदिन की दिन चर्या में व्यक्तिगत - सामाजिक गुणों का योगदान होता है जैसे सुबह कितने समय उठाना , व्यायाम करना नहाना आदि क्रियाएं करना तथा समय से अपने कार्यस्थल पर जाना है सब हमारे व्यक्तिगत गुणों से ही निर्धारित होता है हम प्रतिदिन हर छड़ जहां भी होते है या जो भी हम दूसरे के प्रति व्यवहार करते है वो सब हमारे गुणों पर निर्भर होता है ।
    छात्र अपने शिक्षक को आदर्श रूप में देखता है या यूं कहें कि वो प्रतिदिन शिक्षक के व्यवहारों को देख कर भी बहुत कुछ सीखता है जाने अनजाने में वो उनके व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों को अपनाता है ऐसे में शिक्षक का इन गुणों के विकास में बहुत बड़ा योगदान होता है।
    बच्चा यदि कक्षा में अन्य बच्चों के साथ बात चीत विचार विमर्श आदि करना है या यूं कहें आपस मे मिल कर समूह में कार्य करता है तो वह उस कार्य को हमेशा के लिए अपने मे याद कर लेता है अतः हम कह सकते है कि व्यक्तिगत और सामाजिक गुण अधिगम को भी प्रभावित करते है

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  148. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-समाजिक गुणों की अहम भूमिका है|शिक्षक ही समाज के सामने एक बालक को एक योग्य नागरिक के रूप में खड़ा करता है और वही बालक दे१ा के विकास मे अपना योगदान देता है

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  149. Man is said to be a social animal.....we live in a society where we are continuously affecting others(whether knowingly or unknowingly) and consciously or subconsciously getting effected as well.....
    So to be a fruitful member of the society we must have apt social- personal qualities firstly for our own betterment and then for the society at large...
    Being a teacher our responsibility increases manifold so that we may nurture these human values in our students so that they become responsible citizens of India and cordial global citizen ...
    And this cannot be taught...we have to be a living example ourselves first

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  150. हमारे जीवन और दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है, मानव समाज में संतुलन बनाये रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ नियम और दायित्व निर्धारित किये गए हैं, ये गुण ही हमें इन नियमों का पालन एवं दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाज में रहने और जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
    बिल्कुल ! यह अधिगम में सहायक है।

    हर एक शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। वे सीखने के प्रति प्रेरित करते हैं, उचित वातावरण व परिवेश का निर्माण करते हैं, सकारात्मक भावनाओं को बल प्रदान करते हैं और उचित मार्गदर्शन के द्वारा व्यक्तिगत सामाजिक दायरों में रहते हुए बच्चों की समूहों और परिवेश में सहभागिता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

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  151. हमारे जीवन और दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है, मानव समाज में संतुलन बनाये रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ नियम और दायित्व निर्धारित किये गए हैं, ये गुण ही हमें इन नियमों का पालन एवं दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाज में रहने और जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
    बिल्कुल ! यह अधिगम में सहायक है।

    हर एक शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। वे सीखने के प्रति प्रेरित करते हैं, उचित वातावरण व परिवेश का निर्माण करते हैं, सकारात्मक भावनाओं को बल प्रदान करते हैं और उचित मार्गदर्शन के द्वारा व्यक्तिगत सामाजिक दायरों में रहते हुए बच्चों की समूहों और परिवेश में सहभागिता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

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  152. व्यक्तिगत समाजिक गुणों से ही हम समाज में अहम बदलाव ला सकत हैं | एक शिक्षक अपने व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है |

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  153. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  154. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  155. शिक्षक विद्यार्थियों को उचित शिक्षा देने के साथ-साथ उनको समाज में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित एवं उत्साहित करते हैं

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  156. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत और सामाजिक उनकी बहुत अहम भूमिका है और जो अधिगम में भी सहायक है जैसे अगर हमारी व्यक्तिगत जैसे अनुशासन, बातचीत का तरीका, सहनशीलता, एक दूसरे की सहायता करना आदि गुण हमारे पास हैं तो हम बच्चों को भी अच्छे गुण सिखा सकते हैं और प्रतिदिन की दिनचर्या में अचानक कभी किसी समस्या के आ जाने पर हम उन समस्याओं का निराकरण भी कर सकते हैं क्योंकि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत भूल ही उसकी सामाजिक स्थिति को मजबूत बनाते हैं।

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  157. विनय कुमार पाण्डेय
    एक शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित करने में सदैव सहायक होंते हैं। बच्चों में उसके दक्षता के अनुसार गुणों को बढ़ावा देकर, उन्हें प्रोत्साहित कर उनके व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा दिया जा सकता है साथ ही समाज के सकारात्मक मूल्यों और सिद्धांतों की जानकारी देकर बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास किया जा सकता है।

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  158. विनय कुमार पाण्डेय
    एक शिक्षक बच्चों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित करने में सदैव सहायक होंते हैं। बच्चों में उसके दक्षता के अनुसार गुणों को बढ़ावा देकर, उन्हें प्रोत्साहित कर उनके व्यक्तिगत गुणों को बढ़ावा दिया जा सकता है साथ ही समाज के सकारात्मक मूल्यों और सिद्धांतों की जानकारी देकर बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास किया जा सकता है।

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  159. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  160. हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण एवं प्रतिदिन की दिनचर्या दूसरों पे बहुत प्रभाव शाली होतें है । विद्यार्थी अपने शिक्षक से बहुत कुछ सीखते है और शिक्षक उनको योग नागरिक के रूप में खड़ा करता है

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  161. छात्र अध्यापक से बहुत कुछ सीखता है l अध्यापक के सामाजिक व व्यक्तिगत गुणों का उसपर व उसके अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है

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  162. हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण एवं प्रतिदिन की दिनचर्या दूसरों पे बहुत प्रभाव शाली होतें है । विद्यार्थी अपने शिक्षक से बहुत कुछ सीखते है और शिक्षक उनको योग नागरिक के रूप में खड़ा करता है

    Shraddha Srivastava
    Ps auraha uparhar

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  163. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  164. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  165. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत योगदान है क्योंकि जब हम एक दूसरे से मिलते हैं समाज में आस पड़ोस के लोगों को समझने के लिए या फिर उनके सामने हमारी बात रखने से पहले उनकी भावनाओं को समझना या फिर उनके विचारों को सुनना पहले मायने रखता है क्योंकि वहां यह देखना पड़ता है कि उनका अभी व्यवहार हमारे साथ कैसा है तभी हम उनसे कोई बात या फैसला सुना सकते हैं, यह अधिगम में बहुत सहायक है।
    और शिक्षक व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है क्योंकि जब एक बच्चा क्लास में होता है तब उसके गुणों को देखकर या फिर उसके व्यवहार को देखकर पता लगाया जाता है कि बच्चा आपके द्वारा सिखाई जाने वाली सामग्री के लिए तैयार है या नहीं , तब शिक्षक बच्चों को सिखाने के लिए अपनी नीति तैयार कर सकता है।

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  166. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| हाँ यह अधिगम में सहायक हैं विद्यार्थी अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निर्णय लेने मे सक्षम बनते है

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  167. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक गुणों और व्यक्तिगत गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह विद्यार्थियों के जीवन में भी प्रभाव डालता है ।क्योंकि इससे सकारात्मकता आती है।

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